सम्पादकीय

चुनावी पहेलियों के नए अर्थ

Rani Sahu
8 Jun 2022 7:08 PM GMT
चुनावी पहेलियों के नए अर्थ
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मिशन रिपीट की चक्की में अति महीन पीसते हुए हिमाचल भाजपा की रणनीति अपने विरोधियों को चित करने का हर तरीका अख्तियार करते हुए दिखाई देती है

मिशन रिपीट की चक्की में अति महीन पीसते हुए हिमाचल भाजपा की रणनीति अपने विरोधियों को चित करने का हर तरीका अख्तियार करते हुए दिखाई देती है। हमीरपुर की सियासी कर्मभूमि में फिर से जीत का संकल्प उगाते हुए भाजपा ने बाकायदा एक रोडमैप तैयार कर लिया है और जहां जंग का नया हुलिया अभ्यास करता हुआ दिखाई देता है। भाजपा ने खुद को जीत के आगोश में बैठा कर वे तमाम सदमे भूलने की कोशिश भी की है, जो अकसर सत्ता पक्ष की खामियां बढ़ा देते हैं। इसे हम भाजपा का सकारात्मक पक्ष भी कह सकते हैं कि पार्टी अपनी तमाम भूल भुलैया को दरकिनार करते हुए, नया आसमान चीरने का संकल्प ले रही है। कम से कम पार्टी अपने हमीरपुर मंथन से आश्वस्त होकर न तो पिछले उपचुनावों की शिकस्त को सिर पर सवार होने देना चाहती है और न ही अपनी सरकार के विरोध में पैदा हुई हवाओं से खौफजदा होने की कोई वजह ढूंढ रही है, बल्कि अपने मुकाबले के सामने कांग्रेस को संगठनात्मक चुनौती दे रही है। भाजपा यह कह रही है कि उसकी जड़ें अगर मजबूत हैं, तो अब और गहरे तक जाएंगी। पार्टी ने मिशन रिपीट को नया अर्थ देते हुए यह संकेत भी दे रही है, 'जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ'। यानी भाजपा अपने आत्मविश्वास और मनोबल के रास्ते सारे विरोध को पस्त करने के लिए संगठन मजबूत करते हुए एक साथ कई दुर्ग खड़े कर रही है और जहां युद्ध की पताका मतदाता सूची के हर पन्ने पर फहराते हुए हर मतदाता से विमर्श करेगी।

अब तक भाजपा सदस्यों के घरों पर पार्टी के चिन्ह व प्रतीक पहुंच चुके हैं, तो आगे कार्यकर्ताओं के मानसिक उजाले में मिशन रिपीट को रेखांकित करने का दम भरा जा रहा है। पार्टी मिशन रिपीट का दम भरती हुई दिखाई देना चाहती है, इसलिए आगामी दिनों में सभी मोर्चों के सम्मेलन, त्रिदेव सम्मेलन और पंच परमेश्वर जैसे सम्मेलनोें की अनुगूंज में माहौल की टिप्पणी भी सुनी जाएगी। मिशन रिपीट की सियासी तैयारियों के अलावा हिमाचल में केंद्र व राज्य सरकारों के अपने-अपने यत्न और प्रयत्न रहेंगे। चुनावी पहेलियों के नए उत्तर लिखती भाजपा कम से कम यह साबित करने में सफल है कि उसकी तैयारियों का खूंरेजी अंदाज आज के दौर को परिभाषित करता है। हिमाचल में भाजपा के मुकाबले परंपरागत कांग्रेस और नई शब्दावली का सिंदूर लगाती आम आदमी पार्टी का वजूद कितना टिक पाएगा या त्रिकोणीय मुकाबले की सूरत में भाजपा अपनी सीरत का कितना प्रदर्शन कर पाती है, यह अनुमान लगाना कठिन है, लेकिन मिशन रिपीट की नई शर्तों में यह पार्टी जनता के सामने तसदीक होने के लिए कैनवास बड़ा जरूर कर रही है।
सांगठनिक ताकत के अलावा शिमला और दिल्ली की सत्ताओं की कहानी का मंचन भी होगा। अगर प्रदेश के लाभार्थियों में मिशन रिपीट की पूूंजी का साझा चूल्हा जल गया, तो आगे चल कर संदेश और गहरे होते जाएंगे। पहले ही 'आप' को चारों खाने चित करने की कवायद में भाजपाई तरकश के तीर निशाने पर लगे हैं। एक नई कार्यकारिणी के साथ फिर से उदय कर रही पार्टी के सामने भाजपा के मायने और दस्तूर कहीं भारी तो पड़ ही रहा है। दूसरी ओर सरकार विरोधी लहरें माप रही कांग्रेस का जहाज खुद को सत्ता के छोर तक ले जाएगा या इस बार भाजपा ने चुनावी पिच को बदल कर अपने खिलाफ के जनाक्रोश को रोक दिया है। कम से कम पार्टी ने अपने खिलाफ तमाम मुद्दों के छिलके उतारने की रणनीति में अपने मोर्चे दुरुस्त करने शुरू कर दिए हैं। ऐसे में पहली बार कांग्रेस का एक ऐसी सत्ता से पाला पड़ रहा है, जो अपना सिंहासन छोड़ने के लिए रत्तीभर भी तैयार नहीं। यहां सत्ता बनाम विपक्ष के बजाय भाजपा बनाम कांग्रेस हो गया, तो यह कुछ समीकरण बदल सकता है। यानी कांग्रेस को अब कोशिश यह करनी होगी कि मुकाबला भाजपा की सत्ता का कांग्रेस की संभावना से है, वरना भाजपा अगर आखेट में कांग्रेस से तुलनात्मक प्रचार करने में बढ़त ले लेती है, तो मिशन रिपीट के अर्थ और पैमाने वर्तमान सत्ता को कुछ हद तक बचा भी सकते हैं।

By: divyahimachal

Rani Sahu

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