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- केवल यासीन को सजा...
संजय गुप्त।
आखिरकार एनआइए की एक अदालत ने यासीन मलिक को आतंकी फंडिंग समेत अन्य मामलों में दोषी पाते हुए उम्रकैद की सजा सुना दी। चूंकि यह फैसला विलंब से आया, इसलिए उस पर एक सीमा तक ही संतोष किया जा सकता है। ऐसे फैसले यही बताते हैं कि न्याय में देरी अन्याय है। यासीन मलिक न केवल खुद आतंकी गतिविधियों में शामिल था, बल्कि अन्य आतंकियों की हर तरह से मदद भी करता था। उसने वायु सेना के चार अफसरों की हत्या की और वीपी सिंह सरकार के समय गृहमंत्री रहे मुफ्ती मुहम्मद सईद की बेटी और महबूबा मुफ्ती की बहन रूबिया सईद का अपहरण किया। माना जाता है कि यह अपहरण नहीं था, बल्कि आतंकियों को छुड़ाने की एक साजिश थी और उसमें जम्मू-कश्मीर सरकार के भी कुछ लोग शामिल थे। जब रूबिया सईद की रिहाई के बदले खूंखार आतंकियों को छोड़ा गया तो आतंकियों का दुस्साहस चरम पर पहुंच गया और कश्मीरी हिंदुओं को मारने, धमकाने की घटनाएं तेज हो गईं। जब यासिन मलिक के साथियों ने जेकेएलएफ सरगना मकबूल बट्ट को फांसी की सजा सुनाने वाले जज नीलकंठ गंजू की हत्या कर दी तो कश्मीरी हिंदुओं के लिए वहां रहना मुश्किल हो गया और बड़े पैमाने पर उनका पलायन होना शुरू हो गया।
सोर्स- Jagran.TV