सम्पादकीय

सोनिया-राहुल हाजिर हों

Rani Sahu
3 Jun 2022 10:11 AM GMT
सोनिया-राहुल हाजिर हों
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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और वरिष्ठ सांसद राहुल गांधी को हाजि़र होने के समन भेजे हैं

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और वरिष्ठ सांसद राहुल गांधी को हाजि़र होने के समन भेजे हैं। बेशक मामला पुराना है और कांग्रेस के मुखपत्र 'नेशनल हेराल्ड' से जुड़ा है। इस अख़बार की कंपनी 1937-38 में बनाई गई थी। भारत स्वतंत्र हुआ और सरकार के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू बने। उन्होंने जो प्लॉट एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड के नाम औने-पौने दाम पर आवंटित कराई थी, उसकी आज कीमत 500 करोड़ रुपए आंकी जा रही है। मालिकाना हक गांधी परिवार का है। गांधियों पर कई गंभीर आरोप हैं और इसी केस में मां-बेटा जमानत पर हैं। ईडी मनी लॉन्डिं्रग के संदर्भ में अपनी जांच को एक निश्चित निष्कर्ष तक ले जाना चाहता है। गांधी परिवार तो क्या, देश के प्रधानमंत्री भी कानून और जांच के दायरे में हैं। प्रधानमंत्री रहते हुए पीवी नरसिंह राव से जांच एजेंसियों ने पूछताछ की थी, बल्कि एक अदालत ने तो उन्हें 'अभियुक्त' तक करार दे दिया था। मुख्यमंत्री पद पर आसीन नरेंद्र मोदी से विशेष जांच दल ने करीब 16-17 घंटे तक पूछताछ की थी। यदि ईडी ने गांधियों को समन भेजा है, तो कांग्रेस इतनी तिलमिलाई क्यों है? जांच की कार्रवाई को ब्रिटिश साम्राज्य और आज़ादी की लड़ाई से क्यों जोड़ा जा रहा है? ईडी की जांच कभी बंद नहीं की गई, क्योंकि हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी आरोपित हैं।

ईडी ने राज्यसभा में प्रतिपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन कुमार बंसल को तलब करके भी पूछताछ की थी। मामला 'नेशनल हेराल्ड' की मूल कंपनी एजेएल को 'यंग इंडियन प्रा. लिमि.' में बदलने का है। 23 नवम्बर, 2010 को बनाई गई नई कंपनी में सोनिया-राहुल गांधी की हिस्सेदारी 38-38 फीसदी की है। शेष हिस्सेदारी मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीज के नाम है, जो आज दिवंगत हैं। हरियाणा के मुख्यमंत्री रहते हुड्डा ने पंचकूला में जो प्लॉट एजेएल को आवंटित किया था, उसकी बाज़ार कीमत करीब 65 करोड़ रुपए आंकी गई है। ईडी ने उस प्लॉट को 3 दिसंबर, 2018 को जब्त कर लिया था। दरअसल बुनियादी सवाल यह है कि एजेएल को 'यंग इंडियन' का हिस्सा कैसे बनाया गया? एजेएल के 9 करोड़ शेयर गांधियों को कैसे दिए गए? कांग्रेस पार्टी ने अपने कोष में से 'नेशनल हेराल्ड' को 90 करोड़ रुपए का कर्ज़ कैसे दिया और फिर उसे माफ कैसे किया गया? आज 'नेशनल हेराल्ड' की संपत्तियों पर गांधी परिवार का मालिकाना हक किस आधार पर है? इन संपदाओं की बाज़ार कीमत 2000-5000 करोड़ रुपए के बीच आंकी जा रही है। कुछ आकलन ऐसे हैं कि ये संपत्तियां 800 करोड़ रुपए की हैं। कीमत कितनी भी हो, लेकिन बेशकीमती संपदाएं हैं। बेशक 'यंग इंडियन' कंपनी धारा 25 के तहत 'गैर-लाभकारी' है। उसके हिस्सेदार अवैतनिक हैं, कोई भी पैसा ट्रांसफर नहीं किया जा सकता और हिस्सेदार लाभांश नहीं ले सकते। संपदाएं एक इंच भी सरकाई नहीं जा सकतीं। यह कांग्रेस के पैरोकार वकीलों का दावा है।
एक सहज सवाल है कि 'नेशनल हेराल्ड' भवन में जिन दफ्तरों का किराया आता है, वह किस खाते में जाता है? यदि ईडी ऐसे तमाम सवालों की जांच और गांधियों से पूछताछ करना चाहता है, तो कांग्रेस के प्रवक्ता चिलचिला क्यों रहे हैं? गौरतलब यह है कि सोनिया गांधी दिल्ली उच्च न्यायालय और सर्वोच्च अदालत की चौखट खटखटा चुकी हैं, लेकिन अदालतों ने केस गंभीर आपराधिक बताया और निरस्त करने से इंकार कर दिया। ईडी और आयकर विभाग की जांच को 'षड्यंत्र' कैसे करार दिया जा सकता है? ये देश की संवैधानिक एजेंसियां हैं और 2014 से पहले कांग्रेस नेतृत्व की यूपीए सरकार के अधीन काम करती रही हैं। अफसरों के तबादले रूटीन प्रशासनिक कार्रवाई है। यूपीए सरकार में भी तबादले और नियुक्तियां की जाती थीं। यदि एजेंसियां आज मोदी सरकार के दबाव में खुन्नस से काम कर रही हैं, तो कांग्रेस हुकूमत के दौरान भी ऐसा किया गया होगा। ईडी सर्वेसर्वा नहीं है। उसे अदालत के सामने जवाब देना है। तो गांधियों को ईडी की जांच का सामना करने में घबराहट क्यों होनी चाहिए? अगर उन्होंने कोई गलत काम नहीं किया है, तो वह जांच में निर्दोष भी साबित हो सकते हैं। इसलिए उन्हें जांच का विरोध नहीं करना चाहिए, बल्कि ईडी का जांच में सहयोग करना चाहिए। आखिर ईडी को भी अदालत में जवाब देना होता है। कई बार अदालतें ईडी को जांच से रोकती भी रही हैं। इस मामले को राजनीतिक दृष्टि से नहीं देखा जाना चाहिए। आम जनता भी इस मामले को नजदीक से देख रही है।

सोर्स- divyahimachal

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