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Written by जनसत्ता: जबसे दुनिया डिजिटल संसाधनों पर निर्भर होती गई है, इंटरनेट तरंगों की गति तेज करने पर जोर बढ़ता गया है। आज स्थिति यह है कि लगभग सारे कामकाज इंटरनेट आधारित होते गए हैं। न केवल सूचना और मनोरंजन के क्षेत्र में इस पर निर्भरता तेजी से बढ़ी है, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और दूसरे आम जिंदगी के कामकाज इंटरनेट माध्यम से जुड़ते गए हैं। भारत सरकार ने इसी के मद्देनजर डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत हर घर तक इंटरनेट की पहुंच सुनिश्चित कराने का संकल्प लिया था। वह संकल्प काफी हद तक पूरा होता दिख रहा है।
मगर इसमें अभी इंटरनेट तरंगों की धीमी गति बाधा उपस्थित करती है। हालांकि देश के ज्यादातर हिस्सों तक चौथी पीढ़ी की इंटरनेट तरंगें यानी फोर जी तकनीक पहुंच चुकी है। फिर भी लोगों को अपेक्षित गति नहीं मिल पा रही। ऐसे में काफी समय से मांग बनी हुई थी कि पांचवीं पीढ़ी की तरंग गति तकनीक यानी फाइव जी को मंजूरी दी जाए। तमाम स्मार्टफोन और कंप्यूटर आदि बनाने वाली कंपनियों ने इसके मद्देनजर उपकरण बनाने शुरू कर दिए थे। मगर इसे लेकर कुछ तकनीकी समस्याएं बनी हुई थीं।
मसलन तरंग दैर्ध्य को लेकर अड़चन थी। जिस तरंग दैर्ध्य पर पांचवीं पीढ़ी का इंटरनेट चलेगा, उसी के आसपास की तरंग दैर्ध्य का उपयोग वायु सेवाओं आदि के संचालन में किया जाता है। इसलिए उनके परस्पर टकराने की आशांका बनी हुई थी। अब उसे हल कर लिया गया है। अंतत: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पांचवीं पीढ़ी इंटरनेट तरंगों की नीलामी को मंजूरी दे दी।
पांचवी पीढ़ी की इंटरनेट सेवा शुरू होने से सूचना प्रौद्योगिकी और मनोरंजन के क्षेत्र में काफी तेजी आएगी। पहले ही तमाम टेलीविजन कंपनियां, अखबार, फिल्म निर्माण से जुड़ी कंपनियां इंटरनेट माध्यमों पर जगह बना चुकी हैं। स्मार्टफोन आने के बाद अब हर हाथ में मनोरंजन और सूचना का उपकरण मौजूद है। मगर तरंगों की गति कमजोर होने से चित्र, फिल्में आदि देखने में असुविधा होती है।
पांचवीं पीढ़ी के इंटरनेट की गति वर्तमान गति से करीब दस गुना अधिक होगी। इस तरह सूचनाओं के प्रसार में भी तेजी आएगी। अब घरों में स्मार्ट टीवी का चलन बढ़ रहा है, जो केबल या डिश नेटवर्क के बजाय इंटरनेट से चलते हैं। इस माध्यम से टीवी पर अधिक विकल्प मौजूद होते हैं। अब लोग सिनेमाघरों में फिल्में देखने जाने के बजाय घर बैठे देखना अधिक पसंद करने लगे हैं। इस तरह नई पीढ़ी की इंटरनेट सेवा लोगों के अनुभवों को और दिलचस्प बनाएगी।
चूंकि युवा पीढ़ी इंटरनेट माध्यमों पर अधिकर निर्भर हैं, उनकी पढ़ाई-लिखाई आदि से जुड़ी सामग्री और सूचनाएं अब इस माध्यम से उपलब्ध कराई जाने लगी हैं। कोरोना काल में जब इंटरनेट के जरिए पढ़ाई का सिलसिला शुरू हुआ तो शिक्षा जगत में एक नया आयाम खुला। मगर उस दौरान वही तरंगों की धीमी गति परेशानी साबित हुई। पांचवीं पीढ़ी की तरंगें उस अड़चन को दूर करेंगी।
इंटरनेट ने हर किसी के जीवन में बहुत सारी सहूलियतें पेश की हैं। अब घर में ही बाजार उपलब्ध है, पढ़ाई-लिखाई के तमाम साधन मौजूद हैं, बिलों के भुगतान, टिकट खरीदने आदि के लिए कतार में लगने की जरूरत नहीं रह गई। तमाम प्रतियोगी परीक्षाएं अब इसी माध्यम से संचालित होने लगी हैं। नए वाहनों का संचालन भी इंटरनेट से जुड़ गया है। ऐसे में इंटरनेट तरंगों की त्वरा ज्यादा महत्त्वपूर्ण है। नई पीढ़ी तरंगों की नीलामी को मंजूरी मिलने से स्वाभाविक ही उत्साह का वातावरण है।