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- संचार क्रांति के मसीहा...
देश में एक समय था जब मोबाइल फोन की मात्र कल्पना की जाती थी, लेकिन उस कल्पना को साकार कर स्वप्न को संकल्प में तब्दील करने वाले देश व प्रदेश के दुर्गम से दुर्गम क्षेत्रों तक मोबाइल की घंटी पहुंचाने का श्रेय पंडित सुखराम जी को दिया जाता है। हिमाचल में एक समय था कि टेलीफोन व्यवस्था उतनी सुदृढ़ नहीं थी जितनी होनी चाहिए थी, लेकिन 1991 में पंडित सुखराम जब केंद्र में संचार मंत्री बने तो उन्होंने हिमाचल प्रदेश में संचार क्रांति का उदय किया। हिमाचल प्रदेश एक बहुत ही दुर्गम क्षेत्र था। उस समय जहां टेलीफोन व्यवस्था को पहंुचाना अत्यंत कठिन था, लेकिन दुर्गम क्षेत्र लाहुल-स्पीति, किन्नौर, पांगी में भी टेलीफोन की घंटियां टन टन करने लगी थी। यही नहीं उस समय एसटीडी बूथ बहुत ज्यादा खुले थे जिससे बेरोजगार युवाओं को रोजगार के साधन भी मिले थे। अब ये मसीहा सबको अलविदा कह कर भारत की पावन भूमि से विदा हो गए हैं। 1963 से राजनीतिक सफर की शुरुआत करने वाले हिमाचल प्रदेश का वह दिग्गज राजनीतिक चेहरा देश में टेलिफोन क्रांति लाने वाले लोगों में जिस सुखराम का नाम लिया जाता था, उन्होंने जापान जाकर मोबाइल भारत लाया था। पंडित सुखराम जी ने अब इस दुनिया को अलविदा कह दिया है। 95 साल की उम्र में उन्होंने बुधवार को दिल्ली के एम्स अस्पताल में अंतिम सांस ली।