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- सवालों की रेत-बजरी
हिमाचल विधानसभा की बहस फिर से डा. राजीव बिंदल और रमेश धवाला को मुखर होते देख रही है, तो ऐसी चर्चाओं के कई आयाम स्थापित होंगे और यह समझना होगा कि दोनों बार उद्योग मंत्री को जवाबदेह बनाने की मेहनत की गई। डा. राजीव बिंदल ने इन्वेस्टर मीट के तकाजे पर अपनी ही सरकार की फेहरिस्त में हकीकत ढूंढने की कोशिश की। मसला अपनी प्रगतिशील सरकार के आईने के सामने नजर उठाकर देखने का है और यह भी कि साढ़े तीन साल बाद अपने ही वादों की गठरी खोलने की जरूरत रहेगी। यह विषय रोजगार के उस सत्य का है जो पिछले दो सालों में निजी क्षेत्र को उसी की विवशताओं के दंश झेलते देख रहा है। मानसून सत्र के दूसरे अध्याय पर फिर ज्वालामुखी के विधायक रमेश धवाला का आक्रोश अंकित है। धवाला अपने सवालों की रेत-बजरी तो वर्षों से ढो रहे हैं, लेकिन इस बार वह सदन के कठघरे में सरकार से सख्ती व तल्खी से पूछ रहे हैं। वह क्रशरों के अनायास बंद होने के आर्थिक व सामाजिक पहलू खोज रहे हैं, क्योंकि उपभोक्ता के लिए कई बार 'पर्यावरण' के संदेश घातक हो जाते हैं।