- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- बरसात निपटाने के लिए...
x
बारिशों के मौसम से निपटने के लिए महत्वपूर्ण बैठक हर साल करना ज़रूरी होती है। वैसे पता होता है कि मानसून हमेशा की तरह इस साल भी सून नहीं आएगा, इसलिए यह बरसाती बैठक देर से होती है। इस संबंध में सबसे पहले प्रेस विज्ञप्ति बनाई जाती है। परोसे जाने वाली प्रेस रिलीज़ पकाने में ज़्यादा दिक्कत नहीं होती, तारीख और नाम बदलकर पिछले साल वाली ही चिपका दी जाती है। मज़ेदार यह है कि बारिशें देर से भी हों तब भी बढिय़ा प्रबन्धों की पोल हर बरस खूब खुलती है। कमबख्त मानसून किसी साल गलती से ठीक समय पर नहीं, पहले आ जाए तो बैठक भी रह जाती है। खैर, इतनी महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता वरिष्ठ अधिकारी ही कर सकते हैं। इस बार उनके देर से आने के कारण बैठक लेट होती गई और कैंटीन में चाय समोसे ठंडे। परम्परागत लेटलतीफों को फायदा रहा, वे अपने निजी काम करते करते देर से पहुंचे जिसका दोष बिना बताए आने वाली बारिश को ही जाना था, गया। अध्यक्ष गाड़ी में आए लेकिन सडक़ पर पानी भरे गड्ढे, कीचड़ व नालियों में फंसे कचरे की तरफ उन्होंने देखा तक नहीं। अध्यक्ष ने कहा, सभी सडक़ों, गलियों की सफाई सही तरीके से होनी चाहिए। जहां बाढ़ आ सकती है वहां से स्थायी अतिक्रमण हटवाएं। सख्त निर्देश दिए कि नदी किनारे रहने वालों को बरसात शुरू होने से पहले, कहीं भी जाने को कहें। सूचना तंत्र अच्छी तरह से व्यवस्थित हो, नहीं तो लोग बह जाते हैं, फिर झूठ बोलना पड़ता है। उन्होंने फिर समझाया कि पिछले साल भी संवेदनशील सडक़ों, जलापूर्ति योजनाओं, बिजली की तारों, बाढ़ व भूस्खलन संभावित क्षेत्रों की पहचान करनी रह गई थी। यहां तक कि जेसीबी चालक के फोन नंबर नोट करने भी रह गए थे इस बार कर ही लें। यह निर्देश अधिकांश लोगों ने सिर्फ नोट करने के लिए नोट किए।
बैठक में जबर्दस्ती भेजे कर्मचारियों ने कुछ नोट नहीं किया। स्वास्थ्य विभाग, जल विभाग व खाद्य विभाग को दवाएं, राशन व अन्य खाद्य सामग्री वगैरा की उचित व्यवस्था करने बारे कहा। इस बारे संबंधित अधिकारियों ने उचित ढंग से नोट किया क्योंकि इसमें उनका बहुत फायदा था। संबंधित विभाग वालों ने पिछले साल से बढिय़ा समाज सेवा करने का संकल्प लिया। बरसात से निपटने के लिए उचित कार्य योजना बनाने का आग्रह किया। मानव जीवन, सम्पति नुक्सान की नियमित रिपोर्ट, रंगीन फोटो, बढिय़ा प्रभावशाली वीडियो तुरंत साझा करने को कहा। अध्यक्ष को पता था पिछले साल भी यही भाषण दिया था, लेकिन उसका असर नहीं हुआ था। बैठक में यह वार्षिक ख्याल भी आया कि जो बच्चे नदी नाले पार कर स्कूल जाते हैं उनके बारे विस्तृत रिपोर्ट बनाने और कारगर कदम उठाए जाने ज़रूरी हैं। बैठक में बैठे बैठे लगने लगा कि आधा दर्जन छोटे पुल बनने वाले हैं। कैंटीन वाले ने बड़े आकार के साहबों को कप प्लेट में ताज़ी चाय पेश की, बाकियों को गर्म कर, बासी परोस दी गई। बैठक खत्म हुई, बाहर काफी कचरा बह कर नालियों में फंस गया था। उसे अच्छी तरह देख सभी ने सुनिश्चित कर लिया कि जब और तेज़ बारिश आएगी, कचरा खुद उसमें बह जाएगा। कचरा समझ गया, यह बैठक बरसात से न निपटने की तैयारी के लिए की गई थी।
प्रभात कुमार
स्वतंत्र लेखक
By: divyahimachal
Rani Sahu
Next Story