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- राजभाषा की ओर बढ़ती...
राम मोहन पाठक। हिंदी को राजभाषा की सांविधानिक प्रतिष्ठा और मान्यता तो प्राय: 72 साल पहले 1949 में मिली, किंतु इसे व्यावहारिक रूप प्रदान करने के लिए जारी प्रयासों में 'अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन' का ऐतिहासिक महत्व है। हिंदी के साहित्य तीर्थ वाराणसी में 13-14 नवंबर को आयोजित सम्मेलन राजभाषा हिंदी के प्रति नवजागरण व प्रयोग का नया अध्याय लिखेगा और भविष्य की दिशा सुनिश्चित करेगा। ऐसी आशा की जानी चाहिए। भारत सरकार के गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग द्वारा पहली बार राजभाषा चेतना का यह राष्ट्रीय आयोजन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की संकल्पना है। पिछले 72 वर्ष में राजभाषा के अनेक प्रयोगधर्मी छोटे-छोटे कार्यक्रम क्षेत्रीय और स्थानीय स्तर पर होते रहे हैं, किंतु प्रथम अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन के परिप्रेक्ष्य व्यापक हैं। प्रस्तावित छह सम्मेलनों की शृंखला में पहला काशी सम्मेलन राजभाषा की संकल्पना को मूर्त रूप देने में आधारशिला या प्रस्थान-बिंदु का काम करेगा।