सम्पादकीय

विधानसभा चुनाव जीतने के लिए राहुल गांधी का अनोखा प्रयोग जारी है

Rani Sahu
17 Dec 2021 7:24 AM GMT
विधानसभा चुनाव जीतने के लिए राहुल गांधी का अनोखा प्रयोग जारी है
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मैं थोड़े उलझन में हूं. अगले वर्ष की शुरुआत में पांच राज्यों का विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) होने वाला है

अजय झा मैं थोड़े उलझन में हूं. अगले वर्ष की शुरुआत में पांच राज्यों का विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) होने वाला है या फिर लोकसभा चुनाव और उससे भी महत्वपूर्ण बात कि क्या नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हैं? मेरी इस उलझन का कारण है कांग्रेस पार्टी (Congress Party) के बड़े नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में कल हुई रैली, जहां वह रिटायर्ड सैनिकों को संबोधित कर रहे थे. पूरे भाषण में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का एक बार भी जिक्र नहीं हुआ. राहुल गांधी का सारा ध्यान प्रधनमंत्री नरेन्द्र मोदी पर केन्द्रित था. बार-बार मोदी का ही नाम लिया जा रहा था और मोदी सरकार की ही सिर्फ आलोचना हो रही थी. प्रतीत ऐसा हो रहा था कि पिछले पांच वर्षों में प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने क्या किया और क्या नहीं किया इससे राहुल गांधी को कुछ नहीं लेना देना, उनकी नज़र तो बस उस कुर्सी पर टिकी हुई है जिस पर मोदी बैठे हुए हैं.

नमो (नरेन्द्र मोदी) की तर्ज पर राहुल गांधी को भी रागा संक्षिप्त नाम दिया गया था. बस सिर्फ नामकरण होने से ही नाम सार्थक नहीं हो जाता. रागा को यह भी नहीं पता कि सही समय में सही राग गाने से ही वह कर्णप्रिय लगता है. राग भैरवी मध्य रात्रि में और राग मालकोस सुबह में अगर गाया जाए तो वह बेसुरा लगता है. ठीक इसी तरह अगर चुनाव राज्यों का हो और बात प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री की ना हो कर केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री की हो तो अटपटा सा लगता है. वैसे यह पहला अवसर नहीं है. राहुल गांधी यह भूल बार-बार करते रहते हैं. शायद कांग्रेस जैसी बड़ी पार्टी में किसी की हिम्मत नहीं है, कि राहुल गांधी को समझाए कि लोकसभा चुनाव राष्ट्रीय मुद्दों पर और विधानसभा चुनाव स्थानीय मुद्दों पर लड़ी और जीती जाती है. अगर ऐसा नहीं होता तो 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सातों सीटें बीजेपी के खाते में और 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की एकतरफा जीत नहीं होती.
राहुल गांधी के पास मुद्दों की कमी है
शुरू में बीजेपी भी यही गलती कर रही थी. राज्यों का चुनाव मोदी के नाम पर लड़ा जा रहा था, पर जब इसका इसका प्रभाव कम होने लगा तब बीजेपी ने अपनी नीति बदल ली और अब उत्तर प्रदेश में मोदी भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उत्तराखंड में धामी के नाम पर वोट मांगते दिख रहे हैं और उनकी प्रशंसा करते हैं. पर राहुल गांधी को या तो लोकसभा और विधानसभा चुनावों का फर्क पता नहीं है या फिर वह यह फर्क जानना ही नहीं चाहते. शायद वह अपने लक्ष्य से भटकना नहीं चाहते और राहुल गांधी का लक्ष्य है देश का प्रधानमंत्री बनना. 2014 में जब राहुल गांधी को कांग्रेस पार्टी ने अपने प्रधानमंत्री पद का दावेदार नियुक्त किया था, तबसे ही वह बार-बार यह गलती दोहराते जा रहे हैं और कांग्रेस पार्टी एक के बाद एक चुनाव हारती जा रही है.
पता नहीं कि राहुल गांधी क्यों यह महसूस नहीं करते कि एक ही बात बार बार सुन कर लोग बोर हो चुके होंगे. उनका भाषण चाहे जहां कहीं भी हो, लगता है जैसे कि उनके किसी पुराने भाषण का टेप चल रहा है. शायद उनके पास मुद्दों की कमी है, इसलिए वही नोटबंदी, GST और मोदी के तथाकथित उद्योगपति की बात ही करते रहते हैं. अभी रविवार को जयपुर में उनके भाषण और कल के देहरादून के भाषण के ज्यादा फर्क नहीं था. अगर फर्क था तो वह उत्तराखंड के पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों को बताना था कि उनके परिवार या गांव में ही सिर्फ शहीद नहीं पाए जाते, बल्कि वह इंदिरा गांधी और राजीव गांधी जैसे 'शहीदों' के परिवार से आते हैं. और क्या उन्होंने पूर्व सैनिकों को अनपढ़ और जाहिल समझ रखा है कि उन्हें पता नहीं कि पेट्रोल और डीजल की असमान छूती कीमत सिर्फ मोदी के तथाकथित करीबी उद्योगपतियों को फायदा देने के लिए नही है. अगर ऐसा ही होता तो फिर कांग्रेस शासित राजस्थान में देश में सबसे महंगा पेट्रोल क्यों मिल रहा है और क्या आम जनता से राजस्थान सरकार भी पैसे वसूल कर अम्बानी और अडानी के जेब में डाल ही है?
बीजेपी राहुल गांधी को अपना सबसे अच्छा दोस्त बताती है
क्या सच में राहुल गांधी को विश्वास है कि सिर्फ मोदी की आलोचना करने से ही कांग्रेस के अच्छे दिनों की वापसी हो जाएगी और वह प्रधानमंत्री बन जाएंगे? यह अलग बात है कि राहुल गांधी को इस बात की कतई चिंता नहीं है कि वह जितनी मोदी की आलोचना करते हैं, मोदी की लोकप्रियता उसी अनुपात में बढ़ जाती है. शायद यही कारण है कि जहां पूर्व में विभिन्न राज्यों में कांग्रेस प्रत्याशियों में होड़ लगी होती थी कि राहुल गांधी कम से कम एक बार उनके चुनाव क्षेत्र के एक रैली अवश्य करें, अब कांग्रेस प्रत्याशी उनसे कन्नी काटते दिखते हैं और राहुल गांधी की सभा उनपर थोपी जाती है. कांग्रेस प्रत्याशियों को डर लगता है कि अगर उनके चुनाव क्षेत्र में राहुल गांधी की सभा हो गयी तो वह माहौल बीजेपी के पक्ष में कर देंगे. इसीलिए बीजेपी भी स्वीकार करती है कि राहुल गांधी से बेहतर उनका कोई मित्र नहीं हो सकता. वैसे एक बात और भी याद दिला दें कि राहुल गांधी का रागा के आलावा एक और नामकरण हुआ था. हालांकि वह नाम काफी अपमानजनक था.
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