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- ईमानदार अफसर को...
हे ईमानदार अफसर! (मान लेते हैं, कोई होता होगा, तो होता होगा) सब कुछ बन, पर ईमानदार मत बन। हां! ईमानदार जरूर दिख। क्योंकि इंसानियत के बाजार में जो दिखता है वही बिकता है। ईमानदार बन ही तो औरों को ईमानदारी का पाठ मत पढ़ा। ऐसा करेगा तो मारा जाएगा। सीट सीट से उतारा जाएगा। जन्म जन्म के चोर उचक्कों को ईमानदारी सिखाएगा तो मुंह की खाएगा। वे जब स्कूल में ही ईमानदारी नहीं सीखे तो अब क्या खाक सीखेंगे? जो काम करने को मन करता ही है तो चुपचाप अपना काम कर। मन करता है तो अफसर की कुर्सी पर बैठ मजे से आराम कर। यहां कुर्सी काम करने के लिए नहीं, आराम करने के लिए मिलती है। भले ही खुद नियम कानून में रह। अपने आप नियम कानून में रहना अच्छी बात है। पर दूसरों को नियम कानून सिखाना, बताना बहुत बुरी बात है। इससे व्यक्तिगत रूप से बड़ी हानि होती है। बेईमान लोग ईमानदारी के दूध में से ईमानदार को मक्खी की तरह उठाकर बाहर फेंक देते हैं। इसलिए नियम कानून के हिसाब से भले ही खुद चल, पर औरों को चलने को मजबूर न कर। नियम कानून अपने यहां दूसरों को दिखाने के लिए होते हैं, खुद को उन पर चलाने को नहीं। अच्छी बात है।