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- अब कृषि सुधारों की नई...
नौ दिसंबर को दिल्ली के विभिन्न बार्डरों पर 378 दिनों से चल रहा किसानों का आंदोलन समाप्त हो गया। कृषि कानूनों को रद करने के बाद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) सहित अन्य मांगों पर सरकार और संयुक्त किसान मोर्चा के बीच सहमति बनने और इसको लेकर सरकार से आधिकारिक पत्र प्राप्त होने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने घर वापसी की घोषणा की। उल्लेखनीय है कि एक दिसंबर 2021 को तीन कृषि कानून राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर के बाद औपचारिक रूप से वापसी हो गए हैं। चाहे कृषि कानून वापस हो गए हैं, लेकिन कृषि की विकास दर बढ़ाने और छोटे किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कृषि सुधारों की जरूरत बनी हुई है। ज्ञातव्य है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि को प्रभावी बनाने और कृषि संबंधी मसलों के समाधान के लिए विशेष कमेटी बनाने की घोषणा की है। किसानों की आय के स्तर को बढ़ाने और नई कृषि रणनीति बनाने में इस कमेटी की अनुशंसाएं महत्त्वपूर्ण होंगी। इस कमेटी की अनुशंसाएं किसानों और ग्रामीण गरीबों की आय बढ़ाने की चुनौती के मद्देनजर भी महत्त्वपूर्ण होंगी। नीति आयोग की 26 नवंबर को प्रकाशित हालिया रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण भारत में गरीबी को कम करने के लिए अधिक कारगर प्रयासों की जरूरत है। वर्ष 2015-16 के दौरान ग्रामीण इलाकों में 32.75 आबादी और शहरी इलाकों में 8.81 फीसदी आबादी बहुआयामी गरीबी में पाई गई है। चूंकि खेती की लागत लगातार बढ़ रही है, इसलिए कृषि उत्पादन का एमएसपी बढ़ाना जरूरी है। दुनिया के कई देशों में कृषि उपज की बाजार कीमतों में गिरावट को रोकने के लिए किसानों को सबसिडी दी जाती है। हमारे देश में वर्तमान में एमएसपी व्यवस्था 23 फसलों पर लागू है। हमारे देश में हरित क्रांति के दौरान किसानों को गेहूं उगाने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु एमएसपी की व्यवस्था की गई थी। बाद में इसके तहत चावल व अन्य फसलों को लाया गया। लेकिन इस समय आंदोलनकारी किसान संगठन कृषि उपजों के एमएसपी की कानूनी गारंटी चाहता है।