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मेरठ शहर का भुडबराल परतापपुर का एक पेट्रोल पंप, सुपर फ्यूल एंड फन प्वाइंट इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन का पंप है और घटना 2 दिन पहले की है. एक कार मालिक जिसकी गाड़ी का पेट्रोल खत्म हो गया था
Deepak Ambastha
मेरठ शहर का भुडबराल परतापपुर का एक पेट्रोल पंप, सुपर फ्यूल एंड फन प्वाइंट इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन का पंप है और घटना 2 दिन पहले की है. एक कार मालिक जिसकी गाड़ी का पेट्रोल खत्म हो गया था, इस पंप पर पहुंचा ₹200 का पेट्रोल डलवाया पर गाड़ी स्टार्ट नहीं हुई ईंधन दिखाने वाली सुई भी जस की तस थी, शक होने पर गाड़ी मालिक ने पंप कर्मियों से पूछताछ की तो उसे अभद्रता और गालियों का सामना करना पड़ा. उसने मिस्त्री वहीं बुलाकर कार की टंकी खुलवा दी तो उसमें से सिर्फ 20 मिली लीटर पेट्रोल निकला अर्थात ₹200 में 20 मिली लीटर पेट्रोल और चोर, बेईमानों की गालियां अलग से. मेरठ का सुपर फ्यूल एंड फन प्वाइंट अकेला पंप नहीं है, देश में करीब-करीब हर पंप चोर है, उसका मालिक सफाई से चोरी कर रहा है. डीजल पेट्रोल लेने वाले उपभोक्ता लाचार हैं, क्योंकि अधिकतर लोग इस चोरी का नोटिस नहीं लेते या फिर झंझट से बचना चाहते हैं और ग्राहकों की यही मानसिकता चोर पेट्रोल पंप मालिकों की ताकत है.
पेट्रोल और डीजल की कीमतों में आग लगी है, दोनों प्रति लीटर ₹100 के पार हैं, केंद्र और राज्य सरकारों की चांदी है, यही नहीं पेट्रोल पंप वाले तो लूट ही रहे हैं, सरकारें भी दोनों हाथों से लूट रही हैं, देखने वाला कोई नहीं क्योंकि चौकीदार ही चोर बन जाए तो चैन की नींद किसे नसीब होगी.
आंकड़े देखें तो होश उड़ जाएंगे. उदाहरण सिर्फ 1 दिन का 22 मार्च 2022 झारखंड में ₹100 के तेल पर ग्राहक ने ₹47 टैक्स दिए, अगर दिल्ली की बात करें तो उस दिन ₹45.30 पैसा महाराष्ट्र की बात करें तो ₹52.50 पैसा राजस्थान ₹50.80 पैसा ऐसा ही हाल देश के सभी राज्यों का है. आंकड़े बताते हैं कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 50% टैक्स होता है और कई राज्यों में यह आंकड़ा इससे भी ऊपर है. सरकार का यह कहना कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों के अनुरूप तेल कंपनियां दर निर्धारित करती हैं, सरकार इसमें कुछ कर नहीं सकती है.
यह तर्क मान भी लिया जाए तो यही साबित होता है कि चोर को चोरी का न्योता और घरवालों को कहो जागते रहो, सरकार दर नहीं तय करती है पर टैक्स तो तय करती है? एक आंकड़ा बताता है कि ₹100 के ईंधन पर ₹29 केंद्र के खाते में और 16 रूपया 30 पैसे प्रति लीटर राज्य के खाते में औसतन जाता है, कई मौकों पर यह पैसा अधिक होता है. महाराष्ट्र जैसे राज्य में ₹100 के पेट्रोल पर ₹52 ग्राहक टैक्स देता है. आप जान लें केंद्र एक्साइज ड्यूटी और राज्य सरकारें वैट वसूली हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का संसद में बयान है कि सरकार ने पिछले 3 वित्त वर्ष में टैक्स के माध्यम से ग्राहकों से डीजल,पेट्रोल मद में 8 .02 लाख करोड़ रुपए की कमाई की.
ग्राहक टैक्स दे रहा है, लेकिन सवाल है कि जितनी मात्रा के डीजल, पेट्रोल का टैक्स ग्राहक देता है क्या पेट्रोल पंपों से उसे उतना ही तेल मिलता है या उससे बहुत कम, ऐसा होता ही है तो इस चोरी और बेईमानी को रोकने की जिम्मेवारी क्या केंद्र और राज्य सरकारों की नहीं है, लेकिन क्या हमारी सरकारें इतनी ईमानदार हैं कि वह ऐसी व्यवस्था विकसित करें, जिसमें ग्राहक ठगे नहीं जा सकें, स्पष्ट है कि आजादी के सात दशक बाद भी न किसी केंद्र और न किसी राज्य सरकार को इसकी चिंता है. इस पूरी व्यवस्था में सिर्फ आम आदमी ठगा जा रहा है, लूटा जा रहा है और ठगने वाली पूरी व्यवस्था दिन-ब-दिन मजबूत हो रही है.
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