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- बचाव की प्राथमिकता
पिछले कई महीने से दुनिया के अलग-अलग देशों में कोविड-19 के इलाज के लिए कारगर टीका तैयार करने का काम जोर-शोर से जारी है और इसमें प्रगति की भी सूचनाएं हैं। हालांकि यह भी तथ्य है कि किसी भी गंभीर संक्रमण वाली बीमारी का टीका तैयार करने में लंबा वक्त लगता है। उसे अनेक प्रयोगों और परीक्षणों के दौर से गुजरना पड़ता है, उसे पूरी तरह सुरक्षित होने की कसौटी पर परखा जाता है। इस लिहाज से देखें तो अभी यह तय नहीं है कि कोविड-19 से बचाव के लिए जिन टीकों पर काम हो रहा है, उसके अंतिम रूप से तैयार होकर सामने आने में कितना वक्त लगेगा। मगर टीका आने के बाद जरूरतमंद तबकों के बीच प्राथमिकता के मुताबिक वहां तक उसकी पहुंच सुनिश्चित करना भी एक बड़ी चुनौती होगी।
इस संदर्भ में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री का यह बयान महत्त्वपूर्ण है कि टीका तैयार होकर आने के बाद स्वास्थ्यकर्मियों और बुजुर्गों को प्राथमिकता दी जाएगी। ये दोनों ही तबके चूंकि कोरोना के संक्रमण में आने के लिहाज से ज्यादा जोखिम की स्थिति में होते हैं, इसलिए इन्हें पहले सुरक्षित बनाना एक सही कदम होगा। अब तक दुनिया भर में यही देखा गया है कि इस बीमारी की जद में आने और जीवन गंवाने वालों में सबसे ज्यादा बुजुर्ग ही रहे। इसके अलावा, कोविड-19 के मरीजों के इलाज के क्रम में सीधे संपर्क में आने और खुद भी संक्रमित होने की वजह से कई डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की भी जान गई।
गौरतलब है कि कोरोना से बचाव के लिए कई देशों में टीका तैयार करने की कोशिश जारी है। कुछ समय पहले रूस की ओर से दावा किया गया था कि वहां चिकित्सा वैज्ञानिकों ने स्पुतनिक नामक टीका तैयार कर लिया है। तब इस महामारी का सामना करने के मामले में एक बड़ी उम्मीद जगी थी। लेकिन किसी भी संक्रामक रोग के लिए टीका तैयार करने की जो प्रक्रिया है, उसकी जटिलता और उसमें लगने वाले वक्त के मद्देनजर फिलहाल जल्दबाजी में तैयार किए गए टीके को लेकर अभी वैश्विक स्तर पर सहमति नहीं बन पाई है।
दरअसल, टीका तैयार करने को लेकर अधिकतम उच्चस्तरीय सावधानी की जरूरत इसलिए भी पड़ती है कि एक टीका जो जीवन रक्षक की भूमिका निभा सकता है, उसी में बरती गई बेहद मामूली कोताही किसी व्यक्ति के शरीर में दूसरी बीमारियां पैदा कर सकता है, उसकी जान तक जा सकती है। यही वजह है कि मनुष्यों को लगाए जाने वाले किसी भी टीके को पहले प्रयोगशालाओं में विभिन्न चरणों और पशुओं पर प्रयोग के बाद कुछ मानव समूहों पर भी परीक्षण के दौर से गुजारा जाता है। उसके दुष्परिणामों की हर आशंका को खत्म करके उसे निर्दोष बनाया जाता है। इसलिए यह ध्यान रखने की जरूरत होगी कि जो भी टीका तैयार होने के बाद उपलब्ध कराया जाए, वह वर्तमान और भविष्य में आम लोगों की सेहत के लिहाज से पूरी तरह सुरक्षित हो। इन तथ्यों के मद्देनजर फिलहाल इसका इंतजार करना होगा कि तमाम प्रयोगों और परीक्षणों से गुजरने के बाद दुनिया के चिकित्सा वैज्ञानिक किस टीके लेकर एक राय पर पहुंच पाते हैं।