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- रहिमन जिह्वा बावरी
सुधीश पचौरी: वे बहस से भाग रहे हैं, ये बहस से भाग रहे हैं… फिर पक्ष और विपक्ष आ बैठते हैं चैनलों में और जो संसद में होता वह चैनलों में होने लगता है कि यहां भी कोई किसी को नहीं बोलने देता। इधर संसद बंद, उधर चैनलों में संसद सत्र कुछ देर खुलती है और फिर कल तक के लिए स्थगित हो जाती है। जब एक दिन विपक्ष सत्ता से बहुत नाराज दिखा और नारे लगाने लगा, पर्चे फेंकने लगा तो कुछ सांसद निलंबित कर दिए गए।
इस पर फिर से 'हाय-हाय' हुई। फिर निलंबन हुए। एक दिन उन्नीस निलंबित फिर कई दिन तक 'निलंबन सीरियल' चलता रहा साथ ही 'हाय-हाय' भी होती रही। इसके बाद निलंबित सांसद हाल से बाहर आकर गांधीजी की मूर्ति के साथ धरना देने लगते और उनके प्रवक्ता शाम को चैनलों में बहसें करते रहते।
जिस तरह संसद में कोई किसी की नहीं सुनता, चैनलों में भी वे एक दूसरे को न बोलने देने की कसम खाए रहते। ऐसे में एंकरों की हालत खराब होती। इसे चुप करे तो वे नाराज, उसे चुप करें तो ये नाराज! एंकर सोचते कि किनको लेकर आ बैठे! ये न संसद में बहस कर सकते हैं न चैनलों में। ये सिर्फ तू-तू मैं-मैं कर सकते हैं!
हर दिन एक से सीन बनते : निलंबित सांसद नाराज। निलंबित सांसद गांधी जी की मूर्ति के पास धरने पर! एक बहस में एक गैर निलंबित ने 'निलंबितों' के बारे में बताया कि इनके बीच प्रतियोगिता होती है कि कौन कितनी बार ऐसा विरोध करे कि निलंबित हो। जबाव में उस सांसद को भी 'सत्ता के दलाल' के विशेषण से नवाजा गया।
इस बीच एक झटका : स्मृति ईरानी की 'बेटी गोवा में बिना लाइसेंस के बार चलाती है' का आरोप! जवाब में स्मृति का झटका कि मेरी बेटी छात्रा है, मानहानि का मुकदमा करेंगी और कर दिया मुकदमा। इन दिनों न कोई अपनी गलती मानता है, न कोई किसी को माफ करता है। इसी बीच मंगलुरु में एक भाजयुमो के कार्यकर्ता प्रवीण की 'हत्या' की खबर। उसके पक्षधरों का आंदोलन। पीएफआइ पर आरोप। कुछ गिरफ्तारियां और जांच जारी!
लेकिन सबसे बड़ी कहानी बनाई ईडी ने। उसने जैसे ही सोनिया गांधी को पूछताछ के लिए बुलाया, वैसे ही कांग्रेसी कार्यकर्ता आंदोलित हो गए। इधर पूछताछ होती, उधर कार्यकर्ता विरोध में सड़क पर आकर लेट जाते। पुलिस उनकी 'डंडाडोली' करके बस के अंदर फेंकती तो वे इसे 'बदले की कार्रवाई' बताते और फोटो खिंचाते, ताकि बता सकें कि हमहूं रहे इस आंदोलन में!
इस बीच ईडी संबंधी कानूनों और उसकी कार्रवाइयों को सर्वोच्च न्यायालय ने जैसे ही सही ठहराया, ईडी के डौले और चौड़े हुए दिखे! उसके बाद ईडी ने 'मा माटी मानुष' वाली सरकार के एक बड़े मंत्री को जैसे ही धरा, वैसे ही एक अनाम अभिनेत्री टीवी की चैनलों पर दिखने लगी। वह जितना दिखती, उतने ही नोट बरसते, सोने के जेवर बरसते जाते!
अंत में हीरोइन उवाच कि यह सब तो सर जी का ही था मैं तो उस कमरे में जा भी नहीं सकती थी! इसके बाद चैनलों में 'नैतिकता-नैतिकता' होने लगी और नैतिकता के एक दौरे ने मंत्री जी को पार्टी व पद से निकलवा दिया! लेकिन ईडी अब भी लगी है। एक के बाद एक फ्लैट। बताए जा रहे हैं कि एक यहां एक वहां और न जाने कहां कहां। अभी शायद और नोट भी बाकी है मेरे दोस्त!
सेवा भाव इतना कि मेवा ही मेवा! लेकिन मुए जलने वालों को सेवा नहीं दिखती मेवा दिखती है! इस बीच एक विपक्षी सांसद की जुबान फिसल गई और भइए संसद से चैनलों तक में ऐसी ले-दे हुई कि इतिहास बना गई! हुआ यों कि धरने पर बैठे संसद में विपक्ष के नेता अधीर जी के आगे जैसे ही एक हिंदी रिपोर्टर ने माइक आगे किया तो उन्होंने जो बोला उसमें उन्होंने 'राष्ट्रपति' को दो बार 'राष्ट्रपति' कहा, लेकिन तीसरी बार 'राष्ट्रपत्नी' कह दिया! रिपोर्टर ने टोका भी कि सर 'राष्ट्रपति' शब्द ही सही था, लेकिन जो होना था हो चुका था!
अधीर जी ने कहा भी कि जुबान फिसल गई थी, लेकिन उससे क्या? इसके बाद की संसद में स्मृति ईरानी का गुस्सा और माफी मंगवाने की जोरदार मांग ने इस मामले को 'स्मृति बरक्स सोनिया' बना दिया। स्मृति जी कहिन कि यह राष्ट्रपति का अपमान है, सोनिया जी माफी मांगें तो वे कहिन कि 'आइ डांट टाक टू यू'! शायद ऐसे ही अवसर के लिए महाकवि रहीम ने कहा है: