सम्पादकीय

Misuse of Central Agencies: केंद्रीय एजेंसियों का राजनीतिक दुरुपयोग नई बात नहीं

Gulabi Jagat
27 Jun 2022 5:38 PM GMT
Misuse of Central Agencies: केंद्रीय एजेंसियों का राजनीतिक दुरुपयोग नई बात नहीं
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देश में अब विपक्ष के नेताओं की सीबीआई या प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तारी की खबर कोई नई बात नहीं रहीं
रीना गुप्ता। देश में अब विपक्ष के नेताओं की सीबीआई या प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा गिरफ्तारी की खबर कोई नई बात नहीं रहीं। हाल में दिल्ली के स्वास्थ मंत्री सत्येंद्र जैन को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा आठ साल पुराने मामले में गिरफ्तार किया गया। वो भी तब जब इतने सालों से सत्येंद्र जैन जांच एजेंसी का सहयोग करते रहे हैं। उनकी गिरफ्तारी के बाद ईडी ने माना है कि सत्येंद्र जैन इस मामले में आरोपी भी नहीं है। इससे ये साफ हो गया कि ईडी कोई निष्पक्ष जांच एजेंसी नहीं रह गई है।
केंद्रीय एजेंसियों का राजनीतिक उपयोग या दुरुपयोग पहले भी होता रहा है, लेकिन 2014 के बाद जब से भाजपा ने केंद्र में सरकार बनाई है, तब से सीबीआई, ईडी का कामकाज और ज्यादा राजनीतिक हो गया है। पिछले 10 सालों मे ED 1500 से ज्यादा छापे मारने के बावजूद सिर्फ नौ लोगों को जेल भेज पाई है। केंद्र सरकार अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए लगातार विपक्ष पर हमले करती रही है। इसमें इन केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल धड़ल्ले से होता है। ऐसे ही हालात रहे तो देश में लोकतंत्र को खतरा है।
दिल्ली के स्वास्थ मंत्री सत्येंद्र जैन, जिन्होंने देश में मोहल्ला क्लीनिक जैसा नायाब माडल पेश किया, जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली। उन्हें ईडी द्वारा आठ साल पुराने मामले में गिरफ्तार किया गया। ऐसा सिर्फ इसलिए हुआ की सत्येंद्र जैन आम आदमी पार्टी के हिमाचल प्रदेश प्रभारी हैं, जहां वर्ष 2023 में चुनाव होने वाले हैं। इससे पहले भी पूर्व में काँग्रेस पार्टी और फिर 2015 से आम आदमी पार्टी द्वारा दिल्ली में सरकार बनाने के बाद से लगातार सरकारी एजेंसीओ द्वारा "हमले" कराए गए, लेकिन सारे मुकदमे झूठे और राजनीति से प्रेरित साबित हुए।
सोचने का विषय ये है कि ऐसा कैसा होता है केंद्र में सत्ताधारी पार्टी के नेताओ पर भ्रस्टाचार के आरोप लगने के बाद भी उनकी न तो गिरफ्तारी होती है और न ही मीडिया ट्रायल? क्या इन एजेंसीओ में तैनात अधिकारी अपना संवैधानिक दायित्व भूलकर राजनीतिक आकाओं को खुश करने मे लगे हैं? ईडी के जॉइन्ट डायरेक्टर राजेश्वर सिंह इसी साल नौकरी छोड़ भाजपा में शामिल हुए और चुनाव भी लड़ा। इस तरह की चीजें ये बताने के लिए पर्याप्त हैं कि इन एजेंसीओ पर जनता का भरोसा लगातार कम होता जा रहा है। ऐसे हथकंडे इस्तेमाल करके कोई भी राजनीतिक दल जनता का दिल और चुनाव नहीं जीत सकता।
पूरे देश मे भाजपा शासित राज्यों मे लगातार भ्रस्टाचार के मामले आते रहते हैं। हाल ही में असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिसवा सरमा पर उनके परिवार द्वारा संचालित कंपनी से पीपीई किट खरीदने का मामला सामने आया। कर्नाटक में मंत्री पर 40 फीसद रिश्वत लेने का आरोप लगा, लेकिन इन सभी मामलों पर कोई जांच या गिरफ्तारी नहीं हुई। आम आदमी पार्टी भ्रस्टाचार के खिलाफ आंदोलन करके बनी पार्टी है। यही वजह है कि जब पंजाब में एक मंत्री पर आरोप लगा तो तुरंत उन्हे मंत्रिमंडल से निकाल, जेल भेज दिया गया। हमारी ईमानदारी कि राह कठिन जरूर है, लेकिन ईमानदारी से जनता कि सेवा करना, उन्हें विश्व स्तरीय सुविधाय देना ही आम आदमी पार्टी का लक्ष्य है। सत्ता का गलत इस्तेमाल करके कोई भी पार्टी आम आदमी पार्टी को नहीं रोक सकती। देश कि जनता को अब अरविन्द केजरिवाल में एक नई उम्मीद कि किरण नजर आने लगी है |
देश के मौजूदा हालत मे खासकर कोविड के बाद ये जरूरी है, हम सबका ध्यान जन कल्याण पर हो। महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर काम हो न कि सत्ता का दूरउपयोग करके विपक्ष के नेताओ को जेल भेजने कि गंदी राजनीति।
(लेखिका आम आदमी पार्टी कि राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं और ये उनके निजी विचार हैं।)
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