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- पेंशनधारकों को कई बार...
आज पंेशन शब्द कान में पड़ते ही शरीर में झुरझुरी सी फैल जाती है क्योंकि सन् 2003 के बाद अनेक राज्यों में पुरानी पंेशन बंद हो चुकी है और नई पेंशन का कोई करिश्मा अभी दिखाई नहीं दे रहा है। पेंशन वस्तुतः सेवानिवृत्ति के बाद सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा कवच का काम करती है। कई देशों में सरकार की ओर से बेरोजगारों को उपजीव्य भत्ते का प्रावधान रहता है। भारत में कुछ वर्गों के लिए थोड़ी बहुत पेंशन का प्रावधान है जरूर, परंतु यह सबके लिए नहीं। और यह पेंशन होती भी बहुत मामूली है। यह भी सच है कि भारत में पुरानी पेंशन उन्हीं लोगों को मिलती है, जो सरकारी नौकरी में रहे हों और जिन्होंने लगातार 33 वर्ष तक सेवा की हो, तभी पूरी पेंशन मिलती है। परंतु अब तो बीस वर्ष की सर्विस करने वालों को भी पूरी पेंशन मिल जाती है। हर राज्य में अलग-अलग नियम हैं और हिमाचल में भी अभी यह नियम लागू नहीं हुआ है। सर्वोच्च न्यायालय ने पहले ही बीस वर्ष की सर्विस पूरी करने वालों को पूरी पेंशन का आदेश पास कर रखा है, परंतु हिमाचल में अभी यह लागू नहीं। यूनिवर्सिटी के भी बहुत से कर्मचारी इसके लागू होने की बाट जोह रहे हैं। यही कारण है कि जिन्हें पंेशन मिलती भी है, उन्हें भी अनेक बार उनका प्रदेय सहज स्वाभाविक ढंग से नहीं मिलता, जो पेंशनर्ज में निराशा एवं आक्रोश का संचार करता है। हिमाचल में तीन स्टेट यूनिवर्सिटीज हैं अर्थात हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला, चौधरी सरवण कुमार कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर तथा डा. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी (सोलन)। इन तीनों में समान रूप से हिमाचल सरकार के नियम लागू होते हैं। पंेशन के संदर्भ में भी, परंतु फिर भी तीनों में भी कई बार अधिकारियों या कुलपतियों की पक्षपात या दुर्भावनापूर्ण नीति के कारण सरकारी आदेशों का सही पालन नहीं किया जाता। एक उदाहरण पर्याप्त होगा।
सोर्स- divyahimachal