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- शिक्षा को खूंटे से...
उजालो में दीये की लौ कितनी दूर तक देखेगी, यह दिन की ठोकरों में आंख पर चढ़ा चश्मा क्या बताएगा। प्रशासन जब मिलकीयत बन जाए तो हर विभाग एक मिट्टी का टीला है। इसे देखना है तो हिमाचल की करवटों में कई विभागों के कामकाज पर नजर दौड़ाएं, लेकिन इसी बीच शिक्षा विभाग के आंचल में प्रदेश के नसीब को जगा कर देखें कि फैसलों के बीच किस तरह के आंदोलन हो रहे हैं। जिनके बच्चे सुबह साढ़े सात बजे स्कूल में जाकर आंख खोलें या गर्मी से मुकाबला करते हुए साढ़े बारह बजे लौटें, उनसे पूछिए कि फैसलों में क्रांतियों के उद्घोष यूं ही सिरफिरे नहीं होते। शिक्षा को हम शिक्षकों की वजह, विभागीय मंत्री के अनमने अवचेतन और स्कूलों में रंग रोगन की रोशनी में देखने लगे हैं। स्कूल अपने आप में राजनीति की घोषणा ही तो है, जहां शिक्षा की जादूगरी देखते-देखते बच्चे बेरोजगारी की शाखाओं पर सवार हो गए और फिर किसी कनस्तर की तरह खाली दिमाग में पाठ्यक्रम को भरने के लिए पढ़ाई के घंटे गिने जाते हैं। गर्मियों में आए पसीने को पोंछते हुए विभाग के शिमला मुख्यालय ने सोच लिया कि स्कूलों को जलते सूरज से कैसे बचाया जाए। यानी हर प्रकोप और प्राकृतिक आलोप में मुद्दे को ही गायब करने का समार्थ्य हमारे विभागीय कौशल में है। बाकी विभागों की तरह शिक्षा विभाग भी अब आंकड़ा ही तो है।
क्रेडिट बाय दिव्याहिमाचली