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आतंकी संगठन द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने जम्मू कश्मीर में 30 जून से शुरू होने वाली अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra) के दौरान ‘खून गिराने’ की धमकी दी है
जहांगीर अली
आतंकी संगठन द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने जम्मू कश्मीर में 30 जून से शुरू होने वाली अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra) के दौरान 'खून गिराने' की धमकी दी है. टीआरएफ को जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) पुलिस पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा आतंकी संगठन मानती है. टीआरएफ ने एक पत्र के जरिए चेतावनी देकर कहा है कि सरकार अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra 2022) का इस्तेमाल कश्मीर की स्थिति की संवेदनशीलता को भड़काने के लिए कर रही है.
आपको बता दें कि दक्षिण कश्मीर के कुलगाम के सबसे कुख्यात आतंकवादियों में से एक अब्बास शेख जो हिजबुल मुजाहिदीन और लश्कर-ए-तैयबा दोनों से जुड़ा था, उसने भारत सरकार की ओर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के कुछ महीनों बाद 2019 में द रेजिस्टेंस फ्रंट का गठन किया गया था.
टीआरएफ के गठन के पीछे नापाक मंसूबे
पिछले साल अब्बास को सुरक्षा बलों द्वारा मार गिराए जाने के बाद इसकी कमान बासित डार ने अपने हाथों में ले ली. बासित डार भी दक्षिण कश्मीर से भी ताल्लुक रखता है. सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि टीआरएफ का गठन लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों की गतिविधियों से अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजर हटाने के लिए किया गया था.
एफएटीएफ की कार्रवाई से बचने की कोशिश
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, 'दोनों संगठनों से कहा गया है कि वे जम्मू-कश्मीर में होने वाले किसी भी हमले की जिम्मेदारी न लें और इसके बजाय टीआरएफ और दूसरे नए आतंकी संगठनों को सुर्खियों में रहने दें.' नाम न छापने की शर्त पर अधिकारी ने बताया कि टीआरएफ और अन्य गुटों को आतंकी हमलों की जिम्मेदारी लेने की इजाजत देकर पाकिस्तान फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की कार्रवाई से खुद को बचाने की कोशिश कर रहा है जिसने पाकिस्तान को लगातार ग्रे लिस्ट में बनाए रखा है.
ये होती है ग्रे लिस्ट
जो देश टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग को बढ़ावा देते हैं, उन्हें ग्रे लिस्ट में शामिल किया जाता है. ग्रे लिस्ट में शामिल होने का मतलब है कि इन देशों को ऐसा न करने की चेतावनी दी गई है. अगर ये देश चेतावनी के बाद भी टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग को बढ़ावा देते हैं तो फिर उन्हें ब्लैक लिस्ट में शामिल किया जाता है.
अधिकारी ने कहा, 'पाकिस्तान दुनिया को यह संदेश देना चाहता है कि कश्मीर में आतंकवाद के पीछे यहां के ही लोगों का हाथ है और इसमें पाकिस्तान की कोई भूमिका नहीं है. हालांकि हमारे पास यह साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं कि पाकिस्तान प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को मदद और बढ़ावा दे रहा है.'
टीआरएफ का कनेक्शन जैश और लश्कर से
हालांकि टीआरएफ के बारे में जम्मू-कश्मीर पुलिस का मानना है कि इसके कैडर लश्कर और जैश से आते हैं. टीआरएफ गठन के शुरुआती सालों में कुछ हद तक शांत रहा. यह आतंकी संगठन पिछले साल तब सुर्खियों में आया जब इसने कश्मीरी पंडितों और प्रवासी कामगारों पर हमले किए. कश्मीरी पंडित और फार्मासिस्ट माखन लाल बिंदरू, एक स्कूल प्रिंसिपल सुपिंदर कौर और उनके सहयोगी दीपक चंद की हत्या के अलावा इस संगठन पर जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कश्मीर में काम करने वाले गैर-स्थानीय मजदूरों को निशाना बनाने का भी आरोप लगाया है.
सुरक्षा एजेंसियों ने इस संगठन पर कश्मीरी पंडित बिजनेसमैन, ऑफ-ड्यूटी पुलिसकर्मियों और प्रवासी कामगारों जैसे सॉफ्ट टारगेट पर हमले करने का आरोप लगाया है ताकि कश्मीर में डर फैलाया जा सके और गैर-स्थानीय लोगों और उन पंडितों को यहां से जाने के लिए मजबूर किया जा सके. हालांकि टीआरएफ के दर्जनों आतंकवादी और उनके सहयोगी या तो सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए हैं या गिरफ्तार किए गए हैं लेकिन बावजूद इसके यह संगठन कश्मीर में लगातार सनसनीखेज हमले करता रहा है, जिसने सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ा दी है.
अमरनाथ यात्रा के लिए गंभीर मसला
इनमें से ज्यादातर हमले पिस्तौल जैसे छोटे हथियारों का इस्तेमाल करके 'हाइब्रिड आतंकियों' के जरिए किए गए हैं जिनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है. टीआरएफ का धमकी भरा पत्र सुरक्षा एजेंसियों के लिए सिरदर्द बन गया है क्योंकि छह से आठ लाख तीर्थयात्रियों के इस साल अमरनाथ की तीर्थयात्रा में शामिल होने की उम्मीद की जा रही है. सरकार ने कहा है कि यह सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की गई है कि तीर्थयात्रा के दौरान कोई अप्रिय घटना न घटे.
सीआरपीएफ, सीआईएसएफ, एसएसबी और अन्य बलों सहित केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल की कम से कम 300 एजेंसियां तीर्थयात्रा में शामिल यात्रियों की हिफाजत के लिए कश्मीर पहुंच गई हैं. जबकि प्रत्येक तीर्थयात्री को कश्मीर में प्रवेश करने के समय से लेकर तीर्थ यात्रा पूरी होने तक अपने मूवमेंट को ट्रैक करने के लिए एक रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन टैग दिया जाएगा.
सोर्स-tv9hindi.com
Rani Sahu
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