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सम्पादकीय
शरारती अभियान, भारतीय हितों के खिलाफ काम करने वालों पर लगाम कसने के ढूंढने होंगे उपाय
Gulabi Jagat
6 Sep 2022 11:39 AM GMT
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एशिया कप में पाकिस्तान से मैच हारने के बाद भारतीय टीम के गेंदबाज अर्शदीप सिंह के खिलाफ इंटरनेट मीडिया पर जैसा शरारत भरा अभियान चलाया गया और यहां तक कि उनके विकिपीडिया पेज में छेड़छाड़ कर उन्हें खालिस्तानी करार दिया गया, वह भारत विरोधी ताकतों की निरंकुशता को ही बयान करता है। इससे संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता कि सरकार की ओर से विकिपीडिया के अधिकारियों से जवाब-तलब किया गया है, क्योंकि अभी तक का अनुभव यही बताता है कि इस तरह के इंटरनेट प्लेटफार्म न तो भारत सरकार की ओर से बनाए गए कानूनों का पालन करने के लिए तैयार हैं और न ही भारतीय हितों को नुकसान पहुंचाने वाले तत्वों पर लगाम लगाने के लिए।
अब इसमें संदेह नहीं कि अर्शदीप सिंह के खिलाफ ट्विटर पर जो अभियान चलाया गया, उनमें पाकिस्तानियों की भूमिका थी। चिंता की बात यह है कि उनका साथ कुछ ऐसे भारतीयों ने भी दिया, जो पहले भी इस तरह की हरकतें कर चुके हैं। इनमें वे भी हैं, जो खुद को कथित तौर पर तथ्यों की पड़ताल करने और फर्जी खबरों से लड़ने वाला बताते हैं। इसकी अनदेखी नहीं की जानी चाहिए कि एक ऐसे ही स्वयंभू फैक्ट चेकर ने नुपुर शर्मा मामले में देश के लिए मुश्किलें खड़ी करने का काम किया था।
इसी तरह यह भी एक तथ्य है कि जैसा अभियान गत दिवस अर्शदीप सिंह के खिलाफ चलाया गया, वैसा ही कुछ समय पहले क्रिकेटर मोहम्मद शमी के विरुद्ध भी चलाया गया था। यह अभियान भी पाकिस्तान प्रायोजित था। तथाकथित किसान आंदोलन के समय भी ट्विटर ने भारतीय हितों के खिलाफ सक्रिय तत्वों का काम आसान किया था।
ट्विटर किस तरह भारत विरोधी तत्वों का पसंदीदा मंच बन गया है, इसका पता उस टूल किट से चला था, जिसे कथित पर्यावरण हितैषी ग्रेटा थनबर्ग ने साझा किया था। ट्विटर किस तरह बेलगाम है, इसका संकेत पिछले सप्ताह केंद्र सरकार की ओर से कर्नाटक उच्च न्यायालय को दी गई इस जानकारी से मिला कि यह प्लेटफार्म उसकी ओर से बनाए गए कानूनों का उल्लंघन करने में लगा हुआ है।
केंद्रीय इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कर्नाटक उच्च न्यायालय में दाखिल अपने विस्तृत जवाब में जिस तरह यह कहा कि ट्विटर देश के कानूनों का उल्लंघन करने वाला प्लेटफार्म बन गया है, वह एक गंभीर बात है। इससे भी गंभीर बात यह है कि तमाम प्रयासों के बाद भी सरकार ट्विटर को अपने बनाए नियम-कानूनों के दायरे में काम करने के लिए बाध्य नहीं कर पा रही है। यह ठीक नहीं कि विकिपीडिया या ट्विटर सरीखे प्लेटफार्म भारतीय हितों के खिलाफ काम करने वालों को बढ़ावा दें।
दैनिक जागरण के सौजन्य से सम्पादकीय
Gulabi Jagat
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