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एनएसई (NSE) की पूर्व बॉस चित्रा रामकृष्ण (Chitra Ramkrishna) को “शेयर मार्केट की रानी” कहा जाता है
मेधा दत्ता यादव
एनएसई (NSE) की पूर्व बॉस चित्रा रामकृष्ण (Chitra Ramkrishna) को "शेयर मार्केट की रानी" कहा जाता है. सवाल यह है कि क्या वो इतनी नादान हैं कि उनसे चालाकी से गलत काम कराया जा सके? या फिर क्या उन्होंने नियामक प्राधिकरण सेबी की नाक के ठीक नीचे भारत के प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज में पैसा बनाने की योजना बनाई थी? एक अजीबोगरीब कार्रवाई के बाद जिस तरह का रहस्योद्घाटन हुआ वह एक चिंता का विषय बन गया है जिसमें घोर लापरवाही, अपने पद का दुरुपयोग और वित्तीय अनियमितता जैसे आरोप लगाए गए हैं. रामकृष्ण के कार्यकाल के दौरान हुई अनियमितताओं की कई एजेंसियों ने जांच की और फिर इसके बाद सीबीआई (CBI) ने रविवार को पूर्व एनएसई प्रमुख को गिरफ्तार कर लिया.
गिरफ्तारी से पहले, आयकर विभाग ने चित्रा रामकृष्ण और आनंद सुब्रमण्यम के परिसरों की तलाशी ली थी. ये आनंद वहीं हैं जिनकी नियुक्ति को कथित तौर पर रामकृष्ण के 'हिमालयी योगी' के इशारे पर मंजूरी दी गई थी. रामकृष्ण के मुताबिक इस "हिमालयी योगी" का कोई शारीरिक रूप नहीं था, लेकिन इस योगी के पास एक ई-मेल आईडी था जिसकी मदद से वह एनएसई के रोज-रोज के संचालन को लेकर रामकृष्ण के साथ पत्र-व्यवहार करने के अलावे निर्देश दिया करता था.
कांजीवरम साड़ी पहनने वाली रामकृष्ण को दुनिया की 50 सबसे शक्तिशाली महिला कारोबियों की फॉर्च्यून लिस्ट में चार भारतीयों के साथ सूचीबद्ध किया गया था. रामकृष्ण एनएसई की स्थापना के बाद से ही इसका हिस्सा थीं. उन्हें इनसाइडर-ट्रेडिंग अनियमितताओं के आरोप में हटा दिया गया था. एनएसई में कथित गवर्नेंस लैप्स के मद्देनज़र रामकृष्ण और सुब्रमण्यम के अलावा कई अन्य संस्थाएं भी संदेह के घेरे में आ गई हैं.
सारे सबूत मिटा दिए?
अपराध में शामिल दोषियों को सजा दिलाने की कोशिश में फरवरी में सेबी ने रामकृष्ण पर 3 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था, जबकि एनएसई, सुब्रमण्यम और एनएसई के पूर्व एमडी और सीईओ रवि नारायण पर 2-2 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया. इसके अलावा वीआर नरसिम्हन पर 6 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया, जो एक्सचेंज में मुख्य नियामक और अनुपालन अधिकारी थे. 2-3 करोड़ रुपये का जुर्माना एक बड़ी राशि की तरह लग सकता है लेकिन जो व्यक्ति 15-20 करोड़ रुपये सालाना कमाता हो उसे इससे क्या फर्क पड़ता है? सेबी द्वारा की गई कार्रवाई को महज कंधे पर हल्की थपथपी जैसा ही कहा जा सकता है.
जिस तरह से रामकृष्ण और सुब्रमण्यम एनएसई से बाहर निकले सवाल उससे भी उठते हैं. जाहिर तौर पर एक लैपटॉप को नष्ट कर दिया गया था जिसमें अपराध से संबंधित महत्वपूर्ण सबूत थे. I T अधिकारियों का दावा है कि गहन जांच से बचने के लिए सभी डिजिटल सबूतों को सावधानीपूर्वक मिटा दिया गया है. अफवाहें तो यह भी हैं कि कुछ ब्रोकरेज हाउसों को भी रामकृष्ण के कार्यकाल के दौरान संवेदनशील वित्तीय जानकारी दी जाती थी जिससे उनको काफी लाभ हुआ.
रहस्यमय 'हिमालयी योगी'
इन गोपनीय सामग्रियों को सीईओ द्वारा नियमित रूप से एक अज्ञात योगी को मेल किया जाता था और सुब्रमण्यम को भी कापी कर दिया जाता था. योगी और रामकृष्ण के बीच मेल से पता चलता है कि इस मकड़जाल में शामिल लोगों को नियमित रूप से पदोन्नति और उच्च मूल्यांकन के साथ पुरस्कृत किया गया था. कई ईमेल ऐसे भी थे जिसमें निजी बातों का जिक्र था. कर्नाटक संगीत की प्रेमी और वीणा के लिए जुनून रखने वाली चित्रा रामकृष्ण एशिया-प्रशांत क्षेत्र में एक एक्सचेंज का नेतृत्व करने वाली तीसरी महिला थीं. संदेशों से पता चलता है कि सीईओ की एक दिन तारीफ की गई क्योंकि वो कुछ खास दिख रहीं थी, योगी ने उसे अधिक आकर्षक दिखने के लिए अपने बालों को अलग तरीके से बांधने के लिए कहा, सेशेल्स में (यहां ये बताना जरूरी है कि सेशेल्स एक ऑफशोर टैक्स हैवेन के रूप में जाना जाता है) हुई एक मीटिंग, दिल्ली में एक अपार्टमेंट में 'एनएसई के संचालन पर चर्चा करने के लिए' एक गुप्त बैठक (निस्संदेह इससे सत्ता के गलियारों का पता चलता है)… वगैरह, वगैरह… हर गुजरते दिन के साथ मामला और गहरा होता जाता है.
कहानी में जबरदस्त खामियां हैं. रामकृष्ण काफी मजबूती से दावा करती हैं कि वे पिछले 20 वर्षों से इस 'योगी' से सलाह ले रही थीं, लेकिन वह कथित तौर पर उनसे कभी नहीं मिली थीं. उनके अनुसार उसके पास 'भौतिक" रूप नहीं है और वह अपनी इच्छा से ही प्रकट हो सकता है. लेकिन फिर भी, उसके पास एक ईमेल है और वह नियमित रूप से एनएसई प्रमुख से संवेदनशील अंदरूनी जानकारी मांगता है. यह भी उतना ही अजीब है कि जिस व्यक्ति ने देश में सेबी की स्थापना के लिए नियामक ढांचे को डिजाइन करने में सहयोग किया, उसने खुद एनएसई में कदाचार को सेबी के दायरे से बाहर रखने के तरीकों की तलाश की.
साथ ही ये भी एक हकीकत है कि रामकृष्ण द्वारा योगी को किए गए मेल को सुब्रमण्यम को भी कापी किया जाता था और मोटे तौर पर ये सुब्रमण्यम ही थे जो लगातार इस रिश्ते का फायदा उठा रहे थे. इससे ये शक उठना लाजिमी है कि शायद तथाकथित योगी और सुब्रमण्यम एक ही शख्स हैं. क्या यह सच में विश्वास करने लायक है कि रामकृष्ण जैसे तेज दिमाग को इस घपले का एहसास नहीं हुआ होगा? बहुत संभावना है कि ऐसा नहीं हो सकता है. रिपोर्टों के अनुसार, सीबीआई ने सुब्रमण्यम की पहचान योगी के रूप में की है. रामकृष्ण ही एक ऐसी शख्स थीं जिन्होंने सरकार को कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के पास पड़े कोष को शेयर बाजारों में निवेश करने के लिए प्रेरित किया था. बाद में सरकार ने उनकी सिफारिश पर अमल किया. आज उस मुद्दे पर पीछे मुड़कर देखना चौंकाने वाला लगता है और लगता है कि यह मूल रूप से हिमालयी योगी द्वारा रचा गया हो सकता है, न कि वित्तीय गणना के परिणामस्वरूप.
व्हिसलब्लोअर
2015 तक रामकृष्ण सबकी प्रिय थीं. फिर एक ट्रेडिंग घोटाला सामने आया और सिंगापुर के एक व्हिसलब्लोअर ने शिकायत की कि एनएसई ने कुछ हाई – फ्रिक्वेन्सी वाले कारोबारियों को अपने सर्वर तक तरजीह दी है. और इसके बाद से एनएसई के सीईओ के लिए चीजें मुश्किल होने लगीं. सेबी ने 2016 में एक जांच पैनल का गठन किया. उसी वर्ष रामकृष्ण और सुब्रमण्यम ने इस्तीफा दे दिया. इन्हें बर्खास्त नहीं किया गया जबकि सेबी को एनएसई में कॉर्पोरेट कुशासन के आरोपों में दम नज़र आया. इस साल फरवरी में, रामकृष्ण और हिमालयी योगी के बीच ईमेल लीक हो गए थे और इसने वित्तीय कदाचार और अंदरूनी व्यापार के नए आरोपों के साथ एनएसई में हंगामा खड़ा कर दिया.
Rani Sahu
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