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सर्वाधिक 14 फसलें एमएसपी पर खरीदी जा रही हैं। 72 घंटों में किसानों के खातों में भुगतान हो रहा है।
लंबे संघर्ष के बाद एक नवंबर, 1966 को पंजाब से अलग होकर बना हरियाणा आज 55 साल का हो गया। यह परिपक्वता की उम्र है। इस दौरान कई सरकारें आईं गईं। सभी ने प्राथमिकता के अनुसार काम भी किए होंगे, लेकिन असल सवाल है कि क्या वे आम हरियाणवी की उम्मीदों पर खरी उतरीं? जिन सपनों को लेकर अलग हरियाणा राज्य के लिए संघर्ष किया गया, उन्हें किस हद तक पूरा कर पाईं?
सपने सिर्फ सपने नहीं होते, कुछ अलग कुछ बेहतर करने की प्रेरणा होते हैं। इसलिए राज्य निर्माण दिवस का यह अवसर इस आत्मविश्लेषण के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है कि पृथक हरियाणा के रूप में जो सपना देखा था, वह कितना पूरा हुआ? हरियाणा द्वापर युग में अधर्म के विरुद्ध धर्म के लिए लड़े गए महाभारत और गीता संदेश की धरती है। दिल्ली के तीन ओर बसे होने की भौगोलिक विशिष्टता भी उसे प्राप्त है। ऐसे में सर्वांगीण विकास के मानकों पर उसे अद्वितीय और देश के लिए अनुकरणीय उदाहरण होना ही चाहिए, पर 2014 से पहले ऐसा नहीं हो पाया, क्योंकि संकीर्ण सोच वाली सरकारें विभाजनकारी वोट बैंक राजनीति से ऊपर उठकर हरियाणा एक, हरियाणवी एक की दृष्टि इसे विकसित नहीं कर पाईं।
2014 से पहले अधिकांश समय कांग्रेस की सरकारें रहीं। इस सच से मुंह नहीं चुराया जा सकता कि वोट वैंक केंद्रित सत्ता राजनीति के उस दौर में समृद्ध आध्यात्मिक-सांस्कृतिक विरासत वाले हरियाणा की छवि निखरने की बजाय धूमिल ही हुई। आयाराम-गयाराम के मुहावरे के साथ हरियाणा की राजनीति देश-दुनिया में बदनाम हुई तो 'देसां मां देस हरियाणा, जित दूध-दही का खाना' की कहावत पर कदम कदम पर खुले शराबखानों ने प्रश्नचिह्न लगाया। लिंगानुपात 876 के शर्मनाक आंकड़े तक गिर गया, पर सत्ताधीश अपने खेल में मस्त रहे। भ्रष्टाचार सुरसा के मुंह की तरह बढ़ता ही गया। इस मामले में सत्ताधीशों में एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ लगी रही।
2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर हरियाणावासियों ने पहली बार भाजपा को राज्य में अपने दम पर सरकार बनाने का स्पष्ट जनादेश दिया। अलग तरह की राजनीतिक संस्कृति के लिए प्रतिबद्ध भाजपा सत्ता नहीं व्यवस्था परिवर्तन में विश्वास करती रही है। हमारे लिए सत्ता सेवा और समर्पण का माध्यम है। केंद्र में प्रधानमंत्री मोदी ने एक भारत श्रेष्ठ भारत की सोच के साथ व्यवस्था बदलने का काम शुरू किया, हरियाणा में भी भाजपा सरकार व्यापक समावेशी सोच के साथ लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने में जुट गई।
जन्म से मृत्यु प्रमाणपत्र तक में भी भ्रष्टाचार
देश में आम आदमी भ्रष्टाचार से सबसे ज्यादा त्रस्त है और वह जन्म प्रमाणपत्र से लेकर मृत्यु प्रमाणपत्र पाने तक उसका पीछा नहीं छोड़ता। तबादलों और तैनाती को तो भ्रष्ट नेताओं ने मोटी कमाई का उद्योग ही बना दिया था। 2014 तक शिक्षक व सरकारी कर्मचारी तबादले और तैनाती के लिए दलालों के चंगुल में फंस जाते थे। हमारी सरकार ने भर्तियों और तबादले-तैनाती तक में पारदर्शी ऑनलाइन व्यवस्था शुरू की है। सात साल में 83 हजार से अधिक युवाओं को बिना पर्ची-खर्ची सरकारी नौकरियां मिल चुकी हैं। निजी क्षेत्र में स्थानीय युवाओं के लिए 75 प्रतिशत आरक्षण का कानून मील का पत्थर साबित होगा।
546 सेवाओं को सॉफ्टवेयर से जोड़ा
हमने लगभग 20 हजार अटल सेवा केंद्रों और 117 अंत्योदय एवं सरल केंद्रों के माध्यम से 42 विभागों की 573 योजनाएं और सेवाएं ऑनलाइन उपलब्ध करवायी हैं। ऑटो अपील सॉफ्टवेयर शुरू किया गया, जिससे 546 सेवाओं को जोड़ा गया है।
जय जवान जय किसान का जीवंत उदाहरण
हरियाणा सही मायने में जय जवान, जय किसान का जीवंत उदाहरण है। विपक्ष तीन कृषि कानूनों पर भ्रामक दुष्प्रचार कर रहा है कि मंडियां और एमएसपी समाप्त हो जायेंगे। सच यह है कि हरियाणा में मंडियां बढ़ी हैं। सर्वाधिक 14 फसलें एमएसपी पर खरीदी जा रही हैं। 72 घंटों में किसानों के खातों में भुगतान हो रहा है।
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