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- इटली के संकेत
Written by जनसत्ता; नाटो संगठन का एक अहम सदस्य, जी-7 का सदस्य, यूरोपियन यूनियन की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था यानी इटली की राजनीति में उथल-पुथल होने से, दुनिया का ध्यान उस ओर आकर्षित होना स्वाभाविक है। पिछले कुछ हफ़्तों से इस बात का कयास लगाया ही जा रहा था कि इटली की सरकार अब गिरी की तब गिरी। वह दिन 21 जुलाई को आ ही गया, जब प्रधानमंत्री मारियो ड्रैगी को इस्तीफा देना पड़ा। संसद को भंग कर दिया गया है। आगामी 25 सितंबर को नए सिरे से मतदान कराया जान तय हुआ है। वैसे भी आठ महीने बाद वर्तमान सरकार का कार्यकाल समाप्त हो ही रहा था। मगर क्या इस बार भी किसी एक पार्टी को या चुनाव पूर्ण गठबंधन दल को पूर्ण बहुमत मिल पाएगा?
इटली के संशोधित संविधान के तहत, चैंबर आॅफ डेप्युटी के चार सौ सदस्य और गणतंत्र की सीनेट के दो सौ निर्वाचित सदस्य होंगे, जो क्रमश: 630 और 315 हुआ करते थे। मगर जो चिंता कुछ हलकों में देखी जा रही है, कहीं वह हकीकत में न बदल जाए। ओपिनियन पोल में 22-23% वोट के साथ धुर दक्षिणपंथ के बढ़त बनाने के साथ, नव-फासीवादी जड़ों वाली उनकी पार्टी दक्षिणपंथी लीग और केंद्र-दक्षिणपंथी फोर्जा इटालिया के साथ इटली में कहीं सत्ता हासिल कर लिया तो क्या होगा? क्योंकि दूसरे विश्व युद्ध के बाद, यूरोप के कुछ हिस्सों में उग्र राष्ट्रवादी विचारधारा फिर से पनपने लगी है, जो क्षेत्र की शांति एवं स्थिरता के लिए खतरा पैदा कर सकता है।
लगता है, कांग्रेस कोई भी सबक नहीं सीखना चाहती। देश में आज भी कांग्रेस को चाहने वालों की कमी नहीं है। मगर उसके नेताओं को कुल्हाड़ी पर पैर रखने की आदत पड़ गई है। अपने उल्टे-पुल्टे बयानों से अपने लिए ही मुसीबत खड़ी कर लेते हैं। जबकि हर समझदार व्यक्ति जो लोकतंत्र में विश्वास करता है, वह मजबूत विपक्ष के रूप में कांग्रेस को ही देखता हैं।
देश के किसी भी कोने में कैसा भी चुनाव हो तो कांग्रेस दूसरे स्थान पर रहती है। अब गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष जगदीश ठाकोर को क्या जरूरत थी ऐसे बयान देने की कि 'देश की संपत्ति पर पहला हक अल्पसंख्यकों का है'। गुजरात में विधानसभा चुनाव के पूर्व इस बयान से बवाल मचा हुआ है। कांग्रेस के नेताओं को सभी के कल्याण की बात करना होगी, चाहे वह अल्पसंख्यक हो या बहुसंख्यक। इससे ही कांग्रेस की जड़ हरी-भरी होगी। कांग्रेस को आगे बढ़ना और मजबूती पाना है तो अब ऐसे बयानों से बचना होगा। अन्यथा कुल्हाड़ी पर पैर रखते रहो, नुकसान कांग्रेस का ही है।