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- भारत की सीरियसता को...
रवीश कुमार भारत एक सीरीयस प्रधान देश है. हम भारतीयों की सीरीयसता की ख़ास बात यह है कि हम हर बात को गंभीरता से लेते हैं. हंसने से पहले और हंसने के बाद सीरीयस होना, हमारी सीरीयसता का अभिन्न अंग है. हंसना दो सीरीयसताओं के बीच एक छोटा सा ब्रेक है. जब सारी बीमारी गोबर से ही दूर हो रही है तो फिर कॉमेडी की ज़रूरत नहीं है. सॉरी, अस्पताल की कोई ज़रूरत नहीं है. गोबर के रहते अस्पतालों के शिलान्यास हो रहे हैं और कॉमेडी शो कैंसिल हो रहे हैं. ये है हमारी सीरीयसता का लेवल. आप किसी भी शादी में चले जाइये. ज़्यादातर लोग सीरीयस मिलेंगे, जिन्हें नहीं मिला है वो भी सीरीयस होंगे और जिन्हें मिला है वो तो होते ही हैं. आप जानते हैं कि क्या मिला है और क्या नहीं मिला है. डांस फ्लोर पर जाने की दिली इच्छा सबकी होती है लेकिन डांस नहीं आने के कारण सब सीरीयस रहते हैं. ताकि स्पष्ट संकेत चला जाए कि लड़के के पिताजी सीरीयस हैं. वे डांस करना ठीक नहीं समझते. करोलबाग से खरीदी गई सौ रंगों की शेरवानी पहनकर नए फैशन को गले लगा रहे हैं मगर डांस फ्लोर पर नाच रही समधन को देख नए फैशन का ताना मार रहे हैं. इतनी सीरीयसताओं के बीच किसी को हंसाने की ज़रूरत नहीं है