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न्यू एजुकेशन पॉलिसी के अंतर्गत स्कूलों तथा कॉलेजों में दिए जाने वाली शिक्षा में महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। मानव संसाधन प्रबंधन मंत्रालय अब शिक्षा मंत्रालय के नाम से जाना जाएगा। नई शिक्षा नीति के अंतर्गत 5 जमा 3 जमा 3 जमा 4 का पैटर्न फॉलो किया जाएगा। भारतीय शिक्षा नीति में पिछले 3 दशकों से कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी का उद्देश्य भारत में दी जाने वाली शिक्षा को वैश्विक स्तर पर लाना है। पुरानी एजुकेशन पॉलिसी में बहुत सारे बदलाव किए गए हैं जिससे कि शिक्षा की गुणवत्ता में अत्यधिक सुधार देखा जाएगा। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के सिद्धांत कहते हैं कि प्रत्येक विद्यार्थी की क्षमता दूसरे से अलग है। उसकी क्षमता को पहचान कर विद्यार्थी का संपूर्ण विकास होना चाहिए। इसके अलावा बच्चों को भारतीय संस्कृति से जोडऩा, सुशासन सिखाना, विभिन्न भाषाओं का ज्ञान देना तथा बच्चों की सोच को रचनात्मक और तार्किक बनाना इस शिक्षा नीति का मुख्य उद्देश्य है। यह कहना भी उचित होगा कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी में कई क्रांतिकारी सुधार हैं। हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू कर दिया गया है। हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल ने 18 सितंबर 2020 को मंजूरी मिलते ही तत्काल प्रभाव से नई शिक्षा नीति को लागू कर दिया। नई नीति के तहत जमा 1 से स्नातक तक विज्ञान, वाणिज्य तथा कला संकाय नहीं होगा। विद्यार्थी अपनी इच्छानुसार विज्ञान, गणित, आईटी और वोकेशनल विषयों को पढ़ेगा। आईटी और वोकेशनल विषय विद्यार्थी छठी कक्षा से ही पढऩा शुरू कर दें, इसका भी प्रावधान किया जा रहा है।
संस्कृत विषय को तीसरी कक्षा से ही पढ़ाया जाएगा। स्नातक में डिग्री सिस्टम को खत्म करके क्रेडिट स्कोर सिस्टम लागू किया जाएगा, जहां 4 वर्ष की डिग्री का विकल्प होगा। 4 वर्ष की डिग्री के बाद पीजी केवल 1 वर्ष की होगी। एमफिल को पहले ही खत्म कर दिया गया है जबकि पीएचडी के लिए पूरे देश में एक ही टेस्ट होगा। नई नीति में हिमाचल प्रदेश में 10वीं और जमा 2 में दो बार बोर्ड की परीक्षाएं आयोजित की जाएंगी। दो बार परीक्षा लेने का निर्णय इसलिए लिया गया है ताकि विद्यार्थियों में तनाव खत्म किया जा सके। नई शिक्षा नीति को रोजगार से सीधा जोड़ा गया है, जिससे विद्यार्थियों को क्षमता के आधार पर रोजगार के अवसर मिल सकंे। नई शिक्षा नीति में रोजगार चाहने वालों के स्थान पर रोजगार प्रदान करने वालों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। यह शिक्षा नीति विद्यार्थियों को रटने की आदत से समीक्षात्मक सोच की ओर अग्रसर करेगी। हमारे देश में वोकेशनल स्टडी सीखने वाले छात्र 5 फीसदी से भी कम हंै।
इसी बात को ध्यान में रखते हुए नई शिक्षा नीति के अंतर्गत छात्रों को वोकेशनल स्टडीज सीखने पर ध्यान दिया जाएगा, जिसमें बागबानी, लकड़ी का काम, मिट्टी के बर्तन, बिजली का काम आदि शामिल हंै। 2025 के अंत तक नई शिक्षा नीति के अंतर्गत कम से कम 50 फीसदी छात्रों को वोकेशनल स्टडीज पढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। प्रदेशभर के 54 नए स्कूलों में व्यावसायिक कोर्स की कक्षाएं शुरू होंगी। इन सभी स्कूलों में नौवीं से लेकर 12वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को व्यावसायिक विषय पढ़ाए जाएंगे। वर्तमान में प्रदेश के 1100 स्कूलों में 15 विभिन्न ट्रेडों में व्यावसायिक कोर्स संचालित हैं। इन स्कूलों में 91277 विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं। वहीं विद्यार्थियों को पढ़ाई के साथ-साथ तकनीकी शिक्षा से जोडऩे के लिए स्कूलों में व्यावसायिक कोर्स को विशेष रूप से संचालित किया जा रहा है जिससे विद्यार्थियों को स्वरोजगार के लिए किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े। इस नीति का उद्देश्य छात्रों के पाठ्यक्रम भार को कम करना और उन्हें ‘बहुभाषी’ बनाने की अनुमति देना है। ‘यदि कोई छात्र भौतिकी के साथ फैशन की पढ़ाई करना चाहता है, या यदि कोई रसायन विज्ञान के साथ बेकरी सीखना चाहता है, तो वे ऐसा करने की अनुमति देंगे’। रिपोर्ट कार्ड ‘समग्र’ होंगे, जो छात्र के कौशल के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं। प्रत्येक विषय को अतिरिक्त पाठ्यक्रम न मान कर पाठ्यक्रम के रूप में देखा जाएगा जिसमें योग, खेल, नृत्य, मूर्तिकला, संगीत आदि शामिल हंै। एनसीईआरटी पाठ्यक्रमों को राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा के अनुसार तैयार करेगी। शारीरिक शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। वोकेशनल तथा एकेडमिक स्ट्रीम को अलग नहीं किया जाएगा जिससे कि छात्रों को दोनों क्षमताओं को विकसित करने का मौका मिले।
वर्ष 2017 में हिमाचल प्रदेश के 12 महाविद्यालयों में व्यावसायिक शिक्षा के महत्व को देखते हुए बी-वॉक के तहत हॉस्पिटैलिटी तथा टूरिज्म और रिटेल मैनेजमेंट कोर्स प्रारंभ किए गए थे। इसके सफलतापूर्ण चलने के उपरांत छह और राजकीय महाविद्यालयों में यही कोर्स प्रारंभ किया गया और अब वर्तमान में 18 राजकीय महाविद्यालयों में यह कोर्स उच्च शिक्षा विभाग के तहत चलाया जा रहा है, जिससे 75 फीसदी के करीब प्रशिक्षु पढऩे के बाद नौकरियां प्राप्त कर चुके हैं। हिमाचल प्रदेश के स्कूलों में अप्रैल 2023 से राष्ट्रीय शिक्षा नीति का पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा। सरकारी स्कूलों में अब प्री प्राइमरी में 3 साल की उम्र से बच्चे देखेंगे। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय ने भी नई शिक्षा नीति को इसी शैक्षणिक सत्र से लागू कर देने का निर्णय ले लिया है। कुल मिलाकर, एनईपी-2023 से भारत में शिक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव आने की उम्मीद है।
डा. पंकज शर्मा
शिक्षाविद
By: divyahimachal
Rani Sahu
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