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- रोड शो में चूहे
नेता जी का रोड शो कमाल का था। दरअसल पहली बार सड़क पर नेता जी नजर आने वाले थे, तो जनता में अपनत्व का भाव तन बदन में गर्माहट लिए हुए था। इसी अपनत्व के कारण तैयारियां हो रही थीं और राज्य के बजट को भी लग रहा था कि औकात से कहीं अधिक सड़क पर दिखे। ऐसा लग रहा था कि सड़क और नेता के चेहरे की चमक एक समान है। जनता को भरोसा नहीं हो रहा था कि उसके जैसे लोग भी नेताओं के दर्शन करते-करते इतने बड़े हो सकते हैं कि एक दिन 'रोड शो' पर ही देश की आशाएं, इच्छाएं और संकल्प आ जाएंगे। रोड शो के लिए सारे बागीचों के फूल, सारे संगीत के ढोल, सारे जोश के उद्घोष और सारी कानून-व्यवस्था के मजबूत पक्ष इकट्ठे किए जा चुके थे। आश्चर्य यह कि रोड शो के नजारे के बीच भी चूहे नहीं मान रहे थे। आवारा पशु और यहां तक कि बंदर भी रोड शो के प्रबंधन को देखकर अपना आवारापन भूल गए थे, लेकिन चूहों ने वी आई फूलों तक को नहीं छोड़ा। अंततः फूलों के स्थान पर एक चूहा पकड़ा गया। चूहेदानी में फंसा चूहा तर्कशील था, वह चाहता था कि उसे रोड शो का मुकाम आने से पहले छोड़ दिया जाए। वह कानून व्यवस्था पर चीख रहा था, लेकिन नारेबाजी में चूहे की कौन सुनता। गुस्से में चूहा कहने लगा, 'मैं तुम सभी को देख लूंगा।' उसका गुस्सा अभिवादन कर रही जनता के खिलाफ फूट रहा था। वहां कई चूहेदानियों के मालिक अपने आसपास पकड़े चूहों को कहीं दूर छोड़कर आना चाहते थे, लेकिन बीच रास्ते में नेता जी का रोड शो इतना भी मेहरबान नहीं था, इसलिए तय हुआ कि चूहों को भी बीच में छोड़ दिया जाए। चूहे इतनी तेजी से मंजिल की ओर भागे कि नेता जी को लगा कि उनकी अगवानी में कोई श्राप लग गया।
सोर्स- divyahimachal