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- विपक्षी एकजुटता की...
विजय त्रिवेदी। देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती के दिन कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के बुलावे पर विपक्षी नेताओं का एक साथ दिखाई देना तस्वीर में यूं तो अच्छा लगता है, लेकिन तस्वीरें अक्सर पूरा सच नहीं दिखातीं। इसका मायने यह नहीं लगाया जाना चाहिए कि विपक्षी नेताओं के इकट्ठे होने का कोई मतलब ही नहीं। दरअसल विपक्षी एकता का यह गिलास आधा भरा हुआ है, यानी कुछ के लिए आधा खाली भी है, तो क्या अब उसे पूरा भरने की ईमानदार कोशिश शुरू हो गई है? न जाने क्यों, यहां मुझे बचपन की वह कहानी याद आने लगी है, जिसमें एक राजा गांव के तालाब के उद्घाटन के लिए गांव वालों से एक रात पहले हर घर से एक गिलास दूध तालाब में डालने की मुनादी करवाता है, लेकिन सवेरे तालाब में एक बूंद भी दूध नहीं है, वह पानी से भरा हुआ है, क्योंकि हर गांव वाला यह सोचकर घर से निकला ही नहीं कि केवल उसके एक गिलास दूध न डालने से क्या फर्क पड़ेगा? कमोबेश यही हाल मोदी विरोधी नेताओं और राजनीतिक दलों का लगता है, जो समझते हैं कि एकता की यह जिम्मेदारी दूसरे दलों और नेताओं की है।