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- गैर-जरूरी गिरफ्तारी
देश की सर्वोच्च अदालत ने एक और प्रशंसनीय व्यवस्था देते हुए पुलिस को कहा है कि लोगों को सिर्फ इसलिए गिरफ्तार न करें, क्योंकि आप कर सकते हैं, या सिर्फ इसलिए गिरफ्तार न करें, क्योंकि आपको आरोप पत्र दाखिल करना है। यह स्वाभाविक बात है कि गिरफ्तारी से किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा और आत्मसम्मान को अपूरणीय क्षति पहुंच सकती है। पुलिस के पास गिरफ्तारी का अधिकार है,पर जरूरी नहीं कि हर बार गिरफ्तारी अनिवार्य हो। यह छिपी हुई बात नहीं है कि पुलिस द्वारा की गई बहुत सारी गिरफ्तारियां गैर-जरूरी होती हैं, लेकिन किसी आम सभ्य आदमी के लिए गिरफ्तारी जीवन भर का सदमा होती है। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल व हृषिकेश रॉय की खंडपीठ ने आपराधिक मामलों में लोगों को गिरफ्तार करने की प्रथा को खारिज करते हुए जोर दिया है कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता हमारे सांविधानिक जनादेश का एक महत्वपूर्ण पहलू है। वाकई, पुलिस को केवल उन्हीं मामलों में गिरफ्तारी करनी चाहिए, जो जघन्य अपराध से जुड़े हों, जिनमें आरोपी के फरार होने, साक्ष्य नष्ट किए जाने या गवाहों को प्रभावित करने की आशंका हो।
क्रेडिट बाय हिन्दुस्तान