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By: divyahimachal
यदि भारतीय कुश्ती संघ में फिजियोथेरेपिस्ट रहे परमजीत मलिक के खुलासे पर भरोसा किया जाए और दिल्ली पुलिस उन्हें चश्मदीद गवाह के तौर पर समन कर उनके बयान दर्ज करे, तो पहलवानों के यौन-शोषण केस में तूफान मच सकता है। फिजियो के खुलासों का सारांश है कि कुश्ती संघ और कैंपों के भीतर 100 से ज्यादा महिला पहलवानों का यौन-शोषण किया गया। उन्हें इस काम के लिए विवश किया गया। रात के अंधेरे में वे वाहन लड़कियों को लाने के लिए भेजे जाते थे, जो कुश्ती संघ के तत्कालीन अध्यक्ष एवं भाजपा के बाहुबली सांसद बृजभूषण शरण सिंह की सुरक्षा में तैनात किए गए थे। फिजियो का दावा है कि कई महिला पहलवानों ने उनसे अपना दुखड़ा रोया। वे किसी भी सूरत में कुश्ती नहीं छोडऩा चाहती थीं, क्योंकि उन्होंने चैम्पियनशिप का पर्याप्त प्रशिक्षण ग्रहण कर लिया था। फिजियो ने तत्कालीन कोच कुलदीप मलिक और सेन से भी उस ‘नरक’ का कई बार उल्लेख किया था। अंतत: कुश्ती संघ से फिजियो की ही छुट्टी कर दी गई। एक और चश्मदीद साक्ष्य हैं-जगबीर सिंह। वह कुश्ती के कई मुकाबलों में अंतरराष्ट्रीय रेफरी थे। उन्होंने थाईलैंड के फुकेट आईलैंड के एक प्रसंग का खुलासा किया है, जब बृजभूषण ने फोटो सेशन के दौरान ही एक महिला पहलवान को आपत्तिजनक रूप से छुआ था और लडक़ी को अपनी अस्मत बचाने को वहां से भागना पड़ा था। विदेश में बृजभूषण ने भारतीय भोजन की व्यवस्था कराई थी और सभी खिलाडिय़ों, कोच, रेफरी और कुश्ती संघ के मौजूद अधिकारियों आदि को न्योता दिया गया था। उस दौरान बृजभूषण शरण सिंह और अन्य ने खूब शराब पी और महिला पहलवानों पर फब्तियां भी कसीं। उन्हें गलत जगह छुआ भी गया। पुलिस ने रेफरी से बात कर बयान भी लिए हैं। कुश्ती के दोनों ओहदेदारों ने आंखों देखी करतूतों का सार्वजनिक खुलासा भी किया है। हरियाणा के सोनीपत में 10 जून को जो खाप पंचायत बुलाई गई थी, जगबीर तो उसमें भी मौजूद थे और उन्होंने कुश्ती के ‘भेडिय़ों’ का भंडाफोड़ जरूर किया होगा। दरअसल यह मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय कुश्ती संघ की ‘काली-भद्दी हरकतों’ का ब्यौरा बयां कर रहा है। यदि देश की राष्ट्रीय ओलंपिक परिषद अंतरराष्ट्रीय परिषद को यौन-शोषण, उत्पीडऩ की शिकायत कर दे, तो बृजभूषण को खेल के संघों और दुनिया से उम्र भर के लिए प्रतिबंधित किया जा सकता है। प्रधानमंत्री मोदी और अन्य पक्ष ऐसी गंभीरता और फजीहत को लेकर चिंतित क्यों नहीं हैं? यह मामला बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक, विनेश फोगाट आदि विख्यात पहलवानों का नहीं है। वे तो दुनिया में भारत और कुश्ती का परचम लहरा चुके हैं। यदि यहीं उनके करियर पर विराम लग जाता है, तो उन्हें ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन एक ही खेल-संघ के भीतर 100 से ज्यादा महिला पहलवानों का यौन-शोषण…! यकीनन यह एक गंभीर अपराध है। कुश्ती का खेल प्रभावित हो सकता है! भारत के खेलों पर लैंगिक उत्पीडऩ का धब्बा लगाया जा सकता है। एक सरकार के तौर पर, सिर्फ अपने सांसद को बचाने के मद्देनजर, आंखें कब तक मूंदे रखोगे? कुछ गलत अफवाहें भी फैलाई जा रही हैं। साक्ष्यों से खिलवाड़ किया जा रहा है। ये भी अद्र्धसत्य हैं। यदि पॉक्सो कानून में प्राथमिकी दर्ज की गई है, तो उसे निरस्त करने का अधिकार सिर्फ उच्च न्यायालय को ही है। पुलिस या बाहुबली आरोपित इस संदर्भ में कुछ नहीं कर सकते। नाबालिग पहलवान ने धारा 164 के तहत न्यायाधीश के सामने जो बयान दर्ज कराया है और फिर दूसरा बयान दिया है, तो यह भी न्यायाधीश के विवेक पर है कि वह कौन-सा बयान स्वीकार करते हैं। बहरहाल सवाल यह है कि क्या यौन-अपराधों पर देश में इंसाफ नहीं मिलेगा?
Rani Sahu
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