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पिछले सप्ताह रक्षाबंधन त्योहार के उपलक्ष्य में सारा देश भाई-बहन के पवित्र रिश्ते से संबंधित गानों और सोशल मीडिया में पूरी तरह चर्चा का विषय बना रहा
By: divyahimachal
पिछले सप्ताह रक्षाबंधन त्योहार के उपलक्ष्य में सारा देश भाई-बहन के पवित्र रिश्ते से संबंधित गानों और सोशल मीडिया में पूरी तरह चर्चा का विषय बना रहा, जबकि 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आजादी के अमृत महोत्सव मनाने से पूरे देश में हर घर तिरंगा या घर घर तिरंगा जैसे अभियानों से पूरा देश, देश भक्ति में डूब गया और उसके बाद भगवान श्री कृष्ण के जन्म दिवस के रूप में मनाए जाने वाली जन्माष्टमी के उपलक्ष्य पर पूरा देश भक्ति रस में डूब गया। यह हमारे देश की संस्कृति और सभ्यता का अनूठा हिस्सा है, जिसके कारण एक सप्ताह में पूरा देश अलग-अलग तरह की भावनाएं जैसे भाई-बहन के पवित्र प्यार, देश भक्ति तथा भक्ति रस को महसूस कर रहा है। अगर राजनीति की बात करें तो महाराष्ट्र में भाजपा ने ठाकरे सरकार को उसी की पार्टी के दो धड़े बनाकर अपना परचम लहरा दिया तो कुछ ही दिनों बाद बिहार में लालू के लाल ने नीतीश का साथ देकर बीजेपी को विपक्ष में बैठा दिया। बंगाल में चटर्जी और मुखर्जी, बनर्जी के लिए मुश्किल बने हुए हैं तो दिल्ली में शराब नीति को लेकर सीबीआई ने जन्माष्टमी के दिन उप मुख्यमंत्री के घर छापा मारा गया। अगर पिछले कुछ महीनों से ईडी और सीबीआई के छापों का सही आकलन किया जाए तो यह निष्कर्ष निकल रहा है कि ईडी और सीबीआई के छापे मात्र विपक्ष के ही नेताओं को निशाना बना रहे हैं, जबकि इसमें सत्ताधारी सरकार में शामिल नेता या बड़े लोगों पर इस तरह की कार्रवाई न के बराबर सामने आई है। इस सबसे यह चर्चा भी होने लगी है कि केंद्र सरकार अपनी सहूलियत के हिसाब से केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है।
महाराष्ट्र में जब एकनाथ शिंदे ग्रुप ठाकरे ग्रुप से अलग हो रहा था तो उनके द्वारा सुरक्षा की जिम्मेदारी के लिए सीआरपीएफ और सीआईएसएफ जैसी केंद्रीय एजेंसियों की डिमांड करना और मिलना तथा वेस्ट बंगाल में भी भाजपा नेताओं की सुरक्षा के लिए केंद्रीय एजेंसियों की ही मांग करना, इस चीज की तरफ भी इशारा है कि जो काम राज्य पुलिस बल कर सकता है उसमें भी केंद्रीय एजेंसियां का इस्तेमाल सीधे तौर पर हर चीज को केंद्र द्वारा अपने हिसाब से चलाना है। सुरक्षा का मामला हो या छापेमारी का, वह केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल केंद्र सरकार अपने हिसाब से कर रही है। इसमें कोई दो राय नहीं कि राजनीति में सत्ताधारी हमेशा ही हर एजेंसी का इस्तेमाल अपना दबाव बनाने के लिए करते रहे हैं, पर इस तरह का प्रचलन एक सशक्त गणतंत्र और राष्ट्र के लिए सही नहीं है। आज आजादी के 75 साल बाद जब हम भारत को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र बनाने की बातें कर रहे हैं, उस मौके पर हमें अपने निजी फायदे और राजनीतिक स्वार्थ को दरकिनार करके मिलजुल कर गलत को गलत और सही को सही कहना चाहिए तथा पक्ष और विपक्ष के साथियों के दोषी होने के दौरान बराबर की कार्रवाई होनी चाहिए। अगर हम ऐसा करने में कामयाब हो जाते हैं तो इसमें किसी को भी कोई शक नहीं कि आने वाले कुछ ही वर्षों में भारत दुनिया का सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र होगा। हमें सेना से सीख लेनी चाहिए जो हर स्थिति में बिना किसी विशेष लगाव के हर किसी के साथ निष्पक्ष तथा बिना भेदभाव के कार्रवाई करती है।
कर्नल (रि.) मनीष
स्वतंत्र लेखक
Rani Sahu
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