सम्पादकीय

आईपीएल के बहाने

Rani Sahu
23 May 2023 11:55 AM GMT
आईपीएल के बहाने
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By: divyahimachal
पर्यटन के लिए आईपीएल जैसा तडक़ा कई होटलों के चूल्हों पर चढ़ा और अंतत: इसका हासिल भी यही था। कांगड़ा जिला और खासतौर पर धर्मशाला में क्रिकेट के हर आयाम की सौगात बनकर जब आई पी एल जैसे मैच आते हैं, तो पर्यटन सुविधाएं, शहरी प्रबंधन व स्मार्ट सिटी जैसी परियोजनाएं भी खुद को परिभाषित करती हैं। यह खेल पर्यटन के दरवाजे पर दस्तक देने की खूबसूरत वजह तो बनता है, लेकिन आखिर कितनी बार ‘जंगल में मोर नाचेगा’ और हमारी योजनाएं राजनीतिक क्षेत्रवाद के फलक को अपना नृत्य दिखाती रहेंगी। सोशल मीडिया ने हिमाचल में पर्यटन के हर बहाने को उत्तम स्थान दिया और इसीलिए यह प्रदेश इवेंट के इच्छुक लोगों को इस प्रदेश से जोड़ रहा है, लेकिन हम हैं कि मानते नहीं। यानी हमारी राजनीतिक सोच हमेशा गुड़ को गोबर कर रही है। इन दो मैचों (शायद इवेंट मैचों) ने साबित कर दिया कि धर्मशाला की स्मार्ट सिटी का कितना गुड़ हमने गोबर किया है। स्मार्ट सिटी के माध्यम से इस शहर ने इवेंट, पर्यटन, खेल व सुव्यवस्थित सिटी ही तो बनना था, लेकिन अंतत: हुआ क्या। हद तो यह कि स्मार्ट सिटी के पैसे से आई बसें गले में हार डाल कर एक अदद उदघाटन इवेंट को तरस रही हैं, जब कि इन मैंचों के बहाने इस शहर को लोकल बस सेवा की लत लग सकती थी। पार्किंग के कई खातों के बावजूद स्मार्ट सिटी की प्लानिंग खाली हाथ टै्रफिक जाम में फंसी दिखाई दी।
बेशक प्रशासनिक तौर पर प्रदेश के इस शहर में महाआयोजनों के आतिथ्य, टै्रफिक नियंत्रण तथा कानून व्यवस्था बनाए रखने की काबिलीयत दर्ज होती है, लेकिन शहरी विकास के उच्च मानदंड न तो स्मार्ट सिटी और न ही नगर निगम के बदौलत स्थापित हुए। यह इसलिए भी कि हिमाचल के किसी भी नगर निगम (अब तो शिमला भी) की औकात नहीं कि खुद को शहरी प्रबंधन के दायित्व में बेहतर साबित कर सके, लिहाजा धर्मशाला में दर्शकों के बीच क्रिकेट रोमांच के बावजूद शहर ने क्या पाया। हो सकता है और जैसी शिकायतें हैं कुछ टिकट ब्लैक में बिक गए और कुछ होटलों के कमरे भी ब्लैक में चढ़ गए वरना भागसूनाग वॉटर फॉल का सारा पानी तो सैन्य प्रतिष्ठानों द्वारा चूस लिया गया था और डल लेक (?) के पानी का कीचड़ दिखाकर हम झील की तस्वीर बनाते भी तो कैसे। बावजूद इसके भी हम पर्यटन दिखाते हैं, तो यह शो कितने घंटे चलेगा। क्या हमने कभी सोचा कि जो पर्यटक दौड़ा-दौड़ा हिमाचल आ रहा है, उसे डेस्टिनेशन दिखाकर हम कितने ही आकर्षणों से जुल्म करते हैं। खास तौर पर एंट्री प्वाइंट से डेस्टिनेशन के बीच हम पर्यटन का आकर्षण बढ़ा रहे हैं या विधानसभा क्षेत्रों के हिसाब से पर्यटन का बजट बांट रहे हैं। पर्यटन विकास बोर्ड के अध्यक्ष के पास पर्यटन का बजटीय हिसाब है तो वह अपने ही विधानसभा क्षेत्र में डेढ़ सौ करोड़ का बड़ा होटल बना सकते हैं, लेकिन सैलानी को ज्यादा दिन रोकने के लिए होटल नहीं मनोरंजन, तमाशा, इवेंट, धरोहर, कला, लोकसंस्कृति व साहसिक खेलों के आयोजन चाहिएं। बेशक कांगड़ा को पर्यटन राजधानी का दर्जा देते हुए सुक्खू सरकार अंतरराष्ट्रीय स्तर का गोल्फ मैदान, सबसे बड़ा चिडिय़ाघर, वाटर स्पोट्र्स, कान्वेंशन सेंटर, टैंट कालोनी व टूरिस्ट विलेज जैसी परिकल्पनाओं से सुसज्जित करने की इच्छा व्यक्त कर रही है, लेकिन सरकार को होटलों के बेहूदा निर्माण में पैसा जाया नहीं करना होगा।
बहरहाल हम आई पी एल मैचों के बहाने उपलब्ध सुविधाओं का विश£ेषण करें तो मालूम होगा कि किस तरह संभावनाएं ध्वस्त होती हैं। एक शहर जिसमें नगर निगम की व्याख्या हो रही हो या स्मार्ट सिटी आंखें खोल रही हों, वहां आखिर व्यवस्था की आंख में धूल झोंक कौन रहा है। क्रिकेट के बहाने ही सही हिमाचल की चर्चा का दस्तूर बदल जाता है। पहले अनुराग ठाकुर ने क्रिकेट की अधोसंरचना से हिमाचल को एक नाम, एक ठौर दिया और अब अरुण धूमल ने क्रिकेट के जश्न से पर्यटन को मंजिल दी। यही प्रेरणा हिमाचल के चप्पे-चप्पे को इवेंट आयोजनों से भरपूर कर सकती है। बतौर केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर व राज्य सरकार के बीच राजनीतिक इच्छा का तालमेल हो जाए, तो केवल एक राष्ट्रीय खेलों का आयोजन आठ से दस शहरों को खेल डेस्टिनेशन बना देगा। धार्मिक पर्यटन को संवारा जाए, तो प्रमुख मंदिर में साल में 365 इवेंट आयोजित हो जाएंगे। पहाड़ पर ट्रैकिंग, फिशिंग, रिवर राफ्टिंग, पैराग्लाइडिंग, हॉट एयर बैलूनिंग, साइकिलिंग, संगीत सम्मेलनों, विंटर-समर समारोहों, पारंपरिक मेलों, फूड फेस्टिवलों, चाय, सेब व आम उत्सवों के जरिए अलग-अलग इवेंट डेस्टिनेशन स्थापित करके पर्यटक को हर बार आने का एक नया बहाना देना होगा।
Rani Sahu

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