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मणिपुर की पहचान को समृद्ध करने वाले लोकटक झील में बसे चामपु खंगपोक गांव को 10 मार्च का बेसब्री से इंतजार है
अमिताभ भूषण।
मणिपुर की पहचान को समृद्ध करने वाले लोकटक झील में बसे चामपु खंगपोक गांव को 10 मार्च का बेसब्री से इंतजार है। तैरते हुए झील पर बसा यह गांव अपनी पहचान को जीवंत रख पाएगा या भविष्य का किस्सा हो जाएगा, यह सब नई सरकार पर निर्भर होगा। लोकटक झील में बसे खंगपोक के भविष्य से जुड़े सवाल को समझने से पहले फिलहाल लोकटक को समझना होगा।
लोकटक झील देश के पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर के विष्णुपुर जिले में अवस्थित है। मीठे और ताजे पानी के इस झील में दुनिया का इकलौता तैरता हुआ नेशनल पार्क है। केबुल लामजाओ नामक इस नेशनल पार्क का सबसे बड़ा आकर्षण नाचने वाला शंघाई हिरण है, जिसे मणिपुर के राजकीय पशु का दर्जा प्राप्त है। तैरती हुई घास, वनस्पति और मिट्टी के द्वीपों के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध लोकटक मणिपुरी में लोक और टक से मिलकर बना है जिसका अर्थ बहती हुई धारा का अंतिम सिरा है।
इस झील में घने जलीय घास के हिस्से मिट्टी के साथ तैरते रहते हैं, जिसे नीमड़ी कहा जाता है। ये जलीय घास इतने मजबूत होते हैं कि मछुआरे इन पर अपनी झोपड़ी बना कर रहते हैं। यहां रहने वाले मछुआरों की संख्या लगभग 30 हजार है।
यहां के लोगों को क्या डर है? इनलैंड प्रोजेक्ट्स के लिए केंद्र सरकार भी एक योजना यहां शुरू करना चाहती है। यहां के रहने वाले लोग मछुआरे हैं और यही उनकी आजीविका का प्रमुख स्रोत है। लोकटक डेवलपमेंट अथारिटी इस झील को साफ करना चाहती है और तैरते हुए घास के टीलों को हटाने की कोशिश कर रही है। इसी पर मुछआरों ने अपने अस्थायी घर बना रखे हैं जो हटाए जा सकते हैं।
यहां के लगभग सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने लोकटक के विकास को लेकर अपने घोषणापत्रों में इसके सुधार की बातें की हैं। भारतीय जनता पार्टी ने कहा है कि राज्य में वनस्पतियों और विलुप्तप्राय प्राणियों को बचाने के लिए व्यापक कार्ययोजना को अंजाम दिया जाएगा। वहीं कांग्रेस ने स्टेट फारेस्ट डेवलपमेंट कारपोरेशन एंड लोकटक लेक रिसर्च एंड ट्रेनिंग सेंटर खोलने का वादा किया है।
खोंगजोम वार मेमोरियल : मणिपुर के थौबल जिले में स्थित खोंगजोम वार मेमोरियल कांप्लेक्स एक ऐतिहासिक युद्ध स्मारक है, जहां युद्ध में वीरगति प्राप्त करने वाले योद्धाओं की स्मृति में दुनिया की सबसे ऊंची तलवार की प्रतिकृति लगाई गई है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1891 में अंग्रेजों ने इंफाल पर हमला बोल दिया था। यहां के राजकुमार को गिरफ्तार करने के लिए अंग्रेज अफसर ने 400 गोरखाओं के साथ रात के अंधेरे में राजमहल पर हमला बोला था। मातृभूमि और राज्य की संप्रभुता के लिए मणिपुर के सपूत अपने वीर योद्धा पाओना ब्रजबासी के नेतृत्व में युद्धरत रहे। वर्ष 1891 में 31 मार्च से शुरू हुए इस युद्ध में 25 अप्रैल 1891 को पाओना ब्रजबासी वीरगति को प्राप्त हो गए। इस युद्ध में लगभग 50 अन्य वीर मणिपुरी योद्धाओं ने अपना बलिदान दिया था। यह इस तथ्य का परिचायक है कि अंग्रेजों से लोहा लेने में देश के इस हिस्से का भी अपना योगदान है।
Rani Sahu
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