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- तो इसलिए जबलपुर में...
प्रवीण दुबे। मध्य प्रदेश के जबलपुर में आज जनजातीय समाज के राजा शंकर शाह और उनके पुत्र कुंवर रघुनाथ शाह के बलिदान दिवस में शामिल होने के लिए केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह पहुंचे. सबसे पहले बात राजा शंकर शाह और रघुनाथ शाह की. आज ही के दिन यानी 18 सितम्बर 1857 को अंग्रेजों ने इन्हें और इनके बेटे को तोप के मुहाने पर बांधकर उड़ा दिया था. इनकी शहादत के बारे में कहा जाता है कि उस समय अंग्रेजों की हुकूमत की 52 वीं रेजीमेंट का कमांडर क्लार्क बहुत क्रूर था और छोटे राजाओं पर बहुत जुल्म किया करता था. गोंडवाना के शासक रघुनाथ शाह ने अंग्रेजों के खिलाफ़ लोगों को जोड़ना शुरू किया..अपनी मुहिम को वे कविता के माध्यम से चला रहे थे. वे खुद कवि थे और अपना मंतव्य पद्य में लिखकर अपने सहयोगियों को भेजते थे. क्लार्क को पता चल गया कि अंग्रेजों के खिलाफ साजिश हो रही है. कहा जाता है कि उन्होंने कुछ गुप्तचर साधु (या फ़कीर) के वेश में रघुनाथ शाह के पास भेजे. राजा को लगा कि समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलने में कोई बुराई नहीं है,तो उन्होंने अपना एजेंडा उन गुप्तचरों के सामने भी पेश कर दिया. उन गुप्तचरों ने राजा की योजना क्लार्क को जाकर बता दी, तो उन्होंने दोनों पिता पुत्र के खिलाफ मुक़दमा चलाया, उन्हें बंदी बनाया और बाद में तोप के मुहाने पर बांधकर मौत की सजा सुनाई.