सम्पादकीय

भारत में जनसंख्या नियंत्रण कानून की जरूरत

Rani Sahu
8 July 2022 7:10 PM GMT
भारत में जनसंख्या नियंत्रण कानून की जरूरत
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भारत की जनसंख्या लगातार बढ़ रही है। एक बेवसाइट वर्ल्ड मीटर के अनुसार भारत की जनसंख्या एक अरब 39 करोड़ के लगभग है

भारत की जनसंख्या लगातार बढ़ रही है। एक बेवसाइट वर्ल्ड मीटर के अनुसार भारत की जनसंख्या एक अरब 39 करोड़ के लगभग है और इसका क्षेत्रफल 32.87 लाख वर्ग किलोमीटर है। भारत की जनसंख्या हर दस साल में 17.64 फीसदी की दर से बढ़ रही है जो पहले दस साल में 21.54 फीसदी की दर से बढ़ रही थी। जनसंख्या वृद्धि दर में कमी अवश्य आई है, लेकिन इसे और कम करने की आवश्यकता है। क्षेत्रफल के हिसाब से यह जनसंख्या बहुत अधिक है। वर्ल्ड मीटर के अनुसार 2022 में चीन की जनसंख्या लगभग 144 करोड़ है, जबकि इसका क्षेत्रफल 95 लाख वर्ग किलोमीटर है। इस हिसाब से देखें तो चीन का क्षेत्रफल भारत के क्षेत्रफल का लगभग तीन गुणा है। क्षेत्रफल के हिसाब से देखें तो भारत की जनसंख्या बहुत अधिक है। हालांकि भारत की भौगोलिक परिस्थितियां चीन से बेहतर हैं। इसी तरह अमेरिका का क्षेत्रफल लगभग 98 लाख वर्ग किलोमीटर है और जनसंख्या लगभग 34 करोड़ है। एक अनुमान के अनुसार यदि हमारे देश भारत की जनसंख्या की वृद्धि दर इसी तरह रही तो 2027 तक भारत जनसंख्या के मामले में चीन को पीछे छोड़ देगा। अब सवाल यह उठता है कि बहुत अधिक जनसंख्या का किसी भी देश पर क्या प्रभाव पड़ता है? जनसंख्या वृद्धि का सीधा असर उस देश के विभिन्न खनिज पदार्थों और कृषि पर पड़ता है। कृषि क्षेत्र तो बढ़ता नहीं और न ही खनिज पदार्थ बढ़ते हैं, इसके विपरीत खनिज पदार्थों का लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए अत्यधिक मात्रा में दोहन करना पड़ता है। खनिज पदार्थों का दोहन कब तक किया जाए? इसी प्रकार जनसंख्या बढ़ने से कृषि क्षेत्र भी कम हो जाता है। भारत की भूमि इतनी बड़ी जनसंख्या को सहन नहीं कर सकती। अतः जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करना अत्यंत आवश्यक है। भारत की आज़ादी के समय जनसंख्या लगभग 33 करोड़ थी। यह इतनी तेज़ी से बढ़ रही है कि आज हालत ऐसे बन गए हैं कि इस जनसंख्या को नियंत्रित करना समय की मांग है। यदि समय रहते जनसंख्या वृद्धि दर को काबू में कर लिया होता तो आज हमारा देश विकसित नहीं तो आत्मनिर्भर अवश्य बन जाता।

अभी तो हमारा देश भारत के लोगों की आवश्यकताएं पूरी करने के लिए भरसक प्रयत्न कर रहा है। जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करना उतना ही आवश्यक है जितना कि किसी भी प्राणी के लिए हवा व पानी, क्योंकि यदि इसी तरह भारत की जनसंख्या बढ़ती रही तो एक दिन ऐसा आएगा कि भोजन, पानी व खनिज पदार्थों की कमी पड़ जाएगी। यह सोचने वाली बात है कि उस समय क्या हाल होगा? अधिक आबादी का वनों पर भी बहुत अधिक बोझ पड़ता है और इसके लिए पेड़ों को काटा जाता है जिससे जमीन खोखली हो जाती है और भूमि कटान व बाढ़ आ जाने का खतरा बहुत अधिक बढ़ जाता है। खनिज पदार्थों के अधिक दोहन से भी धरती खोखली हो जाती है। सूत्रों के हवाले से खबर है कि हमारे देश भारत का एक बहुत बड़ा वर्ग जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने के पक्ष में है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने तो जनसंख्या नियंत्रण कानून का ड्राफ्ट भी तैयार कर लिया है। केंद्र सरकार ने भी इसकी तैयारी कर ली है। इस कानून के तहत दो बच्चे पैदा करने का प्रावधान होना चाहिए। एक बच्चा पैदा करने वाले लोगों को विशेष सुविधाएं उपलब्ध कराई जानी चाहिए। दो बच्चे पैदा करने वाले लोगों को भी इसी तरह की सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए। यदि कोई दो बच्चों से अधिक पैदा करता है तो उसे सरकारी सुविधाओं जैसे सरकारी क्षेत्र में व निजी क्षेत्र में नौकरी करने से वंचित कर देना चाहिए। इसके साथ-साथ ऐसे लोगों को किसी भी राजनीतिक पार्टी द्वारा चुनाव लड़ने के लिए टिकट नहीं देना चाहिए और चुनाव आयोग को ऐसे लोगों को अपनी पार्टी नहीं बनाने देना चाहिए। सरकारी डिपुओं में जो सस्ता राशन मिलता है, उसे भी इन लोगों को नहीं देना चाहिए। इस प्रकार के सख्त प्रावधानों से ही जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाई जा सकती है। हमारा देश भारत एक बहुत बड़ा लोकतंत्र है जिसकी मिसाल पूरी दुनिया में दी जाती है। लोकतंत्र में जनता की भावनाओं का ख्याल रखा जाता है। इसके लिए जनता से राय ली जा सकती है। जब आधी से अधिक जनसंख्या इसके पक्ष में होगी तो इस कानून को तुरंत लागू कर देना चाहिए। यह ऑनलाइन ली जा सकती है और इसके लिए समय भी अधिक नहीं लगेगा।
वैसे भी आजकल अधिकतर लोग पढ़े-लिखे हैं और उनमें जागरूकता है और उन्हें पता है कि यदि दो बच्चे पैदा होंगे तो उनका पालन-पोषण अच्छे ढंग से हो पाएगा। तभी तो पिछले दस वर्षों में जनसंख्या वृद्धि दर कम हुई है। भारत को विकसित देशों की श्रेणी में शामिल करने के लिए इस कानून की बहुत आवश्यकता है। कोई भी देशवासी नहीं चाहेगा कि हमारा देश भारत विकसित राष्ट्र न बने। यह सही है कि हमारा देश दिन-प्रतिदिन आगे बढ़ रहा है, लेकिन यदि आबादी इसी तरह बढ़ती रही तो विकसित राष्ट्र के लक्ष्य को हासिल करना मुश्किल हो जाएगा। किसी भी देश को आगे ले जाने के लिए कई बार कड़े फैसले लेने पड़ते हैं। कुछ लोगों को ऐसे फैसले नागवार गुजरें, लेकिन देश हित में यह सब करना बहुत आवश्यक है। कोई भी कानून जब लागू कर दिया जाता है तो लोग उसका विश्लेषण करते हैं और बाद में जब उन्हें पता चलता है कि यह कानून देश व जनता के हित में है तो वही विरोध करने वाले लोग इसके पक्ष में खड़े हो जाते हैं। इतिहास गवाह है कि जब भी देश हित में कोई फैसला लिया गया, जनता ने उसका स्वागत किया। कुछ वर्षों पहले हमारे देश की प्रतिभाएं काम की तलाश में विदेशों में चली जाती थीं। अमेरिका जैसे राष्ट्रों को विकसित राष्ट्र बनाने में भारत की इन प्रतिभाओं का बहुत बड़ा योगदान है। आज जैसे-जैसे हमारा देश आगे बढ़ रहा है, हमारे देश की प्रतिभाएं अपने ही देश में विभिन्न क्षेत्रों में काम करके राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दे रही हैं। यदि हम अपनी जनसंख्या वृद्धि दर को कम कर देंगे तो इन प्रतिभाओं को भारत में अपनी प्रतिभा के अनुसार काम करने का अधिक अवसर मिलेगा। भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में बड़ी जल्दी कामयाबी हासिल होगी। किसी भी राष्ट्रभक्त के लिए देश पहले है और भारतवासी तो अपने देश की उन्नति के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं।

नरेंद्र कुमार शर्मा
लेखक जोगिंद्रनगर से हैं

सोर्स- divyahimachal

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