सम्पादकीय

‘ईस्ट इंडिया’ का नया प्रतीक

Rani Sahu
15 Jun 2023 6:37 PM GMT
‘ईस्ट इंडिया’ का नया प्रतीक
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By: divyahimachal
लोकतंत्र की हर रोज हत्या होती है। लोकतंत्र हर रोज खत्म होता है। फिर खत्म होता है। बार-बार खत्म हो रहा है। यह कैसा प्राणी है? लोकतंत्र की मौत या हत्या हर रोज कैसे संभव है? भारत फिर भी एक संप्रभु राष्ट्र है। संविधान, संसद, कानून, अदालतें और चुनाव प्रणाली सब कुछ है, जो एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक देश में होने चाहिए। फिर बार-बार यह बयानबाजी क्यों की जाती है कि लोकतंत्र की हत्या कर दी गई? लोकतंत्र न होता, तो देश पर एक ही दल हुकूमत करता। देश वाकई में ‘उत्तर कोरिया’ बन जाता! किसान आंदोलन नहीं कर पाते और अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर विदेशी दुकानें न खुल पातीं! जब भारत में ‘ईस्ट इडिया कंपनी’ ने सेंध लगाई थी, तब शुक्र है कि भारत ‘गुलाम देश’ था। तब किसकी मौत, हत्या और खात्मे के शोर बुलंद किए जाते? अब ट्विटर के सह-संस्थापक और सीईओ रहे जैक डॉर्सी ने एक बयान दिया है, तो हाय-तौबा मच गई है कि ‘तानाशाह एक डरपोक आदमी होता है।’ हमारे संविधान ने मौलिक और नागरिक अधिकार सिर्फ ‘भारतीय’ को दिए हैं। विदेशी उद्योगपति उस श्रेणी के बाहर हैं। भारत में जो हजारों विदेशी कंपनियां कार्यरत हैं, वे पूरी तरह भारतीय कानूनों की परिधि में हैं। यदि ट्विटर ने बार-बार भारतीय कानूनों का उल्लंघन किया है, तो यकीनन वह अपराधी है, लिहाजा दंडनीय भी है। अभिव्यक्ति की आजादी की आड़ को वह अपना ‘सुरक्षा-कवच’ नहीं बना सकता।
डॉर्सी ने जो बयान दिया है, वह मूलत: सच है, लेकिन तस्वीर का एक ही पक्ष पेश किया गया है। भारत सरकार ने ट्विटर से सिर्फ किसान आंदोलन से जुड़े अकाउंट्स बंद करने का आग्रह जरूर किया था, बल्कि ऐसे 1178 संदिग्ध और फेक खातों के खिलाफ भी कार्रवाई करने का आदेश दिया था। ऐसे अकाउंट्स देश की सुरक्षा, एकता, अखंडता के लिए खतरा बन सकते हैं। गड़बड़ी और अराजकता तक फैला सकते हैं। किसी भी देश की सरकार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को चेतावनी क्यों नहीं देगी? बंद की कार्रवाई भी कर देनी चाहिए, क्योंकि अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर देश विरोधी दुष्प्रचार के अड्डे खुले हुए हैं। डॉर्सी अब ट्विटर में कुछ भी नहीं हैं। एलन मस्क उसके नए मालिक हैं, लिहाजा अतीत में क्या हुआ था, सिर्फ उसी के आधार पर भारत के लोकतंत्र का आकलन नहीं किया जा सकता। बात छिड़ी है, तो हम पाठकों को बता दें कि तत्कालीन ट्विटर ने भारत का गलत मानचित्र दिखाने का दुस्साहस किया था। जम्मू-कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा माना था। वह भारत-विरोधी एजेंडे पर काम कर रहा था। यहां तक कि उसने भारत के तत्कालीन उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के खाते पर से ‘ब्लू टिक’ हटा लिया था। यानी अकाउंट की पुष्टि नहीं की थी। किसान आंदोलन के दौरान जनवरी, 2021 में जब हिंसक विरोध-प्रदर्शन भडक़ उठे थे, तब ट्विटर ने भारत सरकार को ‘नरसंहारी’ करार दिया था। यकीनन यह दुष्प्रचार दुनिया भर में पहुंचा होगा। बाद में सच कुछ और ही निकला। आज यूरोपीय संघ ‘फेक न्यूज’ के लिए ट्विटर पर पाबंदी थोपने की धमकी दे रहा है। क्या दुनियाभर में डॉर्सी सरीखे ही ‘सत्यवादी हरिश्चंद्र’ हैं?
Rani Sahu

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