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स्मोकिंग, तंबाकू (Tobacco) सूंघने या चबाने और निकोटिन आधारित पदार्थों का इस्तेमाल कुछ लोग खुद को ‘कूल’ दिखाने के लिए करते हैं
डॉ. विजय आदित्य यदराजू
स्मोकिंग, तंबाकू (Tobacco) सूंघने या चबाने और निकोटिन आधारित पदार्थों का इस्तेमाल कुछ लोग खुद को 'कूल' दिखाने के लिए करते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. ये सेहत के लिए काफी नुकसानदायक साबित हो सकता हैं. चाहे तंबाकू को सिगरेट में इस्तेमाल किया जाए या सिगार में या इसे सिर्फ सूंघा ही क्यों न जाए. ये किसी भी उम्र के व्यक्ति की सेहत बिगाड़ सकता है. तंबाकू एक खतरनाक पदार्थ है, जिससे हर साल दुनिया भर में लाखों लोगों की मौत हो जाती है. तंबाकू के सेवन से ओरल कैंसर (Oral Cancer) भी होता है. चौंकाने वाली बात यह है कि तंबाकू के धुएं के संपर्क में आने से पैसिव स्मोकर्स को भी उतना ही नुकसान होता है, जितना एक्टिव यूजर्स को होता है.
तंबाकू को लेकर दुनिया भर में तमाम जागरूकता अभियान चलाए गए और विज्ञापन तैयार किए गए. वहीं, हमारे देश के सिनेमाघरों में फिल्म की शुरुआत से पहले तंबाकू से होने वाले नुकसान की जानकारी देने वाले विज्ञापन दिखाना अनिवार्य किया गया. इसके बावजूद तंबाकू की खपत लगातार बढ़ती जा रही है. दुर्भाग्यवश इसका इस्तेमाल युवाओं के बीच बढ़ रहा है.
हृदय रोग, डायबिटीज, देखने और सुनने में दिक्कत के मामले बढ़ रहे.
लंग्स और ओरल कैंसर के अलावा अन्य कई तरह के कैंसर होने का मुख्य कारण तंबाकू का इस्तेमाल ही है. दिल से संबंधित बीमारियों, डायबिटीज, पुराने लंग्स इंफेक्शन, देखने-सुनने में दिक्कत और दांतों में परेशानी आदि के पीछे तंबाकू का इस्तेमाल ही मुख्य कारण है. ऐसा इसलिए है, क्योंकि तंबाकू में बेहद जहरीले पदार्थ, कैंसर की वजह बनने वाले एजेंट्स-कार्सिनोजेंस और निकोटिन काफी ज्यादा होते हैं. निकोटिन काफी नुकसानदायक होता है, जो तंबाकू से सभी प्रॉडक्ट्स में अहम रूप से पाया जाता है.
सिगरेट पीना तंबाकू के इस्तेमाल का सबसे आम रूप है, जो लंग्स कैंसर के 90 फीसदी मामलों में अहम वजह होता है. यह स्मोकिंग न करने वालों की तुलना में ओरल कैंसर के खतरे को 10 गुना तक बढ़ा देता है. सिगार और पाइप भी अच्छे नहीं हैं, क्योंकि इनकी वजह से ओरल कैविटी, गले या वॉयस बॉक्स, ईसोफेगस और निश्चित रूप से लंग्स संबंधित ट्यूमर की दिक्कत बढ़ सकती है. तंबाकू चबाने या पैकेट में पैक पत्तियों को सूंघने से ईसोफेगल और पेट के कैंसर के अलावा होंठ, गाल और मसूड़ों के कैंसर से प्रभावित होने का खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है.
माउथ केविटी में होती है ओरल कैंसर की शुरुआत
ओरल कैंसर की शुरुआत माउथ केविटी (Mouth Cavity) या जीभ, निचले होंठ, मसूड़े और जबड़े पर या मुंह के निचले हिस्से में तब होती है, जब असामान्य कोशिकाएं नियंत्रण से बाहर होने लगती हैं. स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा सबसे कॉमन ओरल कैंसर है. यह अक्सर पुरुषों के मुंह और जीभ के निचले हिस्से में पाया जाता है. वहीं, महिलाओं की जीभ या मसूड़ों में मिलता है. ओरल कैंसर कई तरह का होता है और सभी लोगों को प्रभावित कर सकता है, वे किसी भी जेंडर के क्यों न हो.
हालांकि, ज्यादातर मामले 45 साल और उससे ज्यादा उम्र के लोगों में पाए जाते हैं, लेकिन इन दिनों दुर्भाग्यवश डॉक्टरों के पास ऐसे मरीजों की संख्या काफी बढ़ रही है, जिनकी उम्र 30 साल से भी कम है. विभिन्न प्रकार के ओरल कैंसर और अन्य कई तरह के कैंसर के मामलों में जल्द पहचान करके ही इन्हें खत्म किया जा सकता है.
तंबाकू में कार्सिनोजेंस होता है, जिससे माउथ केविटी में होता है आनुवंशिक बदलाव
ओरल कैंसर के लक्षणों (Symptoms Of Oral Cancer) की बात करें तो शुरुआत में लाल और सफेद रंग के छाले नियमित तौर पर निकलते हैं. अगर समय पर इनका इलाज नहीं किया गया तो यह मुंह के अन्य हिस्सों में भी फैल सकता है. ओरल कैंसर में अगर तंबाकू की भूमिका की बात की जाए तो हर किसी को यह समझना चाहिए कि इन उत्पादों में कार्सिनोजेंस पाया जाता है. जब वे शरीर में प्रवेश करते हैं तो ये रसायन माउथ कैविटी में आनुवंशिक बदलाव को बढ़ा देते हैं, जिससे ओरल कैंसर हो जाता है. जेनेटिक डिफरेंस के अलावा जले हुए तंबाकू से निकलने वाला धुआं रेडियोएक्टिव पदार्थ छोड़ता है. इसे सूंघने से एक्टिव और पैसिव दोनों तरह के स्मोकर्स को कैंसर हो सकता है.
और अगर कोई सोचता है कि सिगार, तंबाकू चबाने और स्मोकलेस तंबाकू उत्पादों के इस्तेमाल से कैंसर नहीं हो सकता है तो ऐसा नहीं है. नाइट्रेट और नाइट्राइट का कॉम्बिनेशन बेहद खतरनाक होता है. यह टोबैको स्पेसिफिक नाइट्रोसामाइनस के साथ कैंसर की वजह बनने वाले तत्व के रूप में जाना जाता है. इससे भी उतना ही जोखिम होता है, जितना सिगरेट का एक कश लेने से होता है.
तंबाकू को छोड़े
ओरल कैंसर को रोकने का एकमात्र तरीका तंबाकू छोड़ना और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाना है. यदि आप स्मोकिंग या तंबाकू के सेवन के आदी हैं तो काउंसलर्स की मदद लें और रिहैबिलिटेशन जॉइन करें.
Rani Sahu
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