सम्पादकीय

बुरा मानिए, होली है

Rani Sahu
10 March 2022 7:15 PM GMT
बुरा मानिए, होली है
x
यही तो बात है बुरा मानने की कि आज होली है। यह कोई न्यू इयर अथवा वेलेंटाइंस डे थोड़े ही है

यही तो बात है बुरा मानने की कि आज होली है। यह कोई न्यू इयर अथवा वेलेंटाइंस डे थोड़े ही है, जो बुरा न मानें। यह होली है होली, जिसमें रंग के नाम पर कीचड़ पोता जा रहा है और शुभकामनाओं के नाम पर दी जा रही हैं, खुलेआम गाली। वैरभाव और ऊंचनीच का भेदभाव मिटाने की एवज दोगुना कर देती है होली। इसलिए सामने वाले पर गुस्सा कीजिए ताकि वह अपनी औकात में रहे। मुझे पता है वह बुरा न मानो होली है, का नारा देकर अपने भीतर की तमाम खटास निकालेगा, इसलिए उसको मौका ही क्यों दिया जाए कि वह आपकी साफ-सुथरी पोशाक को बदरंग बना दे और आपकी एकदम स्वच्छ छवि पर कालिख पोत जाए। होली पर बुरा इसलिए भी मानिए कि वह 'भाई साहब-भाई साहब' कहता हुआ आपके घर में घुसेगा और आपकी पत्नी से होली खेलने लगेगा। पत्नी के जिन गालों पर हाथ लगाते हुए आप खुद तीन बार सोचते हैं, वह 'भाभीजी-भाभीजी' कहता हुआ उनके गालों को लाल कर देगा। महिलाओं के साथ ऐसा बर्ताव बदतमीजी में माना गया है, इसलिए होली पर बुरा मानिए और अपनी पत्नी की इज्जत बचाइए। बुरा मानने की बात इसलिए भी है कि वह अभी आप द्वारा परोसी गई तमाम मिठाइयों और गुझिया को एक ही पल में चाट जाएगा और आपके मासूम, माल खाने को तरस जाएंगे। बच्चों का हक बचाना है तो होली पर नाराज रहिए ताकि कोई इसके बहाने आपके घर मेहमान बनकर भी न आ सके। आपका माल मार रहा है और आप बुरा भी न मानें, यह नितांत गलत है। मान लिया आपके रंग लगाने, तक तो बात चल भी जाए, लेकिन उसने होली के बहाने आपके कुर्ता-पाजामा को तार-तार कर दिया है और आप भिखारी की भूमिका में आ गए हैं, तो आप क्या बुरा नहीं मानेंगे?

अवश्य बुरा मानिए, उसने कृत्य ही ऐसा किया है। यही नहीं, उसने नहीं उतरने वाला रंग आपके वाला रंग आपके चेहरे पर पोतकर आपको लंगूर बना दिया है और आपकी पत्नी को आपका यह स्वरूप किंचित भी रास नहीं आ रहा है तो आप बुरा न मानकर और करेंगे भी क्या? यह धमाल गाती हुई मंडली जो आपके घर के बाहर शोर मचा रही है, उस पर ध्यान और कान दीजिए, बहुत ही अश्लील गीत से आपकी खिल्ली उड़ा रही है और आप बुरा भी नहीं मानें। बुरा आप नहीं तो क्या आपका पड़ोसी मानेगा, जो आपसे जला-भुना यह सब कौतुक करवा रहा है। पड़ोसी की नीयत किसी भी दृष्टि से ठीक नहीं है। वह आपकी जीवनशैली और वैभव से दुखी हुआ बैठा है और आपको जलील करवा कर प्रसन्न हो रहा है। उसकी प्रसन्नताओं को अंगूठा दिखाने के लिए बुरा अवश्य मानिए। यह भाईचारा और सद्भाव की बात की जा रही है, यह कोरा नाटक है। यही क्यों, आप जिन्हें अपना अंतरंग समझकर 'हैप्पी होली' कहने जा रहे हैं, वे आपको भांग या शराब मिलाकर पता नहीं कौनसी सीडी बनाकर ब्लैकमेल करना चाहते हैं। सरकार से इसलिए नाराज होइए, जो उसने होली के आसपास ही आपके बच्चों के एग्जाम रख दिए हैं। बच्चे होली खेलें या परीक्षा की तैयारी करें, यह बुरा मानने की बात नहीं तो और क्या है? आपकी छुट्टी भी मात्र दो दिन की आई है। बंदरों की सी शक्ल लेकर होली के तुरंत बाद आपको अपनी ड्यूटी पर पहुंचना है। रंग उतारने के लिए कम से कम एक सप्ताह का अवकाश तो मिलना ही चाहिए था। इसलिए होली पर आप जिस पर बुरा मानना चाहें, जरूर मानें। वह जमाना गया जब 'बुरा न मानो होली है' की बात मानकर सब कुछ सह लेते थे। इसलिए बुरा मानिए कि होली है।
पूरन सरमा
स्वतंत्र लेखक


Rani Sahu

Rani Sahu

    Next Story