सम्पादकीय

संघर्षों में तप कर निखरे मुलायम सिंह यादव, अपना नुकसान करके भी निभाते थे संबंध

Rani Sahu
11 Oct 2022 5:24 PM GMT
संघर्षों में तप कर निखरे मुलायम सिंह यादव, अपना नुकसान करके भी निभाते थे संबंध
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सोर्स - Jagran
शतरुद्र प्रकाश: मुलायम सिंह यादव का जाना गहरी वेदना, टीस और कसक दे गया। एक जनवरी, 2017 को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद वह पुराने साथियों से मिलने पर भावुक हो जाते थे। वह बहुत कुछ कह सकते थे, नहीं कह पाए। जो करना चाहते थे, नहीं कर पाए। जरा-जरा सी बात पर जोखिम उठाने वाले वाले मुलायम सिंह जीवन के अंतिम दौर में उदास थे। अपनी पत्नी श्रीमती साधना के दिवंगत हो जाने के बाद भावनात्मक रूप से आहत होकर वह एकाकी रह गए। समय के साथ उनका व्यक्तित्व दलगत राजनीति में बड़ा होता गया। अनेक राष्ट्रीय मुद्दों पर लोकसभा में उनकी भूमिका एक अनुभवी एवं वरिष्ठ नेता के रूप में दिखती रही। देश के रक्षा मंत्री के रूप मे उन्होंने सीमा पर बलिदानी सैनिकों के पार्थिव शरीर को सम्मानजनक तरीके से ताबूत में रखवा कर राजकीय सम्मान के साथ उनके घर पहुंचवाने की व्यवस्था की। उन्होंने नेपाल में संसदीय लोकतंत्र को बहाल करने में अपना सक्रिय समर्थन दिया तथा नेपाली कांग्रेसी साथियों की हर तरह से मदद की।
वर्ष 2007 तक उनका कद बहुत बड़ा हो गया था। इस क्रम में 23 अप्रैल, 2007 की तारीख ऐतिहासिक रही। मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में चंद्रबाबू नायडू, एस. बंगारप्पा, ओमप्रकाश चौटाला और तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री जयललिता प्रयागराज में आयोजित रैली में आए और मुलायम सिंह को अपना नेता मानते हुए तीसरा मोर्चा बनाने की वकालत की। उस रैली में जयललिता ने हिंदी में भाषण दिया। संभवतः हिंदी में यह उनका पहला संबोधन रहा। मातृभाषाओं को शिक्षा का माध्यम बनाने की उन्होंने जोरदार वकालत की।
अपना नुकसान करके भी वह संबंध निभाते थे। बलिया में चंद्रशेखर के खिलाफ उम्मीदवार नहीं खड़ा किया। अटल जी के खिलाफ कभी प्रचार नहीं किया। जब बेनी प्रसाद वर्मा अटल जी के सम्मान के विरुद्ध बोले तो मुलायम सिंह ने उनसे आपत्तिजनक टिप्पणी वापस लेने को कहा। सोशलिस्ट नेता कर्पूरी ठाकुर और राजनारायण उनके दिल मे बसे थे। कपिल देव बाबू तो जीवनपर्यंत उनके साथ रहे। मधु लिमये एवं जार्ज फर्नांडिस का बहुत आदर करते थे। हरकिशन सिंह सुरजीत, सोमनाथ चटर्जी के साथ उनके संबंध जगजाहिर रहे।
नरेन्द्र मोदी ने जब 2014 में वाराणसी से लोकसभा चुनाव चुनाव लड़ा, तब कार्यकर्ताओं द्वारा मोदी के विरुद्ध सभा की मांग पर मुलायम सिंह ने कहा कि यह संभव नहीं है। कुछ दिनों बाद अपने लखनऊ निवास पर मुझसे कहने लगे कि मोदी जी ने बहुत तपस्या की है, वह मुझे बहुत मानते हैं, मैं उनके खिलाफ कैसे बोलता? आप नहीं जानते हैं कि उन्होंने अज्ञातवास के दौरान पहाड़ों पर काफी तप किया है।
कुछ दुर्लभ गुणों की वजह से वह राजनीति के केंद्र बिंदु बन गए। उनके बारे में मशहूर नारा था-जिसने कभी न झुकना सीखा, उसका नाम मुलायम। चलते रास्ते अपने किसी साथी को देखकर अपनी कार रुकवा दिया करते थे। उन्होंने चार-पांच नवंबर, 1992 को बेगम हजरत महल पार्क लखनऊ में डा. लोहिया के सोशलिस्ट विचारों पर आधारित समाजवादी पार्टी का गठन ऐसे समय में किया था, जब राजनीति में समाजवादी राजनीति और आंदोलन का लोप हो चुका था। सपा के गठन के बाद हर साल 23 मार्च को डा. लोहिया की जन्मतिथि तथा 12 अक्टूबर को उनकी पुण्यतिथि के नियमित आयोजन शुरू हुए।
मेरी जान-पहचान उनसे 1967 में हुई। उनके साथ कई बार गिरफ्तारी भी हुई, खासकर 1985 में कांग्रेस सरकार के खिलाफ भाजपा सहित सभी दलों ने राजभवन के सामने प्रदर्शन किया था। तब राजभवन का मुख्यद्वार लांघ कर हम लोग राजभवन के अंदर घुस गए थे। उस्मान आरिफ राज्यपाल थे। हम सभी लोग गिरफ्तार कर लिए गए। उनके साहस के तमाम किस्सों में से एक यह है कि 1991 में मुख्यमंत्री रहते हुए ही जसवंत नगर से उनके विधानसभा चुनाव क्षेत्र का चुनाव मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन ने निरस्त कर दिया। शेषन से मिलने के लिए लखनऊ से जहाज से वह नई दिल्ली रवाना हुए। जहाज में सुब्रमण्यम स्वामी, सत्यप्रकाश मालवीय आदि थे। खराब मौसम में जहाज फंस गया। सब घबरा गए, मगर मुलायम सिंह के चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी। उन्होंने हम सभी को ढांढ़स बंधाकर सहारा दिया।
देवरिया स्थित रामकोला के गन्ना किसानों के आंदोलन में अक्टूबर,1992 को हुई उनकी गिरफ्तारी समाजवादी राजनीति के लिए टर्निंग प्वाइंट सिद्ध हुई। आधी रात को देवरिया के लोक निर्माण विभाग के निरीक्षण गृह में पहुंचकर पांच मिनट ही सो पाए थे कि पुलिस और पीएसी ने पूरे निरीक्षण गृह को घेर लिया। देवरिया के जिलाधिकारी एवं एसपी ने उन्हें सोते हुए ही गिरफ्तार कर लिया और नित्यक्रिया से भी वंचित कर दिया। आठ अक्टूबर, 1992 को सुबह करीब सवा आठ बजे मुलायम सिंह को तमाम साथियों के साथ वाराणसी में शिवपुर स्थित सेंट्रल जेल में बंद कर दिया गया। जनदबाव पर 14 अक्टूबर को उन्हें बिना शर्त रिहा किया गया। जेल से छूट कर उन्होंने कहा था कि समाजवादी पार्टी समीकरण की नहीं, बल्कि संघर्ष की राजनीति करेगी। उसके बाद से लेकर अब तक उनके नेतृत्व में समाजवादी पार्टी ने अनवरत संघर्ष किया। एक बार मुख्यमंत्री मायावती ने मुलायम सिंह पर एक दिन में विभिन्न जनपदों में 149 मुकदमे दर्ज दिए। उन्होंने लखनऊ में गांधी प्रतिमा से पूरे शहर में ढाई घंटे तपती घूप में साइकिल चलाई और गिरफ्तार नहीं किए जा सके। न्यायालय ने भी सभी दर्ज एफआइआर निरस्त कर दीं।
Rani Sahu

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