सम्पादकीय

Russia Ukraine War : आर्थिक चिंताओं की वजह से क्या चीन रूस को लेकर अपने रुख पर पुनर्विचार करने लगा है

Rani Sahu
3 March 2022 3:00 PM GMT
Russia Ukraine War : आर्थिक चिंताओं की वजह से क्या चीन रूस को लेकर अपने रुख पर पुनर्विचार करने लगा है
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आर्थिक चिंताओं की वजह से क्या चीन रूस को लेकर अपने रुख पर पुनर्विचार करने लगा है

जहांगीर अली

यूक्रेन (Ukraine) पर रूस (Russia) के हमले से पहले पश्चिमी देशों पर विरोधी और तीखे तेवर अपनाने वाले चीन (China) ने अब अपना रुख नरम कर लिया है और उदारवादी रवैया अपना लिया है. जमीन, समुद्र और वायु मार्ग से यूक्रेन पर रूस के आक्रमण पर चीन ने संकट के शांतिपूर्ण समाधान के लिए राजनयिक प्रयासों की बात कही थी. एक बयान में चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि "एक देश की सुरक्षा दूसरे देशों की सुरक्षा की कीमत पर नहीं होनी चाहिए." 26 फरवरी के बयान में यह भी कहा गया कि "सभी देशों की वैध सुरक्षा चिंताओं का सम्मान किया जाना चाहिए."
चीन के विदेश मंत्रालय ने ये भी कहा कि, "लगातार पांच राउंड में पूर्व की ओर नाटो के विस्तार को देखते हुए रूस की वैध सुरक्षा मांगों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और ठीक से संबोधित किया जाना चाहिए." संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से यूक्रेन मुद्दे को सुलझाने में "रचनात्मक भूमिका निभाने" का आह्वान करते हुए, बीजिंग ने कहा था कि प्राथमिकता "क्षेत्रीय शांति और स्थिरता और सभी देशों की सार्वभौमिक सुरक्षा को दी जानी चाहिए." चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा, "सुरक्षा परिषद की कार्रवाई से स्थिति को शांत करने में मदद मिलनी चाहिए और मौजूदा तनाव का राजनयिक स्तर पर समाधान करना चाहिए न कि उसे और बढ़ाना चाहिए. यही वजह है कि चीन ने हमेशा संयुक्त राष्ट्र चार्टर अध्याय VII को जानबूझकर लागू करने से इनकार किया है जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को सैन्य ताकत और प्रतिबंधों का इस्तेमाल करने के लिए अधिकृत करता है."
चीन, रूस के आयात का सबसे बड़ा स्रोत है
हालांकि, रूस के साथ व्यापार पर अंकुश लगाने को लेकर चीनी बैंकों की कोशिश और चीन के नेताओं के बयानों से पता चलता है कि रणनीतिक चीन-रूस साझेदारी आर्थिक चिंताओं पर भारी पड़ रही है. बीजिंग ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान रूस-यूक्रेन युद्ध पर स्पष्ट रुख अपनाने से इनकार कर दिया. यूक्रेन पर तुरंत कब्जे के रूस के शुरुआती आकलन के उलट पूर्वी यूरोप में युद्ध एक हफ्ता खिंच गया है. यूक्रेन के सशस्त्र बलों के साथ आम नागरिकों ने भी हमलावर रूसी सेनाओं का जोरदार विरोध किया है.
प्रतिरोध ने रूस को एक असहज स्थिति में पहुंचा दिया है. इसलिए कई रणनीतिक विशेषज्ञों का तर्क है कि रूस का रणनीतिक साझेदार चीन आर्थिक चिंताओं के कारण तीखी पश्चिम विरोधी बयानबाजी की जगह अब नियंत्रित बयान दे सकता है. हाल के दिनों में अमेरिका और उसके सहयोगियों के "आधिपत्य" का विरोध करने के लिए चीन और रूस एक-दूसरे के काफी करीब आ गये हैं. चीन रूस के आयात का सबसे बड़ा स्रोत होने के साथ ही निर्यात के लिए भी सबसे बड़ा ठिकाना भी है. दोनों देश 2700 किलोमीटर की सीमा साझा करते हैं जो उन्हें "प्राकृतिक भू-राजनीतिक भागीदार" बनाती है.
चीनी कस्टम के आंकड़ों के मुताबिक, 2021 में रूस के साथ चीन का व्यापार बढ़कर 146.9 बिलियन डॉलर हो गया. पिछले महीने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 2022 में शीतकालीन ओलंपिक की मेजबानी करने वाले बीजिंग में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बातचीत की. पुतिन की चीन यात्रा का समापन कई व्यापार समझौतों के साथ हुआ जिनमें 30 साल का वह अनुबंध भी शामिल है जिसके तहत रूस चीन को गैस की आपूर्ति करेगा और कई और समझौतों के साथ चीन में रूसी गेहूं के आयात पर प्रतिबंध खत्म होगा.
चीन के रुख में परिवर्तन आ रहा है
दोनों नेताओं ने अपनी बैठक के बाद 4 फरवरी को एक बयान भी जारी किया, जिसमें कहा गया कि उनके संबंधों की "कोई सीमा नहीं है." "दोनों देशों को दृढ़ विश्वास है कि लोकतंत्र और मानवाधिकारों की रक्षा को दूसरे देशों पर दबाव बनाने का अस्त्र नहीं बनाया जाना चाहिए," दोनों देशों के संयुक्त बयान को कुछ देशों ने रूस-चीनी गैर-आक्रमकता संधि बताया. यूक्रेन के आक्रमण के बाद रूस के खिलाफ हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के एक प्रस्ताव में चीन शामिल नहीं हुआ. अमेरिकी आकलन के अनुसार यूक्रेन पर रूसी हमले में चीन के शामिल होने की संभावना नहीं है मगर पश्चिमी प्रतिबंधों के प्रभावी होने से दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध मजबूत हो सकते हैं. कई रणनीतिक विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि भू-राजनीतिक स्थिति के कारण चीन के रुख में परिवर्तन आ रहा है.
पिछले महीने पांच शीर्ष चीनी इतिहासकारों ने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की निंदा करते हुए एक खुला पत्र इस उम्मीद में लिखा कि चीन पूर्वी यूरोप में संकट पर अपना रुख स्पष्ट करेगा. चिट्ठी में लिखा गया है कि, "इतिहास में कई बड़ी तबाही अक्सर स्थानीय छोटे संघर्षों से शुरू होती है. हमने यूक्रेन के खिलाफ रूस के आक्रमण का कड़ा विरोध किया. एक संप्रभु देश पर रूस का आक्रमण … संयुक्त राष्ट्र चार्टर पर आधारित अंतरराष्ट्रीय संबंधों के मानदंडों और मौजूदा अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा प्रणाली का भी उल्लंघन है." यूक्रेन में युद्ध पर बीजिंग के रुख के बारे में पूछे जाने पर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने सोमवार को सावधानी बरती और कहा, "चीन और रूस रणनीतिक साझेदार हैं लेकिन सहयोगी नहीं हैं."
इससे पहले, विदेश मंत्री वांग यी ने सोमवार को कहा था कि चीन सात सबसे अमीर लोकतंत्रों के समूह जी7 के साथ काम करने को तैयार है जिन्होंने पिछले साल जून में बीजिंग के बढ़ते प्रभाव के जवाब में बिल्ड बैक बेटर वर्ल्ड (B3W) पहल का प्रस्ताव रखा है. यी ने अमेरिका को अपने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव में शामिल होने का प्रस्ताव भी दिया. बीजिंग के लिए यूक्रेन पर रूसी आक्रमण से उत्पन्न वैश्विक आर्थिक उथल-पुथल के बीच सामंजस्य बैठाना आसान नहीं होगा. सामरिक मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि वैचारिक आधार के बजाय आर्थिक हित ही मास्को के साथ बीजिंग के संबंधों को आगे बढ़ाएंगे.
चीनी बैंक रूस की कंपनियों को पैसे देने से कतरा रहे हैं
चीन के पास अमेरिकी डॉलर का सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार है जो इस साल जनवरी में लगभग 28 बिलियन डॉलर गिरकर 3.22 ट्रिलियन डॉलर हो गया. चूंकि पश्चिमी देश रूस को अंतरराष्ट्रीय भुगतान की स्विफ्ट प्रक्रिया से बाहर निकालने जा रहे हैं, इन विशेषज्ञों का मानना है कि बीजिंग किसी भी ऐसे काम से बचेगा जो अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली तक उसकी पहुंच को खतरे में डाल दे.
यूक्रेन में संकट पर बीजिंग का रुख "ज्यादातर प्रतीकात्मक" है, ताइवान में नेशनल चेंगची विश्वविद्यालय के चेंग-युन त्सांग ने अल जज़ीरा को बताया. उन्होंने कहा, "चीन भी SWIFT सिस्टम पर बहुत अधिक निर्भर है. इसलिए रूस के साथ वित्तीय आदान-प्रदान के दौरान चीन अब विवेकपूर्ण कदम उठाएगा क्योंकि अमेरिकी डॉलर में लेन-देन करने की अपनी क्षमता को वह खतरे में डालना नहीं चाहेगा."
ऐसा लगता है जैसे कई चीनी बैंक रूस की कंपनियों को पैसे देने से कतरा रहे हैं. बैंक ऑफ चाइना के सिंगापुर ब्रांच ने हाल ही में रूसी तेल फर्मों के साथ सौदों पर रोक लगा दी है जबकि इन्डस्ट्रियल एंड कमर्शियल बैंक ऑफ चाइना ने रूसी वस्तुओं की खरीद पर ऋण देना कम कर दिया है. हालांकि कई लोगों को इन उपायों के प्रभाव पर संदेह है, जिस तरह से प्रतिबंध के कारण हुआवेई जैसा टॉप तकनीकी दिग्गज पंगु बन गया है. व्यापार करने में बढ़ रही बाधाएं पश्चिमी कंपनियों को चीनी कंपनियों पर अपनी निर्भरता को कम करने को मजबूर कर सकती है.
Rani Sahu

Rani Sahu

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