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- हवा में अटके लोग
झारखंड में देवघर रोपवे हादसे पर जितना दुख जताया जाए, कम है। तीर्थयात्रा पर गए लोगों के साथ हुए इस हादसे में मौत भी हुई है, लोग गंभीर रूप से घायल भी हुए हैं और 40 से ज्यादा यात्री घंटों तक रोपवे पर अपने-अपने केबिन में कैद भी रहे हैं। वैसे रोपवे का तार टूटने की यह घटना विरल ही है। इसके पहले 2017 में गुलमर्ग गोंदोला रोपवे हादसा भी याद आता है, तब वह हादसा केबल टूटने से नहीं हुआ था, तेज हवा के कारण एक पेड़ रोपवे की तार और केबिन पर गिर पड़ा था, तब आठ लोगों की मौत हो गई थी। आमतौर पर भारतीय रोपवे सुरक्षित हैं, इसलिए देवघर का त्रिकुट पर्वत रोपवे हादसा ज्यादा चिंता खड़ी कर रहा है। रात भर लोग ऐसे फंसे रहे कि उन तक भोजन-पानी पहुंचाने में भी कामयाबी नहीं मिली। सुबह होने के बाद ही फंसे हुए लोगों को एयरफोर्स व एनडीआरएफ की टीम ने बचाने का काम शुरू किया। क्या बचाव का काम तत्काल शुरू नहीं हो सकता था? क्या रात में ऐसे क्षेत्रों में हम राहत कार्य चलाने में सक्षम नहीं हैं?
क्रेडिट बाय हिन्दुस्तान