सम्पादकीय

खालिस्तान पर सुलगा पटियाला

Rani Sahu
1 May 2022 7:24 PM GMT
खालिस्तान पर सुलगा पटियाला
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पंजाब के पटियाला शहर में खालिस्तान का मुद्दा क्यों उठा? श्री काली माता का मंदिर निशाने पर क्यों था

पंजाब के पटियाला शहर में खालिस्तान का मुद्दा क्यों उठा? श्री काली माता का मंदिर निशाने पर क्यों था? ये व्यापक जांच के सवाल हैं, क्योंकि पहले भी खालिस्तान पर पंजाब के विभिन्न हिस्से सुलगते और जलते रहे हैं। खालिस्तान आज एक लंबा अतीत हो चुका है। आज उसकी कोई प्रासंगिकता नहीं है। पंजाब में हिंदुओं और सिखों के बीच टकराव तब भी नहीं हुआ था, जब खालिस्तान की मांग उग्र थी और आतंकवाद का दौर था। पंजाब का मानस कभी भी 'सांप्रदायिक' नहीं रहा। खालिस्तान ने जो ज़ख्म दिए थे, वे कभी के भर चुके हैं। पंजाब में खालिस्तान किसी को भी नहीं चाहिए। खालिस्तान समर्थन या विरोध के आज कोई मायने नहीं हैं। तो फिर अचानक पटियाला में हिंदू और सिख-निहंग चेहरे एक-दूसरे के विरोध में क्यों आ गए? तलवारें भी चमकाई गईं। पथराव भी किया गया।

ऐसा लगा मानो दोनों पक्ष एक-दूसरे के खून के प्यासे हैं! खुफिया सूत्रों का दावा है कि उसने सप्ताह भर पहले ही चेता दिया था कि टकराव हो सकता है! पुलिस चौकन्नी क्यों नहीं हुई? खुफिया रपट मुख्यमंत्री भगवंत मान को भी सौंपी गई होगी! यदि वह पंजाब के बजाय कहीं और प्रवास पर थे, तो मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव को रपट दी गई होगी! बुनियादी सवाल कानून-व्यवस्था के प्रति चिंतित और सचेत होने का है। पंजाब में सक्रिय शिवसेना (बाल ठाकरे) ने खालिस्तान विरोधी मार्च निकालने की योजना बनाई थी। पंजाब में कई तरह की शिवसेनाएं हैं-शिवसेना समाजवादी, शिवसेना राष्ट्रवादी, शिवसेना हिंदू भैया, शिवसेना अखंड भारत। इनका महाराष्ट्र वाली शिवसेना से कोई सरोकार नहीं है, यह पार्टी के राज्यसभा सांसद एवं मुख्य प्रवक्ता संजय राउत ने स्पष्ट किया है। शुरुआती जांच में 32 सिख और 8 हिंदू संगठनों के नेताओं की भूमिका सामने आई है। धरपकड़ की जा रही है। हिंसा का मास्टरमाइंड वजिंदर सिंह परवाना को कहा जा रहा है। इलाके के आईजी, एसएसपी, एसपी सिटी, थानेदार और अन्य पुलिस कर्मियों के तबादले किए गए हैं। मुख्यमंत्री राज्य के पुलिस महानिदेशक से नाराज़ बताए जा रहे हैं। क्या उस स्तर पर भी कार्रवाई की जाएगी? बहरहाल हमने खालिस्तान का खौफनाक और जानलेवा दौर देखा है। पंजाब के शहरों की तंग गलियों से खाड़कुओं को, नंगी तलवारें और रिवॉल्वर, बंदूक के साथ, भागते देखा है। हम तत्कालीन 'सुपर कॉप' केपीएस गिल के आभारी हैं कि उनके नेतृत्व में पंजाब पुलिस ने ही खालिस्तान आंदोलन के घुटने तोड़ दिए थे।
भिंडरावाला सरीखे आतंकी को ढेर कर दिया था। खालिस्तान आंदोलन ने ही देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्याएं की थीं। लिहाजा अब कोई भी सोच या साजि़श हो, हम खालिस्तान को करवट लेते नहीं देख सकते। पंजाब का चौतरफा नुकसान हुआ है। आज पंजाब की नई सरकार की अग्निपरीक्षा है, आम आदमी पार्टी को प्रचंड, एकतरफा और ऐतिहासिक जनादेश दिया गया है, लिहाजा मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की हररोज़ अग्निपरीक्षा है। पंजाब सरहदी राज्य है। चीन और पाकिस्तान की सीमापार से निगाहें हमारे पंजाब पर रहेंगी। यदि पंजाब में नशे की तस्करी या हथियारों की सौदागीरी हुई है, तो सरहद पार से ही कराई जाती रही हैं। पंजाब के संदर्भ में जरा-सी भी ढील नहीं दी जा सकती, क्योंकि पाकपरस्त आतंकवाद अब भी जि़ंदा है। पाकिस्तान में खालिस्तान समर्थक नेता पनाह लिए हुए हैं। कोई भी साजि़श देश-विरोधी साबित हो सकती है। जांच सभी संदिग्ध संगठनों की होनी चाहिए कि आखिर खालिस्तान का संदर्भ कहां से आया? क्या कनाडा और लंदन में बसी खालिस्तानी ताकतों ने कोई साजि़श रची थी? यदि ऐसा कोई सुराग मिलता है, तो भारत सरकार के स्तर पर प्रतिक्रिया दी जाए। बहरहाल मुख्यमंत्री ने त्वरित कार्रवाई कर सभी पक्षों की जिम्मेदारी तय करने की पहल की है, लेकिन इतना ही पर्याप्त नहीं है।

क्रेडिट बाय दिव्यहिमाचल

Rani Sahu

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