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- रूसी विदेश मन्त्री का...
भारत के आजाद होने के बाद से ही इसके सोवियत संघ (रूस) के साथ रिश्ते इतने प्रगाढ़ और मधुर रहे हैं कि इनकी तुलना किसी अन्य देश के साथ के सम्बन्धों से नहीं की जा सकती। इन रिश्तों का दायरा केवल सरकारों तक सीमित न रह कर दोनों देशों के लोगों के बीच भी इतना गहरा रहा है कि मैत्री की सीमाएं नहीं बांधी जा सकी। इसका प्रमाण पिछले 74 वर्षओं का दोनों देशों का इतिहास इस तरह दे रहा है कि कश्मीर समस्या से लेकर पाकिस्तान के साथ हुए हर युद्ध के समय रूस ने भारत के लिए मजबूत रक्षा कवच का काम किया। अतः रूस के साथ भारत के रिश्ते हमेशा समय की कसौटी पर खरे उतरते रहे और दोनों देशों के बीच सम्बन्ध उत्तरोत्तर और अधिक घनिष्ठ होते रहे। रूस के विदेश मन्त्री श्री सर्जेई लावरोव की भारत यात्रा वर्तमान समय में बहुत महत्व रखती है क्योंकि एक महीने पहले ही 'अमेरिका-जापान-आस्ट्रेलिया-भारत' के राजप्रमुखों की वार्ता हुई थी जिसमें हिन्द महासागर व प्रशान्त महासागर में शान्ति बनाये रखने के उपायों पर विचार किया गया था और इन चारों देशों के बीच नौसैनिक सहयोग बनाये रखने पर एका हुआ था।
बेशक यह सब भारत के पड़ोसी देश चीन की संदिग्ध हरकतों को देखते हुए ही किया गया था क्योंकि चीन हिन्द-प्रशान्त क्षेत्र में अपनी सैनिक गतिविधियां लगातार बढ़ा रहा है। चार देशों के इस समूह को क्वैड का नाम दिया गया और चीन ने इसे 'एशियाई नाटो' संगठन का नाम दिया।