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- चुनावी दहलीज पर खड़े...
दिव्याहिमाचल.
उपचुनावों का सत्ता पक्ष कितना निर्णायक होगा यह जुब्बल-कोटखाई के बागी तेवर बताएंगे या फतेहपुर से अर्की तक भाजपा की कतरब्यौंत काम आएगी। हिमाचल भाजपा अपने साहसिक अभियान के तहत चुनावी मजमून पढ़ रही है और इसके मुकाबले कांग्रेस दहलीज पर खड़ी आगमन की सूचना दे रही है। बावजूद इसके क्या ये उपचुनाव राजनीतिक गणित में पार्टियों के इर्द-गिर्द घूमेंगे या अपने कोणीय प्रभाव से किसी व्यक्तित्व का अलंकरण करेंगे। अगर ऐसा होता है तो जुब्बल-कोटखाई में भाजपा छोड़कर निर्दलीय हो गए चेतन बरागटा के हाथ में आया 'सेब रूपी' चुनाव चिन्ह का वजन महसूस किया जाएगा। जाहिर है इस विद्रोह की चर्चा और इसकी फांस में भाजपा की तैयारियों का क्षरण भी होगा। यहां मसला सेब की अस्मिता के साथ-साथ बरागटा परिवार से जुड़ी संवेदना को खुद में समाहित कर लेता है, तो कांग्रेस के समीकरण भी उलझ सकते हैं। यानी इस खींचतान में पार्टियों का नुकसान अप्रत्याशित नहीं है। ऐसा भी नहीं है कि दोनों प्रमुख पार्टियों के सामने कोणीय मुकाबले का अर्थ किसी एक की संभावना बढ़ा रहा है या किसी को सीधे चोट पहुंचा रहा है, लेकिन मतदाता के रूठने से राजनीतिक परेशानियां बढ़ेंगी। पार्टियों से अलग मतदाता के सामने अपने गुस्से का इजहार करना सभी का अमन चैन लूट सकता है। फतेहपुर में डा.राजन सुशांत अगर कुछ हासिल करते हैं, तो किसकी चुनावी खेती को नुकसान होगा, कहा नहीं जा सकता, फिर भी उनकी मेहनत से चुनाव के हाल परेशान कर सकते हैं।