सम्पादकीय

लाॅकडाउन का दायरा: अर्थव्यवस्था का पहिया इस तेजी से घूमे कि लाॅकडाउन अवधि में हुए नुकसान की हो सके भरपाई

Triveni
14 Jun 2021 3:00 AM GMT
लाॅकडाउन का दायरा: अर्थव्यवस्था का पहिया इस तेजी से घूमे कि लाॅकडाउन अवधि में हुए नुकसान की हो सके भरपाई
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राजधानी दिल्ली में लाॅकडाउन में और रियायत देने का जो फैसला किया गया, वह एक सही कदम है।

भूपेंद्र सिंह | राजधानी दिल्ली में लाॅकडाउन में और रियायत देने का जो फैसला किया गया, वह एक सही कदम है। उचित यह होगा कि जिन राज्यों में कोरोना संक्रमण में तेजी से गिरावट आ रही है, वे भी दिल्ली की राह पर चलें। ऐसा करते समय सबसे अधिक ध्यान इस पर देना होगा कि आर्थिक-व्यापारिक गतिविधियों को विशेष बल मिले। चूंकि जीवन बचाने जितना महत्वपूर्ण आजीविका के साधनों को सहारा देना है, इसलिए आर्थिक-व्यापारिक गतिविधियों को विशेष संरक्षण देना समय की मांग है। वास्तव में कोशिश इस बात की होनी चाहिए कि अर्थव्यवस्था का पहिया इस तेजी से घूमे कि लाकडाउन अवधि में हुए नुकसान की ज्यादा से ज्यादा भरपाई हो सके। यह कोशिश तब कामयाब होगी, जब यह देखा जाएगा कि वे गतिविधियां लाकडाउन के दायरे में न आने पाएं, जो अर्थव्यवस्था को गति देने में सहायक हैं। इस सिलसिले में राज्यों को कामगारों की उपलब्धता की खास परवाह करनी होगी। राज्यों को चाहिए कि वे कामगारों के लिए अनुकूल माहौल का निर्माण प्राथमिकता के आधार पर करें। इसी के साथ उन्हें इसके प्रति भी सतर्क रहना होगा कि कार्यस्थलों और सार्वजनिक स्थानों में कोरोना से बचे रहने के तौर-तरीकों पर सही तरह से अमल हो। नि:संदेह ऐसा तभी होगा, जब आम लोग भी शासन-प्रशासन का सहयोग करेंगे।

यह सही है कि कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर आने की आशंका है, लेकिन यदि टीकाकरण को तेज करने के साथ कोरोना से बचे रहने के उपायों को अपनाया जा सके तो इस लहर को रोकने या फिर उसे कुछ समय के लिए टालने में सफलता मिल सकती है। ध्यान रहे कि कई देशों में तीसरी लहर या तो आई नहीं या फिर कमजोर रूप में आई। यह भारत में भी संभव है और इसके लिए अभी से कोशिश की जानी चाहिए। इसके तहत टीकाकरण की रफ्तार बढ़ाने के लिए जो भी संभव है, वह किया जाना चाहिए। हालांकि 21 जून से टीकाकरण को गति देने के कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन बात तब बनेगी, जब वास्तव में ऐसा हो। टीकाकरण की रफ्तार बढ़ती हुई तब दिखेगी, जब प्रतिदिन कम से कम 50 लाख टीके लगें और फिर उनकी संख्या रोजाना एक करोड़ तक पहुंच जाए। यह कोई मुश्किल कार्य नहीं, बशर्ते टीकों की उपलब्धता बढ़ाने के साथ टीकाकरण केंद्रों की संख्या भी बढ़ाई जा सके। अभी सरकारी क्षेत्र में 40 हजार और निजी क्षेत्र में दो हजार टीकाकरण केंद्र हैं। इतनी बड़ी आबादी वाले देश में इतने टीकाकरण केंद्र पर्याप्त नहीं। टीकाकरण केंद्र बढ़ाने के साथ सरकारों को उस हिचक को तोड़ने के लिए भी कुछ करना होगा, जो टीका लगवाने को लेकर लोगों के मन में व्याप्त है।


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