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- संसद बहाली का फैसला
पाकिस्तान की नेशनल असेंबली, यानी संसद, में जो कुछ हुआ था, वह पाकिस्तान में ही हो सकता था। यह हमारे विश्लेषण का सारांश-वाक्य था। अब वहां की सर्वोच्च अदालत की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने जो एकमत फैसला सुनाया है, वह भी अभूतपूर्व और ऐतिहासिक है। कमोबेश पाकिस्तान जैसे अराजक देश में एक न्यायिक, संवैधानिक निर्णय है, जो जम्हूरियत को कुछ हद तक बचा सकता है। पाकिस्तान की सुप्रीम अदालत ने संसद में डिप्टी स्पीकर द्वारा अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करना पूरी तरह 'असंवैधानिक' करार दिया है। संविधान में स्पीकर के आसन पर विराजमान शख्स को ऐसा कोई अधिकार हासिल नहीं है। वह तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान की सुनियोजित रणनीति थी, लिहाजा उन्होंने राष्ट्रपति को संसद भंग करने की सिफारिश की और राष्ट्रपति ने उसे तुरंत मंजूर कर संसद भंग करने का आदेश जारी कर दिया। नए आम चुनाव कराने की भी घोषणा कर दी गई। सुप्रीम अदालत की न्यायिक पीठ ने राष्ट्रपति के संसद भंग करने के फैसले को भी 'असंवैधानिक' करार दिया। पाकिस्तान की जम्हूरियत के इतिहास में शायद यह पहली बार संवैधानिक फैसला दिया गया है कि सरकार और संसद को दोबारा बहाल किया गया है। स्पीकर को आदेश है कि वह 9 अप्रैल को संसद के भीतर अविश्वास प्रस्ताव पर मत-विभाजन कराएं।
क्रेडिट बाय दिव्याहिमाचल