सम्पादकीय

फिर भी मेरा देश महान् !

Rani Sahu
17 Aug 2022 5:59 PM GMT
फिर भी मेरा देश महान् !
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इस महान् देश के अति महान् नेता मानवीय संवेदनाओं के हनन और क्रूरतापूर्ण पैशाचिक कुकृत्यों पर भी अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने और अपने राजनीतिक विरोधियों की लानत-मनालत करने में माहिर हो चुके हैं
इस महान् देश के अति महान् नेता मानवीय संवेदनाओं के हनन और क्रूरतापूर्ण पैशाचिक कुकृत्यों पर भी अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने और अपने राजनीतिक विरोधियों की लानत-मनालत करने में माहिर हो चुके हैं। जघन्य हत्याओं और शर्मनाक शीलहरण की घटनाओं को लेकर एक दूसरे पर दोषारोपण करने में इन्हें तनिक भी लज्जा नहीं आती। तुम्हारी हिंसा, हमारी हिंसा की तर्ज पर कोई दु:खद कांड होते ही कौवों की तरह काँव-काँव करने लगते हैं, इन सामाजिक अपराधों को जड़ से दूर करने की दिशा में इन लोकतंत्र प्रेमियों को कदम उठाने की फुर्सत नहीं।
आज राजस्थान के जालौर जिले के सुराणा ग्राम के स्कूल मास्टर द्वारा 9 वर्षीय इंद्र कुमार मेघवाल की हत्या के मामले में यही हो रहा है। अपनी ही सरकार के विरुद्ध विचार रखते हुए कांग्रेस विधायक पानाचंद मेघवाल ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व विधानसभा अध्यक्ष सी.पी. जोशी को त्यागपत्र भेज दिया है। बाबू जगजीवन राम की पुत्री, लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार से लेकर मायावती, वसुन्धरा राजे सिंधिया और राजस्थान अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष तथा कांग्रेस विधायक खिलाड़ीलाल बैरवा ने भी अशोक गहलोत और उनकी सरकार की कार्य प्रणाली की निन्दा की है। श्री बैरवा ने कहा है कि जालौर के एसपी हर्षवर्द्धन अग्रवाल और थाना सायला की पुलिस के कथन से वे सहमत नहीं कि मामला दलित विरोधी मानसिकता से नहीं जुड़ा है। पुलिस व प्रशासन ने जिस प्रकार मामले को दो बच्चों के विवाद से जोड़ा वह अतिशर्मनाक है।
दोषी शिक्षक छैलसिंह के पक्ष में स्कूल के शिक्षकों को गोलबंद करना तथा बालक की मृत्यु से आक्रोषित ग्रामीणों व मृत बच्चे के पिता देवाराम पर पुलिस का लाठियां भांजना गहलोत के कुशासन का सबुत है। अर्से से राजस्थान का मुख्यमंत्री बनने को लालायित सचिन पायलट भी 250 कारों के बड़े काफिले के साथ सुराणा पहुंच गये हैं।
यक्ष प्रश्न यह है कि इस महान् देश में सदियों से यह क्यों हो रहा है? वन-गमन करते राम विषादराज का सम्मान करते है और शबरी के झूठे बेर खाते हैं, आचार्य विनोबा भावे पतित कहे जाने वाले दलितों के पाँव गंगाजल से पखारते हैं और प्रयागराज कुम्भ में नरेंद्र मोदी त्रिवेणी के तट पर बैठ कर सफाईकर्मियों के पैर धोते हैं लेकिन कथित उच्च या सवर्ण समाज हजारों वर्षों की कलुषता या कुत्सित मानसिकता को क्यों नहीं त्याग रहा है?
स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव पर हमें इस यक्ष प्रश्न का जवाब चाहिए क्योंकि हम इस महान् देश के महान् नागरिक हैं।
गोविंद वर्मा
संपादक 'देहात'
Rani Sahu

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