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इन दिनों सितारों के रवैये में ऑडिशन को लेकर बदलाव आया है
अनुपमा चोपड़ा। इन दिनों सितारों के रवैये में ऑडिशन को लेकर बदलाव आया है। एक जमाना था, जब सितारों को लगता था कि अगर कोई उनसे कहे कि ऑडिशन दो तो उन्हें बेइज्जती महसूस होती थी। वे सोचते थे, हम तो स्थापित कलाकार हैं, हम से कैसे ऑडिशन की बात पूछ सकते हो? मुझे मीरा नायर ने बताया था कि एक बार वे कोशिश कर रही थीं कि इंडस्ट्री से कोई बड़ा स्टार उनकी फिल्म में हो।
उन्होंने जब बड़े सितारों से कहा कि क्या आप ऑडिशन दे सकते हैं तो कई सितारों को वह बात बुरी लगी। उनकी प्रतिक्रिया थी कि हमने तो 50 फिल्में की हैं। हम क्यों ऑडिशन दें। लेकिन अब वक्त आ गया है जब करीना कपूर खान ने लाल सिंह चड्ढा के लिए ऑडिशन दिया। वे कहती हैं, 'इसमें बुरा क्या है? आमिर खान प्रोड्यूसर हैं, उन्हें हक है देखने का कि क्या मैं कैरेक्टर में फिट बैठती हूं या नहीं?'
जाह्नवी कपूर ने मुझे बताया कि उन्होंने धर्मा की किसी फिल्म के लिए ऑडिशन दिया, लेकिन वे रिजेक्ट हो गईं। मैंने पूछा, 'बुरा नहीं लगा?' वे बोलीं, 'मुझे ऑडिशन में ही सही मगर अभिनय का मौका तो मिला। मैं तो चाहूंगी कि आगे भी ऐसा ही चलता रहे।' मुझे नहीं मालूम कि लाल सिंह चड्ढा में करीना के अलावा और भी किसी एक्ट्रेस को बुलाया गया था या नहीं, लेकिन सच्चाई यही है कि करीना को ऑडिशन तो देना पड़ा, जबकि उन्हें इंडस्ट्री में 18-19 साल हो चुके हैं।
करीना ने पेशेवर तरीके से ऑडिशन दिया। मेरा मानना है कि यह बेहद अच्छा संकेत है क्योंकि एक्टर्स अपनी सीमाओं को खुश करना चाहते हैं। वहीं ऑडिशन के जरिए जांच लेते हैं कि कुछ रोल के लिए वे अच्छे हैं, कुछ के लिए नहीं। आज के बड़े सितारे ऑडिशन देने में कोई प्रतिष्ठा का सवाल नहीं बना रहे। इससे कोई एक्टर छोटा नहीं हो जाता। हाल ही में मैं अली फजल को देख रही थी। उन्होंने हॉलीवुड में फिल्में ऑडिशन दे-देकर हासिल कीं।
वह चाहे 'विक्टोरिया एंड अब्दुल' हो या 'फास्ट एंड फ्यूरियस'। हॉलीवुड में यह आम है। यकीनन टॉम क्रूज़ ऑडिशन नहीं देते होंगे क्योंकि उनकी फिल्में उन्हीं के इर्द-गिर्द बनती हैं, पर किसी नए किरदार के लिए एक्टर तलाशने के लिए ऑडिशन लेना-देना बहुत बड़ी बात नहीं है। लेकिन बॉलीवुड में खासकर बड़े चेहरों के मामले में हमेशा समस्या रही है। यहां स्टार बनने पर अभिनेता ऑडिशन देना शान के खिलाफ समझता है।
करीना या जाह्नवी जैसी एक्ट्रेसेस जो ऑडिशन दे रही हैं और अगर उन्हें फिल्म मिल रही है तो बहुत अच्छा, नहीं मिल रही हैं तो भी वे अच्छा महसूस कर रही हैं। वे मानकर चल रही हैं कि कुछ सीखने को तो मिला। भुवन बाम यूट्यूब स्टार हैं। उन्होंने भी सैकड़ों ऑडिशन दिए हैं। लेकिन बहुत से ऑडिशन में उनका नहीं हुआ है। मगर इसको उन्होंने दिल पर नहीं लिया। भुवन ने तो ऑन रिकॉर्ड कहा, 'मैंने अनगिनत ऑडिशन दिए हैं और उनमें सिलेक्शन नहीं हुआ।
फिर मैंने अपने लिए, अपना ही एक शो 'ढिंढोरा' क्रिएट किया।' भुवन ने आगे कहा, 'मैंने इतने सारे ऑडिशन दिए हैं, मेरा यूट्यूब इतना हिट रहता है लेकिन लोग मुझे फिल्मों में या वेब सीरीज में अलग किरदार में लेना नहीं चाहते हैं। इसलिए मैंने अपने ही कैरेक्टर्स के साथ अपना शो खड़ा कर लिया। एक दिलचस्प चीज और देखने को मिल रही है कि कई बार ऐसा भी हो रहा है कि अभिनेताओं से उनके सोशल मीडिया अकाउंट पर कितने फॉलोवर्स हैं, कितने लाइक मिलते हैं, कितने हिट्स आते हैं, वह भी पूछा जाता है।
यह मगर सिर्फ बड़े कॉरपोरेट्स स्टूडियो, कुछ ओटीटी प्लेटफॉर्म, बड़े प्रोड्यूसर पूछ लेते हैं, मगर जो वास्तविक कास्टिंग डायरेक्टर, अभिषेक बैनर्जी, नंदिनी श्रीकेन आदि हैं, उन्होंने कहा कि वे ऐसा नहीं करते। वे एक्टर को उनकी परफॉर्मेंस के आधार पर चुनते हैं, न कि सोशल मीडिया अकाउंट पर फॉलोवर की संख्या के आधार पर।
Rani Sahu
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