सम्पादकीय

त्याग बनाम समर्थन

Subhi
23 Aug 2022 4:33 AM GMT
त्याग बनाम समर्थन
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हमारे समाज और राजनीति में किस तरह सिद्धांत तथा मूल्य अपनी शक्ल बदल रहे हैं, इसका अंदाजा त्यागी समुदाय की महापंचायत से लगाया जा सकता है। पहले समाज ऐसे व्यक्तियों का हुक्का-पानी बंद कर दिया करता था, जो सामाजिक मूल्यों के खिलाफ आचरण किया करते थे। अब ऐसे लोगों को महानायक की तरह पेश किया जाता है।

Written by जनसत्ता; हमारे समाज और राजनीति में किस तरह सिद्धांत तथा मूल्य अपनी शक्ल बदल रहे हैं, इसका अंदाजा त्यागी समुदाय की महापंचायत से लगाया जा सकता है। पहले समाज ऐसे व्यक्तियों का हुक्का-पानी बंद कर दिया करता था, जो सामाजिक मूल्यों के खिलाफ आचरण किया करते थे। अब ऐसे लोगों को महानायक की तरह पेश किया जाता है। उनका फूल-माला पहना कर महिमामंडन किया जाता है।

उनके समर्थन में पंचायत कर पीड़ित पक्ष को दंडित करने और कानूनी कार्रवाई करने वालों को बर्खास्त करने की आवाज बुलंद होती है। ज्यादा दिन नहीं हुए, जब श्रीकांत त्यागी नामक एक कथित भाजपा कार्यकर्ता ने अपनी ही सोसाइटी में रहने वाली महिला के साथ बदसलूकी की। उस घटना का वीडियो प्रसारित हुआ और चौतरफा विरोध के स्वर उभरने शुरू हुए तो प्रशासन सक्रिय हुआ। श्रीकांत फरार हो गया और उसे पकड़ने के लिए करीब एक दर्जन पुलिस टुकड़ियां गठित की गर्इं। उस पर पच्चीस हजार रुपए का इनाम भी घोषित कर दिया गया।

उत्तर प्रदेश प्रशासन ने उसके अवैध कब्जे ढहा दिए और उस पर गुंडा अधिनियम लगा दिया। तब श्रीकांत ने समर्पण किया। उसके बाद श्रीकांत के कुछ गुंडा किस्म के समर्थक उस सोसाइटी में पहुंच गए, जहां महिला के साथ बदसलूकी की गई थी। अब जब श्रीकांत पुलिस की गिरफ्त में है, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के त्यागी समुदाय के लोगों ने रविवार को महापंचायत बुला कर इसे अपनी पूरी जाति का अपमान बताया।

महापंचायत में सात से आठ हजार के करीब लोग जुटे और मंच से श्रीकांत त्यागी पर से गुंडा अधिनियम हटाने, उसके हटाए गए अवैध कब्जे को दुरुस्त करने, उसके जब्त सामान वापस करने, कार्रवाई करने वाले पुलिस अधिकारियों को बर्खास्त करने आदि की मांग उठाई गई। श्रीकांत त्यागी का चरित्र किसी से छिपा नहीं है।

वह किस तरह कुछ राजनेताओं के साथ मिलीभगत करके आगे बढ़ा और नोएडा तथा उसके आसपास बड़ी संपत्ति अर्जित कर ली, लाखों रुपए की कमाई करने लगा और किस तरह प्रशासन पर धौंस जमा कर अवैध गतिविधियों में संलिप्त रहा। सोसाइटी के रहवासियों को भय में रखने का प्रयास करता था और वहां अवैध कब्जा कर रखा था। ऐसी आपराधिक छवि वाले व्यक्ति को 'जाति' का गौरव बता कर उसके समर्थन में महापंचायत बुलाई जाए, तो इसे हमारे समाज का नैतिक उत्थान तो किसी भी रूप में नहीं कहा जा सकता।

ऐसे अनेक असामाजिक किस्म के छुटभैए नेता राजनीतिक संरक्षण में धौंसपट्टी पर अपनी छवि चमकाते और अवैध करोबार चलाते देखे जाते हैं। राजनीतिक दलों को लंबे समय से नसीहत दी जाती रही है कि वे आपराधिक छवि वाले लोगों को अपने से दूर रखें, पर वे अपना जनाधार बढ़ाने की मंशा से इन्हें प्रश्रय देते रहते हैं। फिर इसका नतीजा यह होता है कि वही राजनीतिक दलों की कलाई मरोड़ने पर उतर आते हैं।

श्रीकांत त्यागी के समर्थन में हुई महापंचायत इसी का नतीजा है। अब त्यागी समुदाय पूर्व मंत्री और भाजपा सांसद महेश शर्मा को खुली चुनौती दे रहा है और अगले लोकसभा चुनाव में सबक सिखाने की धमकी दे रहा है। यह पंचायत दरअसल श्रीकांत त्यागी का अपना जनाधार दिखाने और सत्तापक्ष पर दबाव बनाने का भी प्रयास थी। जब तक समाज में ऐसे लोगों को पनपने से रोकने की राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं दिखाई जाएगी, तब तक न सिर्फ सामाजिक ताने-बाने को दुरुस्त रखा जा सकता है, बल्कि राजनीतिक दलों के लिए भी जब-तब मुश्किलें खड़ी होती रहेंगी।


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