सम्पादकीय

शरद पवार का ब्लॉग: संगठन में हों या सरकार में आलोचनाओं को झेलते हुए विवादों में नहीं उलझते थे जवाहरलाल दर्डा

Rani Sahu
2 July 2022 5:58 PM GMT
शरद पवार का ब्लॉग: संगठन में हों या सरकार में आलोचनाओं को झेलते हुए विवादों में नहीं उलझते थे जवाहरलाल दर्डा
x
जवाहरलाल दर्डा तथा मुझमें एक पीढ़ी का अंतर होने के बावजूद उनके (बाबूजी) व्यवहार, उनके सामाजिक कार्यों तथा राजनीति में यह अंतर हमें कभी महसूस नहीं हुआ. वह सबको साथ लेकर काम करने वाले दिलदार नेता थे


By लोकमत समाचार सम्पादकीय
जवाहरलाल दर्डा तथा मुझमें एक पीढ़ी का अंतर होने के बावजूद उनके (बाबूजी) व्यवहार, उनके सामाजिक कार्यों तथा राजनीति में यह अंतर हमें कभी महसूस नहीं हुआ. वह सबको साथ लेकर काम करने वाले दिलदार नेता थे. सन् 1972 में वसंतराव नाईक मंत्रिमंडल में मैं राज्यमंत्री के रूप में शामिल हुआ.
उस वक्त दर्डाजी विधान परिषद के सदस्य तो थे ही, लेकिन साल भर पहले नागपुर में शुरू हुए दैनिक लोकमत के वह संस्थापक-संपादक भी थे. मेरे राज्यमंत्री बनने पर वह मुझे बधाई देने आए थे. मैं तथा विट्ठलराव गाडगिल प्रदेश कांग्रेस के सचिव और दर्डाजी कोषाध्यक्ष थे.
'हमारा काम ही हमारा जवाब है'- जवाहरलाल दर्डा
संगठन में हों या सरकार में, उनकी कितनी आलोचना क्यों न हुई हो, वे किसी भी विवाद में नहीं उलझे, सफाई देते नहीं रहे. उनका स्पष्ट मत था कि 'हमारा काम ही हमारा जवाब है, सबको साथ लेकर काम करते रहना चाहिए.' देश की आजादी के लिए कारावास की सजा भोगने वाले दर्डाजी की अपनी विचारधारा के प्रति आस्था अडिग थी.
स्वतंत्रता के बाद लोकनायक बापूजी अणे के नेतृत्व में संचालित 'लोकमत' पाक्षिक की कमान दर्डाजी ने अपने हाथों में ली, उसे पहले साप्ताहिक और बाद में दैनिक का रूप दिया. एक छोटे से शहर के साप्ताहिक को राज्य स्तर का बनाना आसान काम नहीं होता. 'लोकमत' ने सभी जाति, धर्मों तथा समस्याओं को स्थान दिया.
जवाहरलाल दर्डा का महाराष्ट्र के लिए योगदान
मेरे मंत्रिमंडल में दर्डाजी दो बार शामिल रहे. उद्योग मंत्रालय की जिम्मेदारी संभालते हुए दर्डाजी ने महाराष्ट्र में वर्तमान वैभवशाली उद्योग जगत की बुनियाद रखी. नागपुर के पास बूटीबोरी के विकास का शुभारंभ उनके उद्योग मंत्री रहते ही हुआ. स्वास्थ्य मंत्री के रूप में दर्डाजी ने यवतमाल जैसे क्षेत्र में मेडिकल कॉलेज शुरू करवाया था.
दर्डाजी ने इस बात पर जोर दिया कि उच्च शिक्षा की सुविधा ग्रामीण क्षेत्रों में उपलब्ध होनी चाहिए. उन्होंने अपने इस विचार को साकार करके बताया. उन्हें जो-जो जिम्मेदारी सौंपी गई, उसे उन्होंने प्रभावशाली ढंग से निभाया. किसी मंत्रालय की जिम्मेदारी हो या कांग्रेस का कोषाध्यक्ष पद हो, उन्होंने सफलतापूर्वक निभाया है.
सत्ता में रहकर भी सरकार के खिलाफ चलवाए खबरें
1985 में जब कांग्रेस की शताब्दी के अवसर पर मुंबई में अधिवेशन हुआ, तब लाखों कार्यकर्ताओं के तीन दिन के भोजन की व्यवस्था करना बेहद कठिन काम था लेकिन दर्डाजी ने यह काम बड़ी मेहनत तथा उत्कृष्ट ढंग से किया. इस अधिवेशन में सर्वोत्कृष्ट कार्य दर्डाजी का था.
15-20 वर्ष तक सरकार में रहकर अखबार चलाना आसान काम नहीं होता. दर्डाजी ने जरूरत पड़ने पर सरकार के विरोध में भी खबरें प्रकाशित करने का साहस दिखाया. आम आदमी के लिए उन्होंने अपने अखबार को समर्पित किया.
'लोकमत' को आजाद होकर काम करने दिया
सरकार में रहते हुए 'लोकमत' के संपादकीय कार्य में उन्होंने कभी हस्तक्षेप नहीं किया. इसी कारण 'लोकमत' अग्रणी समाचार पत्र बन सका. मंत्रिमंडल में मेरे सहयोगी, निष्ठावान राजनेता, प्रगतिशील पत्रकार तथा आम आदमी के प्रति आत्मीयता रखने वाले नेता के रूप में दर्डाजी के कार्य सर्वांगीण थे.
उनकी जन्मशताब्दी के निमित्त अनेक कार्यक्रम होंगे परंतु मेरी नजर में राजनीति में सहजता तथा नम्रता, दैनिक लोकमत, नागपुर के पास बूटीबोरी में एमआईडीसी तथा यवतमाल का शासकीय मेडिकल कॉलेज ही दर्डाजी के सबसे बड़े स्मारक हैं.
Rani Sahu

Rani Sahu

    Next Story