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- सचिवालय की फाइल
सचिवालय की हर फाइल की गरिमा उससे जुड़ी भावना, प्रासंगिकता और प्राक्कथन पर निर्भर करती है। राज्य सचिवालय स्वयं में प्रशासन का सर्वोच्च शिखर होते हुए भी अपने संचालन का सर्वश्रेष्ठ ढूंढने के अल्फाज, दस्तखत और निर्देश ढूंढता है। ऐसे में हिमाचल सरकार ने मुख्य सचिव पद के हस्ताक्षर बदलते हुए भीतर रखी कई फाइलों की रूह बदलने का एहसास कराया या यह इतनी नार्मल रूटीन है कि इससे प्रशासनिक सफर की कहानी ही न बदले। यह विरोध में टपके विपक्ष की जिरह को खारिज कर देने का एक छोटा सा अभिप्राय माना जाए या हिमाचल विधानसभा में उठा यह प्रकरण सोचने पर विवश करेगा कि आखिर क्यों दो साल के बचे कार्यकाल से पहले मुख्य सचिव अनिल खाची अपने प्रशासनिक बंधन खोलकर चुनाव आयोग के कक्ष में चले जाते हैं। मानसून सत्र की मासूमियत में सरकार का अहम फैसला जिस बदलाव से सचिवालय की सूचना दे रहा है, उसके खिलाफ विपक्ष को क्यों खड़ा होना पड़ा। जाहिर है प्रदेश की मिट्टी अब राजनेताओं के सामने नौकरशाही व अफसरशाही को देखती है। इसका एक प्रमाण चारित्रिक व सुशासन से जुड़ा है, लेकिन दूसरी ओर राजनीति के अपने दंभ और दृष्टि है। प्रशासनिक आधार पर जनता ने पिछले दो सालों में कई जिलाधीशों के प्रदर्शन को सिर आंखों पर बैठा लिया या आपदाओं के दौरान कई नौकरशाह जनता की नजर में श्रेष्ठ हो जाते हैं।