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मशहूर पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला(Sidhu Moose Wala Murder) के पंजाब में हुए कत्ल के बाद से उठा आंधी का गुबार थमने का नाम नहीं ले रहा है
संजीव चौहान |
मशहूर पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला(Sidhu Moose Wala Murder) के पंजाब में हुए कत्ल के बाद से उठा आंधी का गुबार थमने का नाम नहीं ले रहा है. एक कत्ल के पीछे जितने मुंह उससे कहीं ज्यादा बातें. घटना के लिए कोई पंजाब राज्य सरकार को कोस रहा है तो कोई पंंजाब पुलिस को लानत-मलामत भेज रहा है. कुछ लोग इस लोमहर्षक हत्याकांड में कई राज्यों के लिए सिरदर्द बने और लंबे समय से एशिया की तिहाड़ जेल में कैद, गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई को मुख्य सूत्रधार बता रहा है तो कुछ लोग कनाडा में छिपे बैठे पंजाब और भारत के मोस्ट वॉन्टेड गोल्डी बराड़ का हाथ सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड में बता-जता रहे हैं. यह अलग बात है कि इतनी तमाम जानकारी जिस पंजाब पुलिस के पास होनी चाहिए थीं, वह हत्याकांड के दो दिन बाद तक खाली हाथ बैठी है. भले ही कहने-देखने-सुनने को क्यों न पंजाब से लेकर दिल्ली और उत्तराखण्ड तक पुलिस ने हमलावरों की धर-पकड़ में अपनी सांस फुला रखी हो. आइए जानते हैं कि आखिर इस हत्याकांड में अब तक निकल कर सामने आई तस्वीरों को देखने से क्या कुछ समझ में आता है? उल्लेखनीय है कि मशहूर पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला को उनकी सुरक्षा हटने के, अगले दिन ही गोलियों से भून डाला गया.
सिद्धू मूसेवाला की मौत ने पंजाब सरकार की सांसे फुला दी
सिद्धू मूसेवाला की लोमहर्षक अकाल मौत ने पंजाब सरकार (Punjab Government) और वहां की पुलिस (Punjab Police Sidhu Moose Wala Killing) की सांसे फुला दी हैं. गंभीर यह है जो पुलिस और पंजाब सरकार हत्याकांड को लेकर कटघरे में खड़ी है वही, इस मामले की जांच में जुटी है. आखिर क्या वजह है कि राज्य सरकार किसी भी कीमत पर सिद्धू मूसे वाला हत्याकांड की जांच, अपने हाथों से हटाकर सीबीआई के हाथों में जाने देना नहीं चाहती है? जब हत्याकांड के दो-तीन दिन बाद भी पंजाब पुलिस खाली हाथ बैठी है, तब ऐसे में यह सवाल भी जेहन में कौंधना लाजिमी है. ऐसा नहीं है कि सिद्धू मूसे वाला से ज्यादा सनसनीखेज हत्याकांडों को पंजाब की सर जमीं पर अब से पहले अंजाम नहीं दिया गया था. सिद्धू मूसे वाला अपने जीते-जी भी अपनी अलग अलग तरह की कारगुजारियों के चलते चर्चित रहते थे. वो फिर चाहे गीत संगीत की दुनिया हो. गानों के वीडियो एलबम में स्वचालित हथियारों के साथ सिद्धू मूसे वाला की मौजूदगी या फिर गायकी से अलग हटकर राजनीति की दुनिया में पांव रखने के चलते सिद्धू मूसे वाला का चर्चाओं में आना. जितनी सफलता लेकिन सिद्धू मूसेवाला को गायन की दुनिया में मिली उतनी, शोहरत उन्हें कहीं किसी और देहरी पर नहीं मिली. अगर कहीं और मिली भी तो सिर्फ चर्चा, बदनामी. थाना-चौकी या फिर उनके आसपास चंद संदिग्ध लोगों की मौजूदगी की खबरों को हवा मिली.
सिद्धू मूसेवाला सिर्फ गीत-संगीत की दुनिया तक ही नहीं सिमटे थे
कहूं कि सिद्धू मूसेवाला सिर्फ गीत-संगीत की दुनिया तक ही नहीं सिमटे थे. उनकी दुनिया का दायरा जितना बड़ा था. उतनी ही दुश्वारियां उनकी जिंदगी में बढ़ती चली गईं. ऐसे दुनिया भर में चर्चित हरफनमौला पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड ने समझिए आग में घी का काम कर डाला. आज जब सिद्धू मूसे वाला इस इंसानी दुनिया से रुखसत हो चुके हैं. तब चर्चाओं का बाजार और भी ज्यादा गरम हो चुका है. यहां तक कि लोग उनका कुछ असामाजिक तत्वों के साथ उठने-बैठने की चर्चाएं तक दबी जुबान कर रहे हैं. कुछ साल पहले हुए एक हत्याकांड में भी सिद्धू मूसेवाला का नाम उछला था. मतलब भले ही सिद्धू मूसेवाला के ऊपर सीधे सीधे कोई आरोप कभी न लगा हो. इसके बाद भी मगर वे कहीं न कहीं किसी न किसी तरह से विवादित या कहिए चर्चाओं में जरूर बने रहे. एक बार तो पंजाब पुलिस को उनके खिलाफ मुकदमा तक दर्ज करना पड़ गया था.
सिद्धू वाला हत्याकांड की तह तक भले ही पंजाब पुलिस न पहुंच सकी हो. लोग मगर इस हत्याकांड के तार कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई और गोल्डी बराड़ से जोड़ने लगे हैं. इसमें कोई शक नहीं है कि धुंआ वहीं उठता है जहां कभी आग लगी हो. मतलब कहीं न कहीं तो कुछ न कुछ गड़बड़ या संदिग्ध रहा जो, किसी सिंगर को अपराधियों ने इस तरह घेरकर गोलियों से भून डाला. माना कि सिद्धू मूसेवाला के ऊपर कभी कोई गंभीर आरोप नहीं लगे. इसके बाद भी मगर वे निर्विवाद भी तो नहीं थे. हत्याकांड की जांच में जो निकल कर सामने आएगा सो आएगा. इस वक्त अगर लॉरेंस बिश्नोई और गोल्डी बराड़ से गुंडों का नाम इस लोमहर्षक हत्याकांड में निकल कर सामने आ रहा है. साथ ही इस हत्याकांड के हड़बड़ाए तिहाड़ जेल में बंद लॉरेंस बिश्नोई जैसे खूंखार बदमाश ने अगर, पंजाब में अपने एनकाउंटर कर दिए जाने की आशंका जताई है.
तो इससे मतलब साफ है कि कहीं न कहीं दाल में कुछ तो काला है. अगर सिद्धू मूसेवाला के इर्द-गिर्द गलत सोहबत वालों का चक्र मौजूद न होता तो फिर भला किसी गायक के ऐसे अंत की कल्पना भी कैसे और क्यों कोई कर डालता? हालांकि जब तक हत्यारे न पकड़े जाएं तब तक कुछ भी ठोस कहना उचित नहीं होगा. संभव है कि विरोधी गुट सिद्धू मूसे वाला की शोहरत, धन-दौलत का दुश्मन बना बैठा हो. जिसकी परिणति इस हत्याकांड के रूप में सामने आई. फिलहाल इस लोमहर्षक हत्याकांड में शामिल अपराधियों से कहीं ज्यादा सांस फूल रखी है, पंजाब सरकार और वहां की पुलिस की. क्योंकि जिस दिन राज्य हुकूमत के इशारे पर पंजाब पुलिस ने सिद्धू मूसेवाला की सुरक्षा वापिस ली. उसके दो दिन के भीतर ही पहले से घात लगाए बैठे हत्यारों ने सिद्धू मूसे वाला को गोलियों से छलनी कर डाला.
पंजाब पुलिस हर हाल में मिट्टी डालने पर आमादा है
जब सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड के अंदर झांककर देखिए तो तमाम झोल के साथ साथ, आपको कई सवाल भी मुंह बाए हुए खड़े दिखाई देने लगेंगे. वे सवाल जिन पर पंजाब राज्य सरकार और पंजाब पुलिस हर हाल में मिट्टी डालने पर आमादा है. सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड में राज्य सरकार और पंजाब पुलिस की जो जिम्मेदारी तय होगी वह बाद में होती रहेगी. सवाल यह है कि आखिर सिद्धू मूसेवाला को जब इस तरह की जानलेवा थ्रेड थी तो फिर, उनकी सुरक्षा हटाने की सिफारिश किसने और किस दम पर कर डाली? क्या राज्य पुलिस या राज्य सरकार के उस अधिकारी के खिलाफ सिद्धू मूसे वाला हत्याकांड में, मुकदमा दर्ज करके उसे गिरफ्तार करके जेल में नहीं डाल दिया जाना चाहिए? इस बिना पर कि आखिर उसने सिद्धू मूसे वाला की सुरक्षा हटाने की यह सिफारिश किस आधार पर कर डाली थी कि, अब सिद्धू मूसेवाला की जान को कोई खतरा नहीं है?
इस अक्षम्य गलती के चलते सुरक्षा हटने के दो दिन के भीतर ही सिद्धू मूसे वाला को गोलियों से सरेआम छलनी कर डाला गया. दूसरा सवाल यह पैदा होता है कि जब, खुद सिद्धू मूसे वाला जानते थे कि उनकी जान को खतरा है. दो दिन पहले ही उनकी सुरक्षा में तैनात तमाम हथियारबंद सुरक्षाकर्मियों को हटाकर, उनकी जिंदगी दो निजी सुरक्षा कर्मियों के रहम-ओ-करम के हवाले कर दी गई थी. तब क्या खुद इस सबसे सतर्क सिद्धू मूसे वाला को, अपनी सुरक्षा का इंतजाम खुद नहीं करना चाहिए था? मतलब कहीं न कहीं अपनी इस अकाल मौत के लिए सिद्धू मूसे वाला या उनके अपने भी, प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार हैं! तीसरा सवाल कि तमाम सुरक्षा गार्ड हटाने के वक्त जो दो सुरक्षाकर्मी सिद्धू मूसेवाला के साथ छोड़े गए थे. आखिर वे गोलीकांड के वक्त कहां थे? क्या उन्हें बतौर अंगरक्षक सिद्धू मूसे वाला के साथ नहीं होना चाहिए था?
आखिर वे दोनों सुरक्षाकर्मी किन हालातों में सिद्धू मूसेवाला से उस वक्त दूर थे जब पहले से घात लगाए बैठे बदमाशों ने सिद्धू मूसेवाला को सुनसान मोड़ वाले रास्ते पर घेर कर उनके ऊपर गोलियां बरसा दीं. यह तो बात रही सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड के बाद उठ रहे सवालों की. अगर सिद्धू मूसे वाला हत्याकांड में कनाडा में मौजूद कुछ अपराधियों और दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद कुख्यात गैंगस्टर लॉरेन विश्नोई का नाम आने की बात करें तो, ऐसे में सवाल यह पैदा होता है कि आखिर राज्य सरकार मामले की जांच तत्काल देश की इकलौती काबिल जांच एजेंसी सीबीआई के हवाले करने से कन्नी क्यों काट रही है?अगर जांच सीबीआई को थमा दी जाए तो वह स्वतंत्रता पूर्वक जांच को विस्तृत रूप से अंजाम दे सकने की हैसियत या फिर कहिए कि ह़क रखती है. सीबीआई कनाडा में छिपे संदिग्ध षडयंत्रकारियों की गर्दन तक पहुंचने के लिए भी सीधे इंटरपोल से संपर्क साधने में सक्षम है.
जबकि यह क्षमता पंजाब राज्य पुलिस की नहीं है कि वह सीधे पंजाब में बैठकर, किसी अंतरराष्ट्रीय जांच एजेंसी से संपर्क साध सके. ऐसे में सवाल पैदा हो रहा है कि आखिर, हत्याकांड के तीन दिन बाद भी पंजाब राज्य की हुकूमत ने जांच सीपबीआई के हवाले क्यों नहीं की? वजह साफ है कि अगर पंजाब राज्य की हुकूमत जांच तुरंत ही सीबीआई के हवाले कर देगी तो, सबसे पहले सीबीआई के शिकंजे में राज्य सरकार और उसकी पुलिस की वो टीम या वे अधिकारी फंसेगे जिन्होंने, सिद्धू मूसेवाला की सिक्योरिटी हटाने की सिफारिश की थी. और पंजाब की हुकूमत यह कभी नहीं चाहेगी कि, रेवड़ी की तरह अपने करीबी वीवीआईपी को सुरक्षा बांटने की "बंदरबांट" के चक्कर में, उसने सिद्धू मूसे वाला से होनहार मशहूर पंजाबी गायक की जिंदगी, असमय ही गोलियों से छलनी करवा डाली! मतलब साफ है कि सीबीआई के हवाले जांच करते ही सबसे पहले, जिम्मेदारी का फंदा राज्य पुलिस और पंजाब सरकार के हुक्मरानों के ही गले में कसा जाएगा.
मूसेवाला सा होनहार पंजाबी गायक दुनिया से असमय चला गया
बहरहाल जो भी हो सिद्धू मूसेवाला सा होनहार पंजाबी गायक दुनिया से असमय ही चला गया. किसी के कत्ल के बाद अब कारण-निवारण तलाशते रहिए. वे सब बेइमानी है. एक इंसान की जान तो क्रूर काल के हाथों निगल ही ली गई. जिसकी कोई भरपाई कदापि नहीं हो सकती है. हां, एक सिद्धू मूसे वाली की ऐसी लोमहर्षक मौत सौ-सौ सवाल हमारे और आपके सामने जरूर उछाल गई है. किस आखिर कब तक सत्ता के गलियारों में मौजूद सिंहासनों पर सजे बैठे. सफेदपोश इसी तरह अपनों को रेवडियों की तरह, सरकारी सुरक्षा मुहैया कराने के फेर में फंसकर. सुरक्षा के जरूरतमंदों लोगों से सुरक्षा हटाकर उन्हे सिद्धू मूसे वाला सा बलि का बकरा बनवाते रहेंगे? सत्ता के सिंहासनों पर काबिज होने वाले सत्तासीन आखिर क्यों भूल जाते हैं कि, आज अगर वे सिद्धू मूसा वाले से जरूरतमंदों की सुरक्षा कम करके, उनकी जिंदगी अकाल मौत के हाथों जाने अनजाने छिनवाने का कलंक अपने माथे पर लगा रहे हैं. तो आने वाले वक्त में जब ये खुद सत्ता से बे-दखल होंगे, और इनकी सुरक्षा छीन ली जाएगी, तब यह क्या करेंगे?
लॉरेंस बिश्नोई गैंग पर एक नजर
अब एक नजर लॉरेंस बिश्नोई गैंग पर भी डालते हैं. जिसका नाम गोल्डी बराड़ के साथ इस मामले में उछल कर सामना आ रहा है. दरअसल लॉरेंस बिश्नोई कई राज्यों के रडार पर हमेशा रहता है. चाहे वो जेल के भीतर हो या फिर बाहर. कभी छात्र नेता रहा लॉरेंस बिश्नोई ने अपने गैंग कॉलेज टाइम में ही तैयार कर लिया था. जिसमें कई शूटर-गैंगस्टरल पुलिस मुठभेड़ों और गैंगवारों में अब तक मारे जा चुके हैं. 50 से ज्यादा गैंगस्टर देश की अलग अलग जेल में कैद पड़े हैं. पुलिस रिकार्ड के मुताबिक उसके ऊपर अभी भी कम से कम 25 संगीन मुकदमे दर्ज हैं. इसके अलावा छह राज्यों में उसके 400 से ज्यादा गुंड़े आज भी खुलेआम कॉंट्रेक्ट किलिंग और जबरन धन वसूली में जुटे हैं. लॉरेंस बिश्नोई ने गैंगस्टर काला जठेड़ी नरेश सेठी से भी हाथ मिलाया हुआ है. जिनके नाम से अच्छे अच्छे गैंगस्टर्स की घिग्घी बंध जाती है.
लॉरेंस बिश्नोई को भारत के बाहर भी गुंडों को पालने का बेहद शौक
लॉरेंस बिश्नोई को भारत के बाहर भी गुंडों को पालने का बेहद शौक है. ताकि उसकी विदेशों में भी धमक बनी रहे. या फिर विदेशी गुंडे अगर उसे भारत में कोई शिकार हलाल करने का टारगेट दें तो उससे मोटी आय हो सके. इसीलिए उसने मेक्सिको, इटली और थाईलैंड, दुबई में बैठे अपने गैंगस्टर्स के साथ मिलकर भी क्राइम सिंडिकेट तैयार कर रखा है. यह सब मिलकर रंगदारी, ड्रग्स तस्करी, जमीन कब्जा और हत्याओं को अंजाम देते रहते हैं. अगर किसी कॉंट्रेक्ट किलिंग में मोटा पैसा मिलने की उम्मीद है तो, लॉरेंस बिश्नोई के शूटर उसके एक इशारे पर किसी का भी खून करने के लिए हसंते हंसते तैयार रहते हैं. लॉरेंस बिश्नोई के बारे में कहा जाता है कि वह अपने निशाने पर बॉलिवुड सेलिब्रिटीज, पंजाबी सिंगर्स और ऐक्टर्स को ही रखता है. क्योंकि यह सब अपनी इज्जत और जान बचाने की खातिर लॉरेंस बिश्नोई के आदमी द्वारा की गई एक फोनकॉल पर हाजिर रहते हैं.
कहा तो यह भी जाता है कि बिश्नोई के कथित रूप से अंतरराष्ट्रीय ड्रग ट्रैफिकर अमनदीप मुल्तानी के साथ भी अच्छे रिश्ते हैं. मुल्तानी मेक्सिकन ड्रग कार्टेल्स से जुड़ा हुआ है. उसे कुछ समय पहले ही अमेरिकी एजेंसी ने गिरफ्तार किया था. बिश्नोई का दूसरा इंटरनैशनल कॉन्टैक्ट यूके में रहने वाला मॉन्टी था जिसके इटैलियन माफिया से करीबी रिश्ते थे. पंजाब में सिंगर सिद्धू मूसे वाला की हत्या के तीन घंटे बाद गोल्डी बराड़ ने. फेसबुक पोस्ट डालकर वारदात की जिम्मेदारी ली थी. गोल्डी बराड़ के बारे में कहा जाता है कि लॉरेंस बिश्नोई और गोल्डी बराड़ दो जिस्म एक जान हैं. एक भारत में तो दूसरा विदेश में बैठकर जरायम की दुनिया का काला कारोबार संभालता है. गैंग में दोनो की ही बराबर की चलती है. सिद्धू मूसे वाला हत्याकांड की जिम्मेदारी अपने ऊपर लेते हुए गोल्डी ने तो यहां तक लिख दिया है कि, "मेरे साथी की हत्या के मामले में मूसेवाला का नाम आया था. लेकिन अपनी पहुंच के चलते वह बच गया और सरकार ने उसे सजा नहीं दी. इसलिए हत्या को हमने (लॉरेंस गोल्डी गैंग) अंजाम दे दिया है."
सोर्स- tv9hindi.com
Rani Sahu
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